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श्वानों की बोली मृगनायक बोल उठा
बेहद कर्कश, पीड़ादायक,बोल उठा
…
उल्टे बांस बरेली जाते देख हवा
फेंक फाक कर अपने सायक बोल उठा
*
कामरुप छिपकर बैठा था अकुलाकर
लगा कि जैसे हो खलनायक बोल उठा
……
सुनकर अंधभक्त चिल्लाए खुश होकर
अहा! हमारा प्रिय जननायक बोल उठा
……
जन गण मन के मन में क्या है, पता नहीं
नहीं रहा कुरसी के लायक बोल उठा
………
कोई बोला ध्यान लगाकर सुना करो
अपनी वाणी में अधिनायक बोल उठा
…….
@ राकेश अचल