अंतरराष्ट्रीय राजनीति व वैश्विक व्यापार की दुनियाँ में आर्थिक हथियारों का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है

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ट्रंप के टैरिफ़ को बेअसर करने भारतीय उद्योगों, अर्थव्यवस्था को जीएसटी सुधारों क़ा बूस्ट डोज़ – उपभोक्ताओं व राष्ट्र के लिए नई आर्थिक दिशा

 

अंतरराष्ट्रीय राजनीति व वैश्विक व्यापार की दुनियाँ में आर्थिक हथियारों का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है

 

लाल किले की प्राचीऱ से पीएम का जीएसटी रिफॉर्म क़े आगाज़ पर अमल शुरू- टैरिफ भारत के लिए बाधा नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर, उपभोक्ता केंद्रित बनाने का अवसर- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ जानती है कि ट्रंप नें अपने राष्ट्रपति पद के चुनावी अभियानों, भाषणों में 24 घंटे में युद्ध समाप्ति,अमेरिकी फर्स्ट,मेक अमेरिका ग्रेट अगेन जैसे अनेकों वादे किए थे।जनवरी 2025 में राष्ट्रपति पद संभालते ही उन्हें पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं,जो हम करीब 8 महीनों से देख रहे हैं। इसी क्रम में दुनियाँ के तमाम देशों पर टैरिफ लगाने की बात भी कही थी जिसे अब वह पूरा करने पर तुले हुए हैं। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं कि इससे पूरी दुनियाँ हिल गई है, हालांकि ट्रंप द्वारा टैरिफ़ के डंडे के बल पर अनेक देशों से अपने मन मुताबिक एग्रीमेंट करवाकर उन्हें टेरिफ से कुछ हद तक छूट दे दी गई है, परंतु भारत पर अभी 50 पेर्सेंट टैरिफ लगाया गया है,जिससे भारत के फार्मा,कृषि स्टील इत्यादि अनेक क्षेत्रों पर फर्क पड़ने की संभावना जताई जा रही है,दरअसल अब 27 अगस्त से 25 पेर्सेंट इसे दोगुना कर 50 पेर्सेंट तक करने का ऐलान किया है। इस फैसले से भारत के करीब 40 अरब डॉलर के निर्यात- जिसमें ज्वेलरी, वस्त्र और फुटवियर जैसे सेक्टर शामिल हैं,पर सीधा खतरा मंडरा रहा है। यही नहीं,भारत- अमेरिका के बीच होने वाली द्विपक्षीय व्यापार वार्ता भी इसी विवाद की वजह से रोक दी गई। यह वार्ता 25 से 29 अगस्त के बीच प्रस्तावित थी, लेकिन अमेरिकी ट्रेड टीम का दौरा अचानक रद्द कर दिया गया इसीलिए माननीय पीएम द्वारा 18 अगस्त 2025 को देरशाम इकोनामिक एडवाइजरी कमेटी की बैठक बुलाई गई थी जिसमें सात केंद्रीय मंत्री व नीति आयोग सहित अनेको संस्थाएं ने भाग लिया जिसमें जीएसटी रिफॉर्म पर भी चर्चा हुई। मीडिया में अंदाज लगाया जा रहा है कि अब जीएसटी स्लैप दो सिलेबेस 5 पेर्सेंट व 18 पेर्सेंट तक सीमित कर दिया जाएगा,उधर 18-19 अगस्त 2025 को चीनी विदेश मंत्री भारत दौरे पर हैँ,इसके पूर्व कल ज्वलेंसकी ने हमारे पीएम महोदय से बात की, उसके बाद अलास्का बैठक के बाद पुतिन ने भी 18 अगस्त 2025 को देर शाम भारत भारतीय पीएम को फोन कर अलास्का मीटिंग के बारे में जानकारी दी,जिससे भारत की प्रतिष्ठा में चार चांद लगनें को रेखांकित किया जा सकता है।इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,ट्रंप के टैरिफ़ को बेअसर करने भारतीय उद्योगों,अर्थव्यवस्था को जीएसटी सुधारों क़ा बूस्ट डोज़ – उपभोक्ताओं व राष्ट्र के लिए नई आर्थिक दिशा।

साथियों बात अगर हम वैश्विक अर्थव्यवस्था आज इस मोड़ पर खड़ी होने की करेंतो,ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत समेत कई देशोंपर 50 पेर्सेंट तक के आयात टैरिफ लगाने की घोषणा ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार संतुलन को हिला दिया है। भारत जैसे उभरते हुए देश के लिए यह टैरिफ न केवल निर्यात क्षेत्र पर दबाव डालते हैं बल्कि घरेलू उद्योग और उपभोक्ता बाजार पर भी असर डाल सकते हैं। ऐसे समय में भारत सरकार ने जीएसटी सुधारों के रूप में ‘बूस्टर डोज’ देने की जरूरत महसूस की, जिससे न केवल टैरिफ के प्रभाव को बेअसर किया जा सकेगा बल्कि घरेलू मांग, उत्पादन और उपभोग की गति भी तेज होगी।अंतरराष्ट्रीय राजनीति और वैश्विक व्यापार की दुनियाँ में आर्थिक हथियारों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका को “अमेरिका फर्स्ट ” की नीति पर खड़ा किया, जिसके तहत उसने भारत समेत कई देशों पर ऊँचे टैरिफ लगा दिए। इन टैरिफ का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करना था, लेकिन इसका सीधा असर भारत के निर्यात, उद्योगों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।ऐसे समय में भारत सरकार ने घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए जीएसटी सुधारों का रास्ता चुना। ये सुधार न केवल अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को संतुलित करेंगे बल्कि उपभोक्ताओं को राहत और उद्योगों को सुरक्षा भी देंगे। “अमेरिका द्वारा भारत पर थोपे गए भारी-भरकम टैरिफ के बीच पीएम ने सोमवार शाम 6:30 बजे एक बेहद अहम बैठक बुलाई थी। यह बैठक उनके आधिकारिक आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर हुई, जिसमें वित्तमंत्री समेत सात केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए। मीडिया का कहना है कि इस मीटिंग में भारत की अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ के असर की समीक्षा की गई और आगे की रणनीति तय की गई ऐसा मीडिया से ज्ञात हुआ।

साथियों बात अगर हम अमेरिका के 50 पेर्सेंट टैरिफ का पृष्ठभूमि के भारत पर असर पढ़ने की करें तो,अमेरिका ने हाल ही में चीन, भारत, मेक्सिको और यूरोप के कुछ देशों पर उच्च टैरिफ लागू करने का संकेत दिया है। भारत से निर्यात होने वाले स्टील, एल्युमिनियम, टेक्सटाइल, आईटी हार्डवेयर, फार्मा और ऑटो पार्ट्स पर सीधा असर पड़ सकता है।टैरिफ से भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा कम होगी। भारत का आईटी और फार्मा सेक्टर, जो अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर हैं, विशेष रूप से चुनौती का सामना करेंगे,इससे भारत का ट्रेड बैलेंस बिगड़ सकता है और डॉलर के मुकाबले रुपये पर दबाव आ सकता है।यानें साफ है कि अमेरिकी टैरिफ एक आर्थिक हथियार की तरह है, जिसे भारत की वृद्धि की गति धीमी करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी काट के रूप में भारत का जीएसटी सुधारों का बूस्टर डोज के रूप में जवाब है,भारत सरकार ने इसे केवल व्यापारिक समस्या न मानकर घरेलू आर्थिक अवसर में बदलने की रणनीति बनाई है। इसी क्रम में हाल ही में पीएम द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर जीएसटी सुधारों की घोषणा की गई थी।ये सुधार वस्तुतः“बूस्टर डोज” हैं, जिनका लक्ष्य है-(1) घरेलू खपत बढ़ाना (2) उद्योगों की लागत घटाना (3) टैक्स प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना (4) वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करना (5) निर्यातकों को प्रोत्साहन देना। जीएसटी सुधारों की मुख्य विशेषताएँ- (1) मल्टी-रेट सिस्टम का सरलीकरण -पहले जीएसटी की दरें 0 पेर्सेंट, 5 पेर्सेंट,12 पेर्सेंट,18 पेर्सेंट और 28 पेर्सेंट थीं। सुधारों के बाद अधिकांश वस्तुएं 12 पेर्सेंट और 18 पेर्सेंट के बीच लाने की संभावना है,इससे टैक्स स्लैब कम होकर सरल और पारदर्शी बन जायेगा। (2) ई-कॉमर्स और एमएसएमई को राहत-छोटे उद्योगों को अब सालाना ₹2 करोड़ तक टर्नओवर पर जीएसटी से छूट मिलेगी (3) ई- कॉमर्स कंपनियों के लिए एकीकृत फाइलिंग सिस्टम लागू किया गया है। (4) इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को आसान बनाना (5) अब उद्योगों को ऑटोमेटिक आईटीसी रिफंड मिलेगा। (6) कैश फ्लो की दिक्कतें कम होंगी और कारोबार का माहौल सुधरेगा। (7) निर्यात क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान (8) निर्यातकों को टैक्स रिफंड 15 दिनों में मिलने का प्रावधान। (9) सेज़ और मेक इन इंडिया यूनिट्स को अतिरिक्त टैक्स राहत। निर्यात क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान- (1) निर्यातकों को टैक्स रिफंड 15 दिनों में मिलने का प्रावधान। (2)सेज़ और मेक इन इंडिया यूनिट्स को अतिरिक्त टैक्स राहत। (3) उपभोक्ताओं को सीधा फायदा (4) रोजमर्रा की वस्तुओं जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल, वस्त्र और खाद्य पदार्थों पर टैक्स दरें घटाई गईं। (5) इससे मुद्रास्फीति पर नियंत्रण होगा और उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा।अमेरिकी टैरिफ और जीएसटी सुधारों का आपसी संबंध- (1) अमेरिका के टैरिफ का मकसद भारत के निर्यात को नुकसान पहुंचाना है।(2) भारत ने इसके जवाब में घरेलू खपत और उत्पादन पर जोर देकर यह सुनिश्चित किया कि टैरिफ का असर सीमित हो।उदाहरण के लिए-यदि अमेरिका भारतीय टेक्सटाइल पर 50 पेर्सेंट टैरिफ लगाता है,तो भारतीय कंपनियां घरेलू बाजार में कम टैक्स रेट और सरल जीएसटी प्रक्रिया का लाभ उठाकर अपनी बिक्री बढ़ा सकती हैं। (3) इसी तरह फार्मा सेक्टर को टैक्स रिफंड स्कीम और इनपुट क्रेडिट से राहत मिलेगी।

साथियों बात अगर हम जीएसटी रिफॉर्म्स से उपभोक्ताओं व उद्योगों को फायदों की करें तो, उपभोक्ताओं के लिए फायदे- (1) जीएसटी सुधारों का सबसे बड़ा लाभ आम उपभोक्ता को मिलेगा। (2) वस्तुओं पर कम टैक्स दरें- जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और पैकेज्ड फूड। (3) अधिक पारदर्शिता-अब टैक्स चोरी और कैस्केडिंग इफेक्ट कम होगा। (4) महंगाई पर नियंत्रण- पेट्रोलियम उत्पादों को आंशिक रूप से जीएसटी में लाने की चर्चा भी इससे जुड़ी है। (5) बढ़ती खपत-कम कीमतों से मांग बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था में गति आएगी।उद्योगों के लिए फायदे-(1) टैक्स का सरलीकरण -उद्योगों का प्रशासनिक बोझ कम होगा। (2) कैश फ्लो सुधरेगा-तेज आईटीसी रिफंड से निवेश और उत्पादन में तेजी आएगी। (3) घरेलू बाजार में सुरक्षा कवच-अमेरिकी टैरिफ से निर्यात घटने की स्थिति में घरेलू बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। (4) वैश्विक निवेश आकर्षण-सरल टैक्स प्रणाली विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित करेगी।

अतः अगर हम ऊपर पूरे विवरण का अध्ययन करें उसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि ट्रंप के टैरिफ़ को बेअसर करने भारतीय उद्योगों, अर्थव्यवस्था को जीएसटी सुधारों क़ा बूस्ट डोज़ – उपभोक्ताओं व राष्ट्र के लिए नई आर्थिक दिशा अंतरराष्ट्रीय राजनीति व वैश्विक व्यापार की दुनियाँ में आर्थिक हथियारों का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा हैलाल किले की प्राचीऱ से पीएम का जीएसटी रिफॉर्म का आगाज़- टैरिफ भारत के लिए बाधा नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर, उपभोक्ता केंद्रित बनाने का अवसर हैँ।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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