हरसुखमन की कहानी जिसने व्यवधान को बना दिया सफलता की पहचान

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एक समय ऐसा छात्र जो पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाता था, मात्र 52% अंक लाता था और कक्षा में शरारतों के लिए जाना जाता था, वही बारहवीं कक्षा का छात्र हरसुखमन आज दृढ़ता और बदलाव का उदाहरण बन गया है।

टर्निंग पॉइंट बना ‘इंस्पायर मानक प्रतियोगिता’

हरसुखमन के जीवन में बदलाव की शुरुआत इंस्पायर मानक प्रतियोगिता से हुई, जिसने उनके अंदर की जिज्ञासा को जगाया। स्कूल की चुनौती से शुरू हुआ यह सफर जल्द ही आत्म-खोज की यात्रा बन गया।

तकनीकी महारत और सॉफ्ट स्किल्स में निखार

रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में रुचि लेकर उन्होंने न केवल तकनीकी ज्ञान हासिल किया, बल्कि संचार, सहयोग और रचनात्मक सोच जैसी सॉफ्ट स्किल्स को भी मजबूत किया।

नवाचार से पहचान

हरसुखमन ने पुनर्नवीनीकृत सामग्रियों से कम लागत वाले इनोवेशन तैयार किए, जिससे उन्हें जिला स्तर पर सराहना मिली और सीबीएसई राष्ट्रीय प्रदर्शनी में स्कूल का प्रतिनिधित्व करने का अवसर भी मिला।

प्रेरणा का स्रोत बने हरसुखमन

आज वे ट्रॉफियों से अधिक अपनी सोच और अनुशासन से दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं। उनकी कहानी साबित करती है कि जब जिज्ञासा और उद्देश्य मिलते हैं, तो हर व्यवधान सफलता का मार्ग बन सकता है।

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