गुरुदारे-मंदिर के पास ठेक खुलने से भड़के लोग बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों के साथ रात को ही धरना लगाकर बैठे
लुधियाना 2 जुलाई। नामवर शायर शौक बहराइची का एक बेहद मशहूर शेर पंजाब के मौजूदा हालात पर सटीक बैठता है। जिसमें उन्होंने सिस्टम पर तंज कसा था कि बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था, हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा ? बदलाव का नारा देकर पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पंजाब की सत्ता कब्जाई थी। बदलाव के नाम पर हेल्थ, एजुकेशन सिस्टम मजबूत करने के अलावा सूबे में बह रहे नशे के छठे दरिया को जड़-खत्म करने का दावा भी आप नेताओं ने किया था। जबकि जमीनी-हकीकत यह है कि ‘सरकारी-प्रयास’ से उसी नशे के छठे दरिया को शराब-ठेकों की शक्ल में गांवों-शहरों में समान-भाव से पूरी गति से बहाया जा रहा है। पंजाबी अब यह भी सोचने को मजबूर हैं कि सूबे की मौजूदा सरकार शायद शराब को नशे की श्रेणी में ही नहीं मानती है। तभी स्कूल, अस्पताल तो कम खुले, लेकिन शराब ठेके जहां-तहां कुकुरमुत्तों की तरह जरुर उग आए।
नाम न्यू शिवाजी नगर, ठेकों की भरमार : लुधियाना महानगर में श्रद्धाभाव पैदा करने वाले नाम से रिहायशी इलाका न्यू शिवाजी नगर है। इस इलाके में पहले से शराब के चार ठेके हैं। जिनके आसपास शराबियों के हुड़दंग से इलाका निवासी, खासकर महिलाएं-लड़कियां परेशान हैं। अब पांचवा शराब ठेका भी खोल दिया गया। जिसके बाद लोगों का गुस्सा इस बात पर और भड़का कि नया ठेका गुरुद्वारे और मंदिर के पास खोला गया। जबकि पास ही एक स्कूल भी है। भड़के लोगों ने बीती रात ठेके के सामने वाली सड़क पर जाम लगा धरना दे दिया। इसमें काफी तादाद में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे तक शामिल हुए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने इस ठेके को बंद नहीं कराया तो वे हाइवे जाम करेंगे।
ऐसे हालात और कई इलाकों में : स्कूलों, धार्मिक स्थलों और अस्पतालों के पास महानगर में कई जगह नए शराब ठेके खुल गए हैं। न्यू शिवाजी नगर जैसे कई रिहायशी इलाकों में शराब ठेकों के आसपास रहने वाले लोग शराबियों के हुड़दंग से तंग रहते हैं। हद ये कि महज रेवेन्यू जुटाने की फिक्र में राज्य सरकार के संबंधित विभाग यह तक गौर नहीं करते कि ठेके कहां खुल रहे हैं। इसे लेकर कोई मानक अब तय नहीं लगते हैं। जहां, जिस इलाके में कमाई नजर आती है, फट से वहां नया ठेका खोलने की मंजूरी मिल जाती है।
गुरुद्वारे के पास ठेका खोलने पर किया था विरोध : शहर के बाबा थान सिंह चौक के पास करीब दो साल पहले गुरुद्वारे के निकट शराब ठेका के खोल दिया था। तब स्थानीय दुकानदारों ने लोगों के साथ सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया था। बाजार में महिलाएं व बच्चे आते हैं और गुरुद्वारे जाने का रास्ता भी यहीं से है। लिहाजा शराबियों के हुड़दंग से महिलाओं को परेशानी होने के साथ श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं भी आहत होती हैं।
कोट्स- —
ठेकों की भरमार फिक्र की बात : वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रमेश जोशी ने चिंता जताई कि महानगर में शराब ठेकों की भरमार हो गई है। मौजूदा सरकार ने तो स्कूल, अस्पताल खोलने का वादा किया था, लेकिन जमीनी हकीकत एकदम उलट है। लोगों को नशाखोरी के लिए उकसाने वाली मुहिम के तहत शराब ठेके खोलने का काम ‘प्रगति’ से जारी है।
बार-बार क्यों होती है ऐसी गलती : इस मुद्दे पर समाजसेवी हरभगत सिंह गरेवाल सवाल करते हैं कि आखिर ये गलती क्यों होती है। एक्साइज महकमा शराब ठेकों की मंजूरी देते वक्त क्या यह नहीं देखता कि उन्हें किस जगह खोला जा रहा है।
सब सिस्टम की नाकामी : युवा एक्टिविस्ट विजय कपूर इसे लेकर रोष जताते हैं कि यह सब सिस्टम की नाकामी है। तभी तो ठेकेदार मनमर्जी से किसी भी रिहायशी इलाके, हद ये कि स्कूलों के पास भी ठेके खुलवा लेते हैं।
युवा वर्ग बर्बाद करने की साजिश : मेडिकल पेशे से जुड़े समाजसेवी तेज प्रकाश विश्वकर्मा ने चिंता जताई कि इस मामले में ग्रामीण इलाकों की हालत भी ठीक नहीं। खेलों की तरफ रुझान रखने वाले युवा वर्ग को साजिश के तहत नशे की तरफ धकेलने वाला नैक्सस फल-फूल रहा है।
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