शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर पहले गल्ती से धारा 87ए की छूट दे दी गई थी-छूट 31 दिसंबर 2025 तक वापस करना होगा 

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इन्कमटैक्स पेयर्स ध्यान दें!शॉर्ट- टर्म कैपिटल गेन पर 87ए की छूट,गलती संशोधित-19 सितंबर 2025 के सर्कुलर का व्यापक विश्लेषण

टैक्सपेयर को बकाया टैक्स, ब्याज और संभव हो तो पेनल्टी भी देनी पड़ेगी।यह स्थिति कई लोगों के लिए भारी हो सकती है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया-भारत में आयकर कानून समय-समय पर संशोधित होते रहते हैं और हर बदलाव का असर सीधे तौर पर टैक्सपेयर्स पर पड़ता है। हाल ही में 19 सितंबर 2025 को जारी आयकर विभाग के सर्कुलर ने लाखों टैक्सपेयर्स का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसमें कहा गया कि शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) पर पहले गलती से धारा 87ए की छूट दे दी गई थी, लेकिन अब इस गलती को ठीक किया जाएगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि करदाता आयकर अधिनियम की धारा 87ए के तहत उस आय पर कर छूट का दावा नहीं कर सकते, जिस पर विशेष दरों पर कर लगाया जाता है, जिसमें शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन भी शामिल है,वित्तीय वर्ष 2023-24 में कई करदाताओं ने शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर छूट का दावा किया था, लेकिन आयकर विभाग ने उनके अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया और बकाया करों की मांग की है।विभाग ने अब ऐसे करदाताओं से 31 दिसंबर, 2025 तक अपना बकाया कर चुकाने को कहा है, यह उन मामलों पर भी लागू होता है जहां पहले गलती से छूट दे दी गई थी. सीबीडीटी ने 19 सितंबर को जारी अपने सर्कुलर में कहा था कि कई मामलों में रिटर्न गलत तरीके से प्रोसेस किए गए थे और विशेष कर दरों के अंतर्गत आने वाली आय पर छूट दी गई थी,समय पर नहीं चुकाया तो देना होगा ब्‍याज,अब इन गलतियों को सुधारा जा रहा है और नई डिमांड को जारी किया जा रही हैं, सर्कुलर में यह भी चेतावनी दी गई है कि भुगतान में किसी भी तरह की देरी पर आयकर अधिनियम की धारा 220(2) के तहत ब्याज लग सकता है, हालांकि, करदाताओं की परेशानी कम करने के लिए, आयकर विभाग ने राहत की पेशकश की है, उसने 31 दिसंबर, 2025 से पहले बकाया करों का भुगतान करने पर ब्याज माफ करने का फैसला किया है। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र मानता हूं कि जुलाई 2024 से, आयकर विभाग धारा 87ए के तहत 7 लाख रुपए से कम आय वाले करदाताओं के लिए शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर छूट के दावों को खारिज कर रहा है, वित्तवर्ष 2023-24 के लिए, इन शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर 15 प्रतिशत कर लगाया जाता था, लेकिन वित्त वर्ष 2024-25 से यह दर बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी गई है, हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला- वित्त वर्ष 2023-24 के लिए छूट की सीमा ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत 5 लाख रुपए और नई टैक्स रिजीम के तहत 7 लाख रुपए थी,हालांकि, इस प्रावधान ने कर देयता को शून्य करने में मदद की, लेकिन यह छूट एसटीसीजी जैसी विशेष दरों पर कर योग्य आय को कवर करने के लिए नहीं थी. बाद में यह मामला बॉम्बे उच्च न्यायालय तक पहुंच गया था, जिसमें दिसंबर 2024 में आयकर विभाग से करदाताओं को अपने रिटर्न संशोधित करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।जनवरी 2025 में ऐसे संशोधनों के लिए 15 दिनों की अवधि निर्धारित की गई थी, लेकिन बाद में भी कई करदाताओं को अपने लंबित बकाया का भुगतान करने के लिए नोटिस प्राप्त हुए,अंततः, केंद्रीय बजट 2025 ने यह कहकर सभी भ्रम दूर कर दिए कि धारा 111ए के तहत एसटीसीजी सहित विशेष दर वाली आय, वित्त वर्ष 2025-26 से धारा 87ए के तहत छूट के लिए पात्र नहीं होगी, अब टैक्सपेयर्स को यह समझना ज़रूरी है कि इस बदलाव का उनके टैक्स प्लानिंग, उनकी जेब और अनुपालन पर क्या असर होगा।इसलिए आज हम मीडिया में अवेलेबल जानकारी के सहयोग से आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,इन्कमटैक्स पेयर्स ध्यान दें! शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर 87ए की छूट गलती संशोधित -19 सितंबर 2025 के सर्कुलर का व्यापक विश्लेषण को हर करदाता ने ध्यान से देखना चाहिए।

साथियों बात अगर हम शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर अब छूट क्यों नहीं मिलेगी? व धारा 87ए की छूट और एसटीसीजी में टकराव की करें तो,शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन वह लाभ है जो निवेशक को शेयर, म्यूचुअल फंड, सिक्योरिटीज या अन्य पूंजीगत संपत्तियों को 12 महीने से कम समय तक रखने के बाद बेचने पर होता है। भारत का आयकर कानून इसे विशेष श्रेणी की आय मानता है और इस पर फ्लैट दर से टैक्स लगता है।धारा 87ए टैक्सपेयर्स को 5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 12,500 रूपए तक की टैक्स छूट देती है। लेकिन यह छूट केवल सामान्य आय (जैसे सैलरी, ब्याज, हाउस प्रॉपर्टी से आय आदि) पर लागू होती है। विशेष दर वाली आय, जैसे एसटीसीजी(धारा 111ए) और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (धारा 112ए) पर यह छूट कभी लागू नहीं रही।हालांकि,तकनीकी गड़बड़ी या गलत सॉफ्टवेयर प्रोसेसिंग की वजह से कई रिटर्न में एसटीसीजी पर भी धारा 87ए की छूट दे दी गई थी।अब सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह एक गलती थी और इसे सुधारा जाएगा।इसलिए अब से एसटीसीजी पर 87ए छूट नहीं मिलेगी।धारा 87ए की छूट और एसटीसीजी का टकराव-आयकर अधिनियम की भाषा स्पष्ट है- 87ए केवल“टोटल इन्कम” पर उपलब्ध है,लेकिन उसमें स्पेशल रेट इन्कम शामिल नहीं होती।इसका मतलब है कि यदि किसी व्यक्ति की कुल आय 4.5 लाख रूपए है और उसमें से 1.5 लाख रूपए एसटीसीजी से आया है, तो वह व्यक्ति छूट का लाभ नहीं ले पाएगा।क्योंकि, एसटीसीजी पर टैक्स फ्लैट 15पेर्सेंट की दर से लगेगा।बाकी आय पर स्लैब रेट लगेगा। धारा 87ए केवल स्लैब रेट वाली आय पर छूट देती है, स्पेशल रेट वाली आय पर नहीं।इसलिए सरकार ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी टैक्सपेयर अब एसटीसीजीको 87ए छूट में क्लेम नहीं कर सकेगा।

साथियों बात अगर हम क्या पहले गलती से मिली छूट वापस करनी होगी? की करें तो,यदि किसी टैक्सपेयर को पहले एसटीसीजी पर 87ए की छूट मिल चुकी है, तो उसे अब वह राशि वापस करनी होगी।उदाहरण-मान लीजिए, किसी व्यक्ति की कुल आय 4.8 लाख रूपए थी, जिसमें से 2 लाख रूपए एसटीसीजी थासॉफ्टवेयर ने उसे गलती से 87ए छूट दे दी और टैक्स शून्य हो गया।अब विभाग रिटर्न री-प्रोसेस करेगा और कहेगा-एसटीसीजी पर 15 पर्सेंट टैक्स दो।इस तरह उस टैक्सपेयर को बकाया टैक्स, ब्याज और संभव हो तो पेनल्टी भी देनी पड़ेगी।यह स्थिति कई लोगों के लिए भारी हो सकती है, क्योंकि वे यह मानकर चल रहे थे कि उन्हें कोई टैक्स नहीं देना।पर 87ए की छूट मिल चुकी है, तो उसे अब वह राशि वापस करनी होगी।

साथियों बातें अगर हम,बकाया कर जमा न करने पर क्या होगा? इसको समझने की करें तो,यदि कोई टैक्सपेयर 31 दिसंबर 2025 तक बकाया कर जमा नहीं करता, तो आयकर विभाग सख्त कार्रवाई करेगा (1) ब्याज- धारा 234A, 234B, 234C के तहत 1पर्सेंट प्रति माह की दर से ब्याज लगेगा।(2) जुर्माना- धारा 271 और 273 के तहत भारी जुर्माना लग सकती है (3) रिकवरी -विभाग बैंक अकाउंट, वेतन या प्रॉपर्टी से वसूली कर सकता है।(4)प्रोसेक्युशन: गंभीर मामलों में अभियोजन भी संभव है।यानें टैक्सपेयर्स को गलती से मिली छूट वापस करने से बचने का कोई रास्ता नहीं है। अतःअगर हम उपरोक्त पर्यावरण का अध्ययन कर इसकाविश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि टैक्सपेयर्स के लिए चेतावनी और सबक- शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन हमेशा से ही एक विशेष श्रेणी की आय रही है जिस पर फ्लैट दर से टैक्स लगता है। धारा 87ए का लाभ इस पर कभी नहीं था। लेकिन तकनीकी गलती से छूट मिल गई, जिससे टैक्सपेयर्स को झूठा फायदा हुआ।अब विभाग ने इस गलती को सुधार लिया है और टैक्सपेयर्स को 31 दिसंबर 2025 तक अपना बकाया चुका देना होगा।यदि वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें ब्याज, पेनल्टी और वसूली का सामना करना पड़ेगा।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र *

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