मर्सिडीज कार के असली मालिक का रिकॉर्ड से उड़ाया नाम, दूसरे को बनाया ऑनर
(राजदीप सिंह सैनी)
लुधियाना 29 अगस्त। लुधियाना का आरटीए ऑफिस एक ऐसा विभाग है, जहां पर चुटकी में करोड़ों का खेल कर दिया जाता है। यहां अफसरों से ज्यादा कारिंदों की चलती है। कारिंदों की कलाकारी ऐसी के किसी को कानों कान खबर न हो। भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके आरटीए ऑफिस में मोटी रिश्वत लेकर वाहन की आरसी में से मालिक का नाम ही बदल दिया जाता है। यहीं नहीं एक ही सीरियल की दो दो आरसी भी बना डााली। यह कोई और नहीं बल्कि आरटीए के दस्तावेज खुद बया कर रहे हैं। ताजा मामला मर्सिडीज कार का सामने आया है। एक कारोबारी द्वारा मर्सिडीज ई220-डी कार का सौदा किया गया। लेकिन जब रिकॉर्ड चैक किया तो उसमें से असली मालिक का नाम ही नहीं था। मर्सिडीज कारों शोरुम के रिकॉर्ड मुताबिक कार तीन जगह पर बेची गई थी। जबकि आरटीए ने रिकॉर्ड में कार के सिर्फ दो ऑनर ही दिखाए है। जबकि सबसे पहले कार खरीदने वाले फस्ट ऑनर का नाम ही आरटीए विभाग ने अपने रिकॉर्ड से डिलीट कर दिया। क्योंकि कार के जितने ऑनर होंगे उतनी वाहन की कीमत कम होगी। इसी चक्कर में आरटीए विभाग के अधिकारियों से लेकर कलर्कों द्वारा कार बाजार के मालिकों के साथ मिलकर यह बड़ा खेल किया जा रहा है।
कार बाजार मालिक ने किया सौदा
कारोबारी ने बताया कि दुगरी रोड पर किंग्स कार वाले हैं। जिनकी और से सेकंड हैंड सेल की जाती है। उन्होंने कुछ दिन पहले उसी शोरुम के मालिक नीवीश खन्ना से 2017 मॉडल की मर्सिडीज ई220-डी का सौदा किया था। जिसकी एवज में 50 हजार रुपए एडवांस दिए थे। नीवीश ने बताया कि कार दो जगह सेल होने के बाद अब तीसरे ऑनर वे होंगे। लेकिन कारोबारी उक्त कार को मर्सिडीज के लुधियाना शोरुम में वेरिफाई कराने ले गए। वहां जाकर पता चला कि मर्सिडीज कार के तीन मालिक पहले ही हैं, जबकि रिकॉर्ड निकाला तो दूसरे व तीसरे मालिक के पास एक ही सीरियल की अलग अलग दो आरसी थी।
शोरुम मालिक खिलाफ पुलिस को की शिकायत
कारोबारी ने आरोप लगाया कि शोरुम मालिक नीवीश खन्ना ने उन्हें धोखे में रखकर एडवांस पेमेंट ले ली। जबकि बाद में उन्हें ठगी का पता चला। हालाकि यह बहुत बड़ा स्कैम है। लेकिन अब शोरुम मालिक उनसे कार संबंधी सौदा करने की बाद से भी इंकार कर रहा है। लेकिन उनके पास व्हॉट्सएप पर बातचीत के सबुत हैं। उन्होंने इस संबंधी एसीपी सिविल लाइंस को शिकायत दी है। जिसे जांच के लिए थाना डिवीजन नंबर पांच के पास भेजा गया है।
आरटीए विभाग ने ऐसे किया पूरा खेल
जानकारी के अनुसार असलियत में उक्त मर्सिडीज कार के फस्ट ऑनर निशांत इंटरनेशनल है। जबकि सेकंड ऑनर बीएम मार्केटिंग व तीसरा हर्ष शर्मा है। लेकिन आरटीए विभाग द्वारा मोटी रिश्वत लेकर फस्ट ऑनर निशांत इंटरनेशनल का रिकॉर्ड से नाम ही निकाल दिया। जबकि बीएम मार्केटिंग को फस्ट और हर्ष शर्मा को सेकंड ऑनर बना दिया। यह आरटीए के खुद के रिकॉर्ड में दर्ज है। यह हेरफेर यहीं नहीं खत्म हुआ। बल्कि कलर्कों और अधिकारियों ने रिश्वत लेकर बीएम मार्केटिंग और हर्ष शर्मा दोनों की आरसी भी एक ही बनाई है। बस दोनों के नाम व एड्रेस अलग अलग है। जबकि उन पर ऑनर सीरियल नंबर भी दो रखा है। ताकि जब भी हर्ष शर्मा आगे कार बेचे तो खरीददार को यहीं लगे कि यह सेकंड ऑनर ही है।
आरटीए में रिश्वत देकर करवा सकते कोई भी काम
वहीं लोगों में चर्चा है कि आरटीए ऑफिस एक ऐसा ऑफिस है, जहां पर रिश्वत देकर कोई भी नामुमकिन काम भी करवाया जा सकता है। बेशक वह चाहे कार ऑनर का नाम बदलना हो और चाहे किसी की आरसी अवैध तरीके से निकालनी हो। वहीं लोगों के यह भी आरोप है कि अधिकारियों से लेकर कलर्कों तक खुद ऑफिस में नहीं बैठते, जिस कारण लोगों को चक्कर लगाने पड़ते हैं। लेकिन सेटिंग होने के बाद अधिकारी व कलर्क बिना ऑफिस आए भी काम कर देते हैं।
मेरा कोई नहीं लेनदेन
वहीं इस मामले में किंग्स कार के मालिक नीवीश खन्ना का कहना है कि उनका इस मामले में कोई लेनदेन नहीं है। कारोबारी को कार दिखाई गई थी, लेकिन उनसे कोई पेमेंट नहीं ली। वहीं नीवीश के जानकार ने कहा कि दस्तावेजों में क्या गड़बड़ी है, इसके बारे में उन्हें नहीं पता।
मामला मेरे ध्यान में नहीं
आरटीए अधिकारी रमनदीप सिंह हीर ने कहा कि ऐसा कोई मामले मेरे ध्यान में नहीं है। लेकिन मामले की डिटेल मंगवाकर इसे चैक कराया जाएगा।