जलती पराली पर सरकारों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
इस साल भी पराली जलाने के मामले में कार्रवाई ना करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के साथ ही पंजाब सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर वह सख्ती दिखा रहे हैं तो फिर एक मुकदमा तो चलना चाहिए। इस मामले में ना तो एफआईआर दर्ज की जा रही हैं और ना ही जुर्माना लिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के प्रति भी नाराजगी जताई।
इस मामले में जस्टिस अभय एस.ओका, जस्टिस ए.अमानुल्लाह और जस्टिस एजी. मसीह की बेंच ने पंजाब और हरियाणा सरकार की खेतों में पराली जलाने से रोकने की कोशिशों को महज दिखावा बताया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि अगर ये सरकारें वास्तव में कानून लागू करने में रुचि रखती हैं तो कम से कम एक मुकदमा तो चलना ही चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को याद दिलाया जाए कि प्रदूषण-मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। प्रदूषण में रहना अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत नियम बनाने और जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करने के लिए केंद्र सरकार को दो हफ्ते का समय दिया। दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते प्रदूषण के चलते सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भी कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि आयोग ने प्रदूषण रोकने के लिए लागू होने वाली सख्तियों को लागू कराने के लिए कोई मैकेनिज्म तैयार नहीं किया। प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहे अधिकारियों पर सीधे कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इसकी बजाए उन्हें सिर्फ नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया ?
इसे लेकर पहले की तरह ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि पराली जलाने वालों पर 10 दिन के अंदर कार्रवाई की जाएगी। मामले में अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी। वहीं, हरियाणा के मुख्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रदेश में फसल जलाने की 400 घटनाएं हुई हैं और राज्य ने 32 एफआईआर दर्ज की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा कि उनके आंकड़े हर मिनट बदल रहे हैं। सरकार पिक एंड चूज की नीति अपना रही है। कुछ ही लोगों से जुर्माना लिया जा रहा है और बहुत कम लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कुछ लोगों पर एफआईआर दर्ज करने और कुछ पर मामूली जुर्माना लगाने को लेकर चिंतित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव से पूछा कि पराली को लेकर क्या किया जा रहा है और क्या किसानों को कुछ दिया गया ? इस पर मुख्य सचिव ने कहा कि पराली निस्तारण के लिए करीब एक लाख मशीनें दी गई हैं, जिससे पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। दूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव को कहा कि प्रदेश में पराली जलाने के मामले में 1,080 एफआईआर दर्ज की गईं, लेकिन आपने केवल 473 लोगों से नाममात्र का जुर्माना वसूला है। आप 600 या अधिक लोगों को बख्श रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे यह स्पष्ट है कि आप पराली जलाने वालों को संकेत दे रहे हैं कि उनके खिलाफ कुछ नहीं किया जाएगा। ऐसा पिछले तीन साल से हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के एडवोकेट जनरल और मुख्य सचिव को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि एडवोकेट जनरल बताएं कि किस अधिकारी के कहने पर उन्होंने केंद्र से मशीनें और फंड मांगने का झूठा बयान दिया था। मुख्य सचिव बताएं कि एडवोकेट जनरल को ऐसा किस अधिकारी ने करने के लिए कहा। हम उसे अवमानना का नोटिस जारी करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी पर भी नाराजगी दिखाई। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार गंभीर नहीं दिख रहीं। पहले एडवोकेट जनरल ने कहा कि किसी पर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। अब आप बता रहे कि इस साल 5 केस दर्ज हुए। सुप्रीम कोर्ट ने कोई मुकदमा ना दर्ज होने के बारे में पंजाब सरकार का पिछला एफिडेविट भी दिखाया। सुप्रीम कोर्ट ने आगे पूछा कि एफिडेविट में गांव स्तर पर निगरानी कमेटी की बात कही गई है। सरकार ने कब आदेश दिया। कमेटी कब बनी। इसका नोडल अफसर कौन है ? इस पर एडवोकेट सिंघवी ने कहा कि 9 हजार कमेटियां बनी हैं। हम पूरे ब्योरे के साथ एफिडेविट दाखिल करेंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 9 हजार लोगों ने सिर्फ 9 घटनाएं ढूंढीं ? इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप इसरो की सैटेलाइट रिपोर्ट तक झुठला देते हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के वकील ने कहा कि अमृतसर में 400 घटनाएं हुई हैं। कोर्ट ने पूछा कि हाल के दिनों में कितनी घटनाएं हुई हैं। इस पर एडवोकेट सिंघवी ने कहा कि 1510 घटनाएं हुईं और 1,080 केस दर्ज किए गए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें भी आपने 400 लोगों को छोड़ दिया। इस पर सिंघवी ने कुछ रिपोर्ट गलत निकलने की बात कही।
यहां गौरतलब है कि हरियाणा में जीटी रोड पर आने वाले 6 जिलों में प्रदूषण खतरनाक लेवल तक पहुंच गया है। पानीपत गैस चैंबर बन गया है। यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 तक पहुंच गया है। वहीं, 17 जिलों में एक्यूआई 300 से ऊपर है, जो खतरनाक श्रेणी में आता है। दो दिन पहले कुरुक्षेत्र का एक्यूआई 400 से ऊपर दर्ज किया गया था। वहां सुबह और शाम सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन महसूस हो रही है। दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप टू की पाबंदियां लागू हो चुकी हैं। एनसीआर में प्रदेश के 14 जिले आते हैं। जिनमें प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, उस हिसाब से ग्रैप 3 की पाबंदियां भी जल्द लागू हो जाएंगी। वहीं पंजाब के दो शहरों में एक्यूआई 200 पार हो चुका है। इनमें मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआई 230 और अमृतसर का 203 हो चुका है। इसके अलावा लुधियाना का एयर क्वालिटी इंडेक्स भी 191 है। बाकी जिलों का एक्यूआई अभी 200 से कम है।
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