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वड़िंग को भारी पड़ रही ‘छोटे’ बैंस की मुखालिफत, रेप-मामले की शिकायतकर्ता ने भी खोल दिया मोर्चा

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लुधियाना लोस सीट से कांग्रेसी उम्मीदवार राजा वड़िंग के ‘संकटमोचक’ बनाने को ही पार्टी में लाए गए थे बैंस-ब्रदर्स

लुधियाना 17 मई। कांग्रेस में शामिल हो चुके पूर्व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस का अतीत उनका पीछा नहीं छोड़ रहा। बताते हैं कि बैंस-ब्रदर्स को लुधियाना लोकसभा सीट से कांग्रेसी उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के संकटमोचक बनाने की मंशा से पार्टी ज्वाइन कराई गई। जबकि सियासी-फायदे से पहले इसके साइड-इफेक्ट जरुर सामने आ गए।

राजा वड़िंग की उम्मीदवारी का बाहरी बता विरोध कर रहे पार्टी के नेता कांग्रेस में बैंस-ब्रदर्स की एंट्री से और भड़क उठे। वीरवार को युवा नेता व कौंसलर परविंदर लापरां ने इस्तीफा दे दिया। राहुल गांधी को भेजी चिट्‌ठी में उन्होंने बिना किसी का नाम लिखे रेप के आरोपी को कांग्रेस में शामिल करने को भी बड़ी वजह बताया। यहां बताते चलें कि महानगर में एक महिला ने छोटे-बैंस व उनके साथियों पर दुष्कर्म का आरोप लगाते पर्चा दर्ज कराया था। काफी हंगामे के बाद आरोपी बैंस की गिरफ्तारी हुई थी।

वीरवार को ही लापरां-प्रकरण के बाद देर शाम कांग्रेसी उम्मीदवार राजा वड़िंग को फिर नया झटका लगा। आत्मनगर से विधायक रहे छोटे-बैंस ने उसी इलाके में चुनावी-सभा कराई। उन पर दुष्कर्म का केस करने वाली बैंस-बंधुओं का सियासी-कद :  कभी लुधियाना से अपना सियासी-दायरा बढ़ाकर पंजाब के एक बड़े हिस्से में बैंस-ब्रदर्स ने खास पहचान बना ली थी। खुद बनाई लोक इंसाफ पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ जीतकर दोनों विधायक बने थे। बड़े भाई जत्थेदार बलविंदर सिंह बैंस एसजीपीसी मेंबर रहे थे। जबकि छोटे-बैंस सिमरजीत सिंह ने कौंसलर बनकर जिले में तेजतर्रार राजनेता के तौर पर पहचान बनाई थी। वही लिप के मुखिया भी हैं, लिहाजा हर सियासी-फ्रंट पर छोटे-बैंस ही बड़े भाई जत्थेदार बलविंदर सिंह बैंस की जगह कमान संभालते हैं।महिला ने सभा स्थल के बाहर पहुंचकर हंगामा किया। पुलिस ने उसे बामुश्किल वहां से हटाया, लेकिन यह खबर विरोधियों ने खूब फैलाई। जिसके चलते राजा वड़िंग के समर्थक चिंतित बताए जा रहे हैं।

बैंस-बंधुओं का सियासी-कद : कभी लुधियाना से अपना सियासी-दायरा बढ़ाकर पंजाब के एक बड़े हिस्से में बैंस-ब्रदर्स ने खास पहचान बना ली थी। खुद बनाई लोक इंसाफ पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ जीतकर दोनों विधायक बने थे। बड़े भाई जत्थेदार बलविंदर सिंह बैंस एसजीपीसी मेंबर रहे थे। जबकि छोटे-बैंस सिमरजीत सिंह ने कौंसलर बनकर जिले में तेजतर्रार राजनेता के तौर पर पहचान बनाई थी। वही लिप के मुखिया भी हैं, लिहाजा हर सियासी-फ्रंट पर छोटे-बैंस ही बड़े भाई जत्थेदार बलविंदर सिंह बैंस की जगह कमान संभालते हैं।

 

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