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तब से अब तक के नारों का मतलब – भ्रष्ट स्वार्थी मांगे वोट, दो उसको जूते की चोंट

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देश की आजादी के बाद शुरू हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उस समय के राजनीतिक दल एक दूसरे के खिलाफ चाहे जिस तरह के नारों का प्रयोग करते रहे हो लेकिन आज की जो सच्चाई है। वह यही नारा लगवा की नजर आती है , भ्रष्ट स्वार्थी मांगे वोट, दो उसको जूते की चोंट I

वैसे भी इस चुनावी दौर में अगर नारों की बात ना हो तो चुनाव का यह महापर्व कुछ फीका सा लगने लगता है।

वैसे उत्तर प्रदेश जैसे प्रातों में चुनावी नारों का चलन काफी ज्यादा रहा है। इनके बगैर यहां कोई चुनावी चर्चा पूरी नहीं होती थी। हालांकि कुछ साल पहले तक चुनावी चकल्लस का जरूरी हिस्सा रहने वाले नारे अब कम सुनाई पड़ते हैं। इनमें से बहुत से नारे ऐसे रहे, जिनके सहारे कभी सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने की कोशिश की गई थी। इनकी बानगी कुछ इस प्रकार से है।

 

1- जमीन गई चकबंदी में,

मकान गया हदबंदी में,

द्वार खड़ी औरत चिल्लाए,

मेरा मरद गया

नसबंदी में

(आपातकाल और नसबंदी अभियान के खिलाफ काफी चर्चित रहा नारा ) .

 

2- जली झोपड़ी भागे बैल,

यह देखो दीपक का खेल

(साठ के दशक में जनसंघ और कांग्रेस में नारों के जरिये खूब नोंकझोंक होती थी। उस समय जनसंघ का चुनाव चिह्न दीपक था जबकि कांग्रेस का चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी थी)

 

3- इस दीपक में तेल नहीं,

सरकार बनाना खेल नहीं।

 

(जनसंघ के ‘जली झोपड़ी भागे बैल, यह देखो दीपक का खेल’ नारे के जवाब में कांग्रेस का ये जवाबी नारा था)

 

4- खरो रुपयो चांदी को,

राज महात्मा गांधी को।

 

(1952 में आजादी के बाद के पहले चुनाव में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ये नारा दिया था)

 

5- संजय की मम्मी–बड़ी निकम्मी

(1977 में इंदिरा के खिलाफ नारा)

 

6- बेटा कार बनाता है,

मां बेकार बनाती है ।

(1977 में इंदिरा के खिलाफ नारा)

 

7- नसबंदी के तीन दलाल-

इंदिरा, संजय, बंसीलाल

(1977 में इंदिरा के खिलाफ नारा)

 

8- एक शेरनी सौ लंगूर,

चिकमंगलूर-चिकमंगलूर

(1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर से इंदिरा गांधी उप चुनाव लड़ रही थीं। उस दौरान दक्षिण भारत के कांग्रेसी नेता देवराज उर्स ने यह नारा दिया था। )

 

9- संसोपा ने बांधी गांठ,

पिछड़े पावें सौ में साठ।

 

(पिछड़ों को सत्ता में भागीदारी के लिए समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया दिया गया नारा)

 

10- देश की जनता भूखी है ,

यह आजादी झूठी है।

 

(आजादी के बाद कम्यूनिस्ट नेताओं द्वारा दिया गया नारा।)

 

11- लाल किले पर लाल निशान, मांग रहा है (हिंदुस्तान

(लेफ्ट पार्टियों द्वारा दिया गया नारा।)

 

12- धन और धरती बंट के रहेगी,

भूखी जनता चुप न रहेगी।

 

(समाजवादियों और साम्यवादियों की ओर से 1960 के दशक में दिया गया नारा।)

 

13- आकाश से नेहरू करें पुकार,

मत कर बेटी अत्याचार।

(आपातकाल के खिलाफ दिया गया एक नारा।)

 

14- देखो इंदिरा का ये खेल,

खा गई राशन, पी गई तेल।

 

(इंदिरा के गरीबी हटाओ नारे का उनके राजनीतिक विरोधियों ने इस नारे से जवाब दिया था।)

 

15- जात पर न पात पर,

इंदिराजी की बात पर,

मुहर लगाना हाथ पर

 

(कांग्रेस के लिए साहित्यकार श्रीकांत वर्मा का लिखा यह नारा काफी चर्चित रहा।)

 

16- जगजीवन राम की आई आंधी,

उड़ जाएगी इंदिरा गांधी।

(आपातकाल के दौरान एक नारा।)

 

17- गरीबी हटाओ (1971 में इंदिरा गांधी ने यह नारा दिया था। उस दौरान वो अपनी हर चुनावी सभा में अपने भाषण के अंत में एक ही वाक्य बोलती थीं- ‘वे कहते हैं, इंदिरा हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ, फैसला आपको करना है)

 

18- जिंदा कौमें पांच साल तक इंतजार नहीं करतीं

(राम मनोहर लोहिया द्वारा दिया गया नारा)

 

19- इंदिरा इज़ इंडिया एण्ड इंडिया इज़ इंदिरा (कांग्रेस नेता देवकांत बरुआ ने आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के बारे में ये नारा दिया था।)

 

20- इंदिरा हटाओ ,देश बचाओ

( 1977 में जय प्रकाश नारायण द्वारा दिया गया नारा।)

 

21- सम्पूर्ण क्रांति अब नारा है।

भावी इतिहास तुम्हारा है।

ये नखत अमा के बुझते हैं।

सारा आकाश तुम्हारा है।

दो राह समय के रथ का घर्घर नाद सुनो/ सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ।

( जेपी आंदोलन के दौर में रामधारी सिंह दिनकर की कविता कि ये पंक्तियां जनांदोलन का नारा बन गई।)

 

22- जब तक सूरज चांद रहेगा,

इंदिरा तेरा नाम रहेगा।

(1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस द्वारा दिया गया नारा।)

 

23- मेरे खून का अंतिम कतरा तक इस देश के लिए अर्पित है ।

 

(इंदिरा की हत्या के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में कांग्रेस ने इंदिरा के इस कथन को बतौर नारा प्रयोग किया।)

 

24- उठे करोड़ों हाथ हैं,

राजीव जी के साथ हैं।

 

(इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ आम चुनाव में ये नारा गूंजा।)

 

25- राजा नहीं फकीर है,

देश की तकदीर है।

 

(1989 के चुनावों में वीपी सिंह को लेकर बना यह नारा काफी चर्चित रहा।)

 

26- सौगंध राम की खाते हैं,

हम मंदिर वहीं बनाएंगे।

ये तो पहली झांकी है,

काशी मथुरा बाकी है।

रामलला हम आएंगे,

मंदिर वहीं बनाएंगे।

(राम मंदिर आंदोलन के दौर में भाजपा और संघ के नारे)

 

27- राजीव तेरा ये बलिदान,

याद करेगा हिंदुस्तान

(1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस पार्टी ने ये नारा दिया।)

 

28- सबको देखा बारी-बारी,

अबकी बार अटल बिहारी।

(1996 में भाजपा द्वारा दिया गया नारा।)

 

29- अटल बिहारी बोल रहा है,

इंदिरा शासन डोल रहा है।

(भारतीय जनसंघ के दौर में उसका एक नारा।)

 

30- भूरा बाल साफ करो

(लालू पर ये आरोप लगा कि उन्होंने ये नारा 1992 में ऊंची जाति के लोगों को अपमानित करने के लिए उछाला था।)

 

31- रोटी, कपड़ा और मकान,

मांग रहा है हिंदुस्तान

(समाजवादी नेताओं द्वारा दिया गया नारा)

 

32- महंगाई को रोक न पाई,

यह सरकार निकम्मी है,

जो सरकार निकम्मी है,

वह सरकार बदलनी है।

(समाजवादियों द्वारा इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया नारा)

 

33- अटल, आडवाणी, कमल निशान,

मांग रहा है हिंदुस्तान।

 

(भाजपा द्वारा उसके शुरुआती दिनों में दिया गया नारा।)

 

34- जात पर न पात पर,

मुहर लगेगी हाथ पर

 

(1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा दिया गया नारा।)

 

35- राम और रोम की लड़ाई

(1999 के चुनाव में बीजेपी की तरफ से सोनिया गांधी पर निशाना साधने वाला ये नारा भी सामने आया। )

 

36- आधी रोटी खाएंगे,

इंदिराजी को लाएंगे।

इंदिरा जी की बात पर,

मुहर लगेगी हाथ पर।

(जनता पार्टी के ढाई साल के शासन से परेशान जनता की भावनाओं को भुनाने के लिए 1980 में कांग्रेस ने ये नारा दिया था।)

 

37- अमेठी का डंका,

बेटी प्रियंका।

(अमेठी में प्रियंका गांधी के पहली बार चुनाव प्रचार में पहुंचने पर स्थानीय कांग्रेसियों का नारा। )

 

38- हर हाथ को काम,

हर खेत को पानी,

हर घर में दीपक,

जनसंघ की निशानी।

(जनसंघ के समय में उसका एक नारा।)

 

39- मां, माटी, मानुष ।

(2010 में बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस द्वारा दिया गया नारा।)

 

40- ठाकुर बाभन बनिया चोर,

बाकी सब हैं डीएसफोर।

तिलक ताराजू और तलवार,

इनको मारो जूते चार।

(कांशीराम द्वारा दिए गए नारे।)

 

41- मिले मुलायम कांशीराम,

हवा हो गए जयश्रीराम।

(993 में जब यूपी में सपा और बसपा ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था तो भाजपा को टार्गेट करता हुआ ये नारा काफी चर्चित रहा।)

 

42- चलेगा हाथी उड़ेगी धूल,

ना रहेगा हाथ, ना रहेगा फूल

(बसपा का एक नारा। )

 

43- ऊपर आसमान,

नीचे पासवान

(कभी बिहार में रामविलास पासवान को लेकर ये नारा काफी चर्चित था।)

 

44-चढ़ गुंडन की छाती पर,

मुहर लगेगी हाथी पर।

(बसपा द्वारा दिया गया एक नारा।)

 

45-अबकी बार मोदी सरकार।

(2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा दिया गया नारा। )

 

46- कट्टर सोच नहीं युवा जोश।

( 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा दिया गया नारा।)

 

47-यूपी में है दम ,

क्योंकि जुर्म यहां है कम

( 2007 उत्तर प्रदेश विधानसभा के समय सपा द्वारा दिया गया नारा।)

 

48- गुंडे चढ़ गए हाथी पर

गोली मारेंगे छाती पर ।

(बसपा के नारे के खिलाफ विपक्षियों का चर्चित नारा।)

 

49 -पंडित शंख बजाएगा,

हाथी बढ़ता जाएगा।

( 2007 उत्तर प्रदेश विधानसभा के समय बसपा द्वारा दिया गया नारा।)

 

50 -हाथी नहीं गणेश है,

ब्रह्मा-विष्णु महेश है।

( 2007 उत्तर प्रदेश विधानसभा के समय बसपा द्वारा दिया गया नारा।)

 

51 – अबकी बार मोदी सरकार’,

हर-हर मोदी, घर-घर मोदी।

 

(2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के कई नारों में से एक )

 

52 – 2019 के नए नारे में बीजेपी ने सिर्फ नया शब्द ‘फिर’ जोड़ा था।

53 – अब होगा न्याय… ‘।

( कांग्रेस का 2019 का नारा )

 

इनमें से किसी भी दल से चुनाव नहीं लड़ने वाले यानी निर्दलीय लोगों के नारे की चर्चा करें तो उसके मुताबिक –

बसपा भ्रष्ट, भाजपा बेईमान।

सपा धोखेबाज और कांग्रेस सबकी बाप

 

लेकिन देश और समाज के हित में चुनावी महापर्व पर जो सबसे महत्वपूर्ण नारा लोगों को उचित लगता है ,उसके मुताबिक –

भ्रष्ट स्वार्थी मांगे वोट, दो उसको जूते की चोंट ।

: प्रस्तुति :

सुनील बाजपेई

(कवि ,गीतकार ,लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार) कानपुर।

 

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