पंजाब/यूटर्न/17 जुलाई: दर, दर की मैंने खाक है छानी, करता रहा मन की मनमानी। साईं तुमने लिया मुझे थाम… ठिकाना मेरा साईं चरणों में। यह भजन गाने वाला शखस है इच्छाधारी स्वामी भीमानंद जी महाराज चित्रकूटवाले। उनके खुले बाल गेंदे की पंखुडिय़ों से सजे हुए हैं, जबकि बाबा के हाई प्रोफाइल भक्त उनके समर्थन में झांझ बजा रहे हैं। यूपी के हाथरस में भगदड़ में 121 लोगों की मौत के बाद सूरजपाल उर्फ नारायण हरि सरकार भोले बाबा का नाम आने के साथ ही देश में विवादित बाबाओं को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। विवादित बाबाओं में एक नाम चित्रकूट के रहने वाले इच्छाधारी बाबा के नाम से मशहूर भीमानंद उर्फ शिवमूर्ति द्विवेदी का भी है।
गार्ड से लेकर सेक्स रैकेट के सरगना तक
दिल्ली में फाइव स्टार होटल में कभी सिक्योरिटी गार्ड रहे शखस ने करोड़पति बनने तक का सफर तय किया। द्विवेदी के बाबा बनने से लेकर फिर जेल जाने की कहानी दिल्ली और एनसीआर पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है। भीमानंद की एक बेटी है जिसने महाराष्ट्र से पढ़ाई की है। उसकी पत्नी मुन्नी देवी चित्रकूट में ही रहती थी। 1988 में दिल्ली आकर उसने होटल पार्क रॉयल में सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर ली। जल्द ही वह आगरा के एक फाइव स्टार होटल में रहने लगा। लेकिन वह एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। वह दक्षिण दिल्ली के लाजपत नगर इलाके में एक मसाज पार्लर में मैनेजर की नौकरी शुरू की। यहां उसकी मुलाकात एक द्विवेदी उपनाम वाले व्यक्ति से हुई। यह दोस्त, जो शिरडी के साईं बाबा का भक्त था। उसने, भीमानंद को अन्य स्वामियों और संतों के संपर्क में ला दिया। इसके बाद भीमानंद अलग-अलग जगहों पर जाकर सत्संग करने लगा। वो लोगों की समस्याओं को सुलझाने से लेकर शादी कराने और नौकरी दिलाने की आड़ में पैसे बनाना शुरू कर दिया। बाद में आगे चलकर वह पूरी तरह से सेक्स रैकेट का बड़ा सरगना बन गया।
इच्छाधारी बाबा के कितने रूप
प्राचीन काल के देवताओं की तरह, उनकी उपस्थिति भी जरूरत और परिस्थिति के हिसाब से अलग-अलग रूपों में प्रकट होती थी। अपने साथी साईं भक्तों के लिए, वे स्वामी भीमानंद था। संदेह से परे एक पवित्र व्यक्ति। अपनी गर्लफ्रेंड के लिए, वे बस शिव मूरत द्विवेदी था। अपने पीडि़तों और ग्राहकों के लिए, वे शिव मूर्ति थे, एक ऐसा व्यक्ति जो वेश्यावृत्ति, डकैती, हत्या के प्रयासों में लिप्त था और दलाल होने के आरोप में जेलों में आता-जाता रहा। यह सब साईं बाबा के नाम पर किया गया था। पुलिस के अनुसार, वह अपने सभी फ़ोन कॉल्स का जवाब हमेशा की तरह हेलो के बजाय ओम श्री साईं कहकर देता था। वह कॉल करने वाले की आवाज सुनता और फिर तय करता कि किसे ढूंढा जा रहा है- दलाल शिव मूर्ति या साईं भक्त स्वामी भीमानंद को।
पहली बार 1997 में हुआ था गिरफतार
द्विवेदी को पहली बार 1997 में गिरफतार किया गया था। इसके तुरंत बाद अगली गिरफतारी हुई। उसे 1998 में बदरपुर में चोरी का माल प्राप्त करने और डकैती के आरोप में गिरफतार किया गया। दिल्ली में पुलिस की निगाह में आने के बाद उसने अपना काम नोएडा में शुरू कर दिया। तब तक, उसने खानपुर में एक मंदिर बना लिया था। वह शिव मूरत द्विवेदी को इच्छाधारी स्वामी भीमानंद बना लिया था। 2003 में, नोएडा पुलिस ने द्विवेदी के साथ सौदा करने के लिए दो नकली ग्राहकों को भेजकर एक जाल (25 फरवरी को दिल्ली पुलिस द्वारा बिछाए गए जाल के समान) बिछाया। उन्होंने फर्जी बाबा, उसके दलाल और छह सेक्स वर्करों को गिरफतार किया। यह रैकेट दक्षिण दिल्ली में दो सरकारी फलैटों से चलाया जा रहा था- एक आरके पुरम में और दूसरा मोहंमदपुर में लोक निर्माण के माली राम नारायण का। भीमानंद ने उस फलैट को किराए पर दे रखा था। यह सब तब हो रहा था, जब एक लाख से अधिक भोले-भाले अनुयायियों को उसके पवित्र वेश के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
रैकेट में शामिल थी 500 लड़कियां
पुलिस का कहना है कि शिव मूर्ति अपने काम को एक बिजनेस की तरह चलाता था। वह लॉजिस्टिक के लिए एक या दो लोगों के अलावा किसी और पर भरोसा नहीं करता था। वह अक्सर अपने सेक्स वर्कर को पिक-अप पॉइंट पर खुद ही ले जाता था। वह सभी बुकिंग भी खुद ही लेता था। वह, अपनी छुट्टियों का एक डायरी रखता था। इसके साथ ही अपने अकाउंट में सावधानी बरतता था। उसके पास 50 से अधिक लड़कियां थीं जो सीधे उसके लिए काम करती थीं। उसके उसके पास 500 से अधिक लड़कियों के नंबर थे। जाहिर है, पैसा अच्छा था। 60 करोड़ से अधिक की संपत्ति
इच्छाधारी बाबा की कुल संपत्ति लगभग 60 करोड़ रुपये आंकी गई है। अपनी पारिवारिक संपत्ति को छोडक़र, उसके पास खानपुर में एक मंदिर और आश्रम और दिल्ली में तीन अन्य संपत्तियां हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में भी संपत्ति है। वहां वह 200 बिस्तरों वाला अस्पताल बनवा रहा था।
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