निगम में एमरजेंसी फंड के नाम पर आठ करोड़ घोटाला करने का मामला
लुधियाना 23 फरवरी। लुधियाना नगर निगम के सीवरेज एंड वाटर सप्लाई विभाग के ओएंडएम (ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस) सेल के अफसरों द्वारा सीएम द्वारा जारी किए गए एमरजेंसी फंड का गलत इस्तेमाल करते हुए जाली बिलों के आधार पर आठ करोड़ रुपए का घोटाला करने के आरोप लगे हैं। इस मामले का सच सामने लाने के लिए नगर निगम द्वारा एसआईटी गठित की गई, लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद भी एसआईटी घोटाले को उजागर नहीं कर सकी है। जबकि एसआईटी को सात दिन में रिपोर्ट पेश करने के आदेश थे। चर्चा है कि अक्सर मामले को दबाने के लिए एसआईटी का सहारा लिया जाता है। आईवॉश के लिए एसआईटी गठित की बात कह दी जाती है, जिसके बाद मामले को इधर उधर करके दबा दिया जाता है। हालांकि यूटर्न अखबार और जनहितैषी न्यूज चैनल की और से पहले ही बताया था कि यह जांच कमेटी सिर्फ दिखावे के लिए बनाई गई है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि जनता के आठ करोड़ रुपए इस तरह बर्बाद कर दिए गए, लेकिन निगम अधिकारियों व सरकार द्वारा इस मामले में एक्शन तक नहीं लिया। चर्चा है कि इसी तरह पहले भी कई घोटालों में जांच कमेटियां गठित की गई। लेकिन एक्शन कोई नहीं हो सका।
क्या हाउस दिला पाएगा इंसाफ या नहीं
जनता के पैसे को ही अधिकारियों द्वारा हेरफेर कर अपनी जेब भरी जा रही है। पहले स्वर्गीय पूर्व विधायक गुरप्रीत गोगी द्वारा इस मामले को निगम हाउस की मीटिंग में उठाने का आ्श्वासन दिया था। लेकिन उनकी मौत के बाद यह मामला शांत हो गया। अब देखना होगा कि क्या निगम हाउस द्वारा इस मामले में एक्शन लेकर जनता को उसका पैसा वापिस करके इंसाफ दिलाया जाएगा या नहीं।
क्या विपक्ष करवा पाएगा एक्शन
बता दें कि लुधियाना में हाल ही में नगर निगम चुनाव हुए हैं। जिसमें लोगों द्वारा कांग्रेस को 30 सीटें और भाजपा को 19 सीटें दिलाई गई। कांग्रेस पार्टी सबसे ज्यादा सीटें लेने वाला विपक्ष बन चुकी है। अब देखना होगा कि जनता द्वारा कांग्रेस और भाजपा पर जो यकीन किया गया है, वह उनके भरोसे पर खरे उतरेगें या नहीं। वैसे भी करीब डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव है। ऐसे में विपक्ष एक्टिव हो जाता है। जिसके चलते शहर की जनता को उम्मीद है कि कांग्रेस और भाजपा द्वारा अफसरों पर एक्शन करवाया जाएगा।
लोगों के फायदे को लागू हुई थी सुविधा
जानकारी के अनुसार निगम के कई कार्यों में एकदम फंड होने की जरुरत को समझते हुए करीब तीन साल पहले पंजाब सरकार द्वारा एमरजेंसी फंड की सुविधा शुरु की। इस फंड के लिए सिर्फ नगर निगम कमिश्नर के पास ही पावर है। कमिश्नर के हस्ताक्षर के बाद ही बिल पास हो सकता है। बेशक पंजाब सरकार द्वारा लोगों को फायदा पहुंचाने को फंड की सुविधा दी गई, लेकिन अफसरों ने इन्हें अपने घर भरने में इस्तेमाल करना शुरु कर दिया। इस एमरजेंसी फंड में निगम कमिश्नर द्वारा एक बिल ढ़ाई लाख रुपए तक पास किया जा सकता है। चर्चा है कि इसी तरह ढ़ाई-ढ़ाई लाख तक के बिल बनाकर चार महीने में आठ करोड़ का हेरफेर कर दिया गया।