सीपीसीबी की रिपोर्ट में पवित्र जल प्रदूषित, सीएम योगी ने सिरे से नकारी सरकारी रिपोर्ट
प्रयागराज में जारी कुंभ मेले के समापन से पहले संगम क्षेत्र में गंगा-यमुना के पानी की शुद्धता को लेकर दो रिपोर्ट सामने आई हैं। जिसे लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले में दरअसल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानि सीपीसीबी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी को 3 फ़रवरी को एक रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें कहा था कि गंगा-यमुना के पानी में तय मानक से कई गुना ज़्यादा फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया हैं।
जिसके बाद यह मुद्दा मीडिया में सुर्खियां बना और अब इस पर सियासत भी तेज हो गई है। यह रिपोर्ट आने के बाद 18 फरवरी को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी को एक नई रिपोर्ट दी। जिसमें सीपीसीबी की रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया गया। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस पर एनजीटी ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए यूपीपीसीबी से नई रिपोर्ट मांगी। इस मामले पर 28 फ़रवरी को अगली सुनवाई होगी, जबकि महाकुंभ 26 फ़रवरी को समाप्त हो जाएगा। खैर, महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में 13 जनवरी से स्नान चल रहा है। यूपी सरकार से जारी आंकड़ों के मुताबिक़ अब तक क़रीब 60 करोड़ से ज्यादा लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं। सीपीसीबी ने कुंभ मेला के दौरान श्रृंगवेरपुर घाट, लॉर्ड कर्जन ब्रिज, नागवासुकी मंदिर, दीहा घाट, नैनी ब्रिज और संगम क्षेत्र से पानी के सैंपल लिए। इसमें 13 जनवरी को गंगा के दीहा घाट और यमुना के पुराने नैनी ब्रिज के पास से लिए सैंपल में 100 मिलीलीटर पानी में फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया 33,000 एमपीएन मिला। श्रृंगवेरपुर घाट के सैंपल में फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया 23,000 एमपीएन पाया गया। सीपीसीबी के मुताबिक़ नहाने के लिए 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 एमपीएन सुरक्षित स्तर है। संगम जहां सबसे ज़्यादा लोग स्नान करते हैं, यहां सुबह और शाम का परीक्षण किया गया। जिसमें पाया गया कि यहां फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया 100 मिलीलीटर पानी में 13,000 एमपीएन है।
रिपोर्ट में फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया ही नहीं, अन्य मानकों पर भी स्नान क्षेत्र का पानी आचमन और स्नान करने योग्य नहीं पाया गया। सीपीसीबी ने यह भी कहा है कि कुंभ में बड़ी संख्या में लोग स्नान करते हैं, इसके कारण लोगों के शरीर और कपड़ों से गंदगी निकलती है। इससे पानी में मल बैक्टीरिया का घनत्व बढ़ जाता है। कोलीफ़ॉर्म बैक्टीरिया कई सारे बैक्टीरिया का समूह है। के मुताबिक़, यह इंसानों और जानवरों की आंत और मल में पाया जाता है। यह शरीर में रहता है तो नुक़सानदायक नहीं है। पानी में मिलने के बाद बैक्टीरिया ख़तरनाक हो जाता है। टोटल कोलीफ़ॉर्म का एक प्रकार फ़ीकल कॉलीफ़ॉर्म है। इसका ही एक प्रकार ई. कोली बैक्टीरिया भी है। टोटल कोलीफ़ॉर्म मिट्टी या अन्य कारणों से पनप सकता है, लेकिन फ़ीकल कोलीफ़ॉर्म और ई. कोली मल से ही आता है।ई. कोली का हर स्ट्रेन ख़तरनाक नहीं होता, लेकिन ई.कोली 0157: एच 7 को नुक़सानदायक माना जाता है।
दूसरी तरफ, कुंभ में गंगा-यमुना के पानी को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है। यूपी सरकार ने सीपीसीबी की रिपोर्ट रे से ख़ारिज कर दी। मुख्यमंत्री योगी ने 19 फ़रवरी को विधानसभा में इस रिपोर्ट को ख़ारिज करते कहा है कि त्रिवेणी संगम का पानी ना केवल नहाने, बल्कि पीने के लिए भी पूरी तरह से सही है। जबकि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि बीजेपी वाले इस पानी का इस्तेमाल खाने-पीने और नहाने में करें, तब मानेंगे कि गंगा का पानी साफ़ है। सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि सरकार ने गंगा को इवेंट मैनेजमेंट का केंद्र बना दिया है। इस सरकार ने 2025 में नाकामी की गंगा बहाई है। सीपीसीबी ने छह मानकों पर संगम क्षेत्र के पानी को जांचा है।
नदियों के जल पर शोध करने वाले दीपेंद्र सिंह कपूर के मुताबिक सीपीसीबी की रिपोर्ट बता रही है कि प्रदूषण है तो इसे नकारा नहीं जा सकता। इसके दो पक्ष हैं, पहला कि इतने बड़े स्नान में कोई बीमारी किसी को नहीं हुई। वहीं इसका दूसरा पक्ष है कि जो भी व्यक्ति वहां स्नान कर रहा है, वह वहां रूक तो रहा नहीं है, उसे बीमारी घर पर होगी। कुंभ से आने के बाद कई लोगों को बुखार, नाक बहना, छींकना, खांसी और ज़ुकाम सहित सांस से संबंधित बीमारियों के मामले सामने आए हैं। परिवार के साथ संगम में डुबकी लगाने वाली ग्रेटर नोएडा की सिमरन शाह के मुताबिक कुंभ से आने के बाद परिवार के सभी लोगों की तबीयत ख़राब हो गई।
नई दिल्ली में मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के पूर्व निदेशक डॉ. पन्नालाल के मुताबिक इतनी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं तो इसे टाल पाना बहुत मुश्किल है। जितने लोग पहुंचे हैं कम से कम 20 फ़ीसदी लोगों पर इस बैक्टीरिया का असर दिखाई देगा।
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