मुद्दे की बात : अडाणी ग्रुप पर लगातार संकट, अब श्रीलंका में अहम ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट से पीछे हटना पड़ा

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बांग्लादेश, फिर कीनिया में अडाणी समूह को लग चुके हैं आर्थिक झटके

अडाणी ग्रुप को लगातार आर्थिक-झटके लग रहे हैं। दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक गौतम अडाणी की मुश्किलें हाल के सालों में बढ़ी हैं। हाल ही में अडाणी ग्रीन एनर्जी ने श्रीलंका में अपने एक अरब डॉलर के विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स से हटने का फ़ैसला किया। कंपनी ने बयान में कहा कि कई ज़रूरी मंज़ूरियां मिलने के बावजूद कंपनी इसलिए इन प्रोजेक्ट्स से पीछे हट रही है, क्योंकि कुछ पर्यावरणीय क्लीयरेंस मिलने में देरी हो रही है। साथ ही श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट में एक लंबित मामले की वजह से उसे ऐसा करना पड़ा। फिलहाल इसी मुद्दे पर अडाणी ग्रुप मीडिया में फिर से सुर्खियों में बना है।

इसे लेकर बीबीसी की खास रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने बयान दिया कि हम श्रीलंका की संप्रभुता, उसके फ़ैसलों का सम्मान करते हैं, इसलिए हम इस प्रोजेक्ट से सम्मानपूर्वक हट रहे हैं। यह परियोजना श्रीलंका के मन्नार और पुनेरिन में 484 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने के साथ-साथ 220 केवी और 400 केवी ट्रांसमिशन नेटवर्क के विस्तार पर केंद्रित थी। पिछले साल श्रीलंका में अनुरा कुमारा दिसानायके के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अडाणी समूह का पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट जांच के घेरे में था। दिसानायके अपनी चुनावी मुहिम में इस प्रोजेक्ट पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते कह चुके थे कि सत्ता में आने पर वो इसे रद कर देंगे। अडाणी ग्रीन एनर्जी ने श्रीलंका के बोर्ड ऑफ़ इनवेस्टमेंट के चेयरमैन अर्जुना हेराथ को फ़रवरी, 2025 में चिट्ठी लिखी थी।

इसमें लिखा था कि हमारे अधिकारियों ने कोलंबो में सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड और मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत की थी। पता चला कि प्रोजेक्ट प्रस्ताव पर फिर से वार्ता करने के लिए कैबिनेट की ओर से नेगोसिएशन और प्रोजेक्ट कमेटी बनाई गई। इसकी जानकारी कंपनी के बोर्ड को दी गई और यह तय किया गया कि कंपनी श्रीलंका की संप्रभुता और इसके चुनाव के अधिकार का सम्मान करते हुए प्रोजेक्ट से बाहर हो जाएगी। अडानी ग्रीन एनर्जी के मुताबिक इस मेगा प्रोजेक्ट पर दो सालों से बातचीत चल रही थी। इसके साथ ही श्रीलंका के दक्षिणी हिस्से में 220 केवी और 400 केवी की ट्रांसमिशन लाइनों के विस्तार पर भी बात हो रही थी। कंपनी ने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त कमेटी के साथ 14 दौर की बातचीत के बाद 20 साल के लिए बिजली ख़रीद टैरिफ़ पर सहमति बनी थी। उसने प्रोजेक्ट की तैयारियों के लिए अब तक 50 लाख डॉलर खर्च किए। इस प्रोजेक्ट पर 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के समय में समझौता हुआ था। वहां इस मुद्दे को गोटाबाया सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों के सबूत के तौर पर देखते लोगों में भारी नाराज़गी थी।

गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में जुलाई, 2022 को आम बग़ावत में जनता ने राष्ट्रपति आवास समेत कई सरकारी इमारतें कब्ज़ा ली थीं और गोटाबाया देश छोड़कर भागे थे। दोनों पक्षों में मार्च, 2022 को पवन ऊर्जा परियोजना समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, लेकिन शर्तें सार्वजनिक नहीं की गई थीं।

इस प्रोजेक्ट को लेकर विवाद तब और तेज़ हो गया, जब जून, 2022 को सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड चेयरमैन फ़र्डिनांडो ने एक संसदीय समिति के सामने गोटाबाया राजपक्षे पर दबाव में आने का बयान दिया था। बयान के अनुसार, मन्नार ज़िले में एक विंड पावर प्लांट का टेंडर भारत के अडाणी समूह को दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया रापर यह सौदा अडाणी ग्रुप को देने के लिए दबाव बनाया गया था। हालांकि बाद में उन्होंने अपना बयान ये कहते हुए वापस ले लिया कि उन्होंने यह भावुकता में आकर कह दिया था। ये समझौता उस समय हुआ था, जब संकटग्रस्त श्रीलंका को भारत सरकार ने आर्थिक मदद देनी शुरू की थी। इस समझौते पर पारदर्शिता ना होने को लेकर श्रीलंका में बड़े स्तर पर इसकी आलोचना हुई थी।

श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति दिसानायके ने इस समझौते की तीखी आलोचना की थी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस समझौते में बिजली बिक्री की दर 0.0826 डॉलर प्रति किलोवाट तय की गई, जो कि स्थानीय कंपनियों की बोली से अधिक थी। मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि मन्नार के निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने एक प्रमुख पक्षी कॉरिडोर को नुक़सान पहुंचने की आशंका जताई थी और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। हालांकि अडाणी ग्रीन एनर्जी के प्रवक्ता ने उस समय एक बयान जारी किया था कि कंपनी का इरादा पड़ोसी मुल्क की ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश है।

पिछले साल जब बांग्लादेश में शेख़ हसीना सरकार का तख़्तापलट हुआ तो उसके बाद अडाणी पावर की बिजली आपूर्ति परियोजना पर भी असर पड़ा। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने बिजली को लेकर हुए समझौते की समीक्षा की बात कही थी। अडाणी पावर भारत में मौजूद 1600 मेगावाट के बिजली संयंत्र के ज़रिए बांग्लादेश में बिजली की आपूर्ति करता है। जो कि बांग्लादेश की कुल बिजली खपत का 10 फ़ीसदी है। नवंबर, 2024 में भुगतान में देरी पर अडाणी पावर ने बिजली आपूर्ति आधी कर दी थी। नवंबर, 2024 में ही अडाणी ग्रुप को एक और बड़ा झटका तब लगा, जब कीनिया में एक एयरपोर्ट को विकसित करने और बिजली ट्रांसमिशन से जुड़े दो ठेकों को उसने रद कर दिया। समझौते के तहत देश और क्षेत्र के सबसे बड़े एयरपोर्ट जोमो केन्याटा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के 30 साल तक संचालन का ठेका अडाणी ग्रुप को दिया गया था। इस समझौते को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और जेकेआईए एयरपोर्ट के कर्मचारियों ने इस सौदे को रद करने की मांग करते हुए हड़ताल शुरू कर दी। उधर, अमेरिका में अडाणी पर आरोप तय किए जाने के बाद कीनिया की सरकार ने ये कदम उठाया था। हालांकि अडाणी ग्रुप ने तब दावा किया था कि किसी भी कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए गए थे।

पिछले दिनों गौतम अडाणी, उनके भतीजे सागर अडाणी समेत आठ लोगों के ख़िलाफ़ अमेरिका में धोखाधड़ी के आरोप तय किए गए थे। अडाणी ग्रुप पर अमेरिका में अपनी एक कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए 25 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने का आरोप लगा था। जनवरी, 2023 में अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें अडाणी ग्रुप पर वित्तीय धोखाधड़ी और शेयरों में हेरफेर के आरोप लगाए गए। जिसके बाद ग्रुप से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी।

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