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मुद्दे की बात : हाईटेक हों, मगर दिमागी-कसरत जरुरी

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गूगल मैप से अधूरे पुल पर चढ़ी कार नदी में गिरने से छिड़ी बहस

सूचना क्रांति के इस दौर में कमोबेश हर शख्स हाईटेक होने की वजह से दिमागी-कसरत भूलता जा रहा है। नतीजतन, बीते दिनों यूपी के बरेली इलाके में एक कार आधे बने पुल से नीचे गिर गई। इस हादसे में कार में सवार तीन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। पुलिस जांच के मुताबिक, कार गूगल मैप की लोकेशन के हिसाब से चल रही थी और मैप ने उन्हें अधूरे बने पुल पर पहुंचा दिया। जब तक ड्राइवर कुछ समझ पाता, कार पुल से सीधे रामगंगा नदी में जा गिरी। यह हादसा सुबह 5 से 6 बजे के बीच हुआ। उस समय आसपास घना कोहरा छाया हुआ था। इस वजह से कार में बैठे लोगों को पुल के आधे बने होने का पता ही नहीं चला।

इसे हादसे को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स सामने आईं, जिनमें यही संदेश दिया गया कि हाईटेक होकर भी दिमागी-कसरत यानि अपने विवेक का इस्तेमाल निहायत जरुरी है। दरअसल आज के दौर में गूगल मैप का इस्तेमाल बेहद आम है। अधिकांश लोग घर से निकलते ही सटीक लोकेशन के लिए कार या मोबाइल में गूगल मैप ऑन रखते हैं। बरेली में हुए हादसे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या गूगल मैप गलत रास्ता दिखा सकता है ? क्या गूगल मैप पर आंख बंद करके भरोसा करना सही है ? बेशक गूगल मैप एक बेहद लोकप्रिय वेब मैपिंग सर्विस है, जिसे गूगल ने डेवलप किया है। इसमें सैटेलाइट की मदद से मैप दिखाई देता है। इसके जरिए आप अपनी लोकेशन से किसी रास्ते, होटल, पेट्रोल पंप, हॉस्पिटल जैसी जगह की दूरी देख सकते हैं। इसके लिए आपके पास मोबाइल, टेबलेट या लैपटॉप होना चाहिए।

अब अहम सवाल यही है कि क्या गूगल मैप गलत रास्ता भी दिखा सकता है ? दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक इसका जवाब साइबर एक्सपर्ट ईशान सिन्हा बताते हैं कि आमतौर पर गूगल मैप गलत रास्ता नहीं दिखाता है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में रास्ते को लेकर गलत जानकारी आपकी डिजिटल स्क्रीन पर शो हो सकती है। गूगल मैप पूरी तरह ऑनलाइन वेब टेक्नोलॉजी पर आधारित है। दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में भी बहुत सारे लोग गूगल मैप के सहारे यात्रा करते हैं। इसका एक बड़ा कारण ये भी है कि यह फ्री एप है। इसके जरिए किसी रास्ते या लोकेशन के बारे में एक क्लिक में पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा गूगल मैप हमें शॉर्ट कट रास्ता दिखाकर हमारा समय भी बचाता है। हालांकि कई बार ये गलतियां भी कर सकता है, जिसका खामियाजा यूजर्स को ही भुगतना पड़ सकता है। इसलिए इसके इस्तेमाल के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

दरअसल जब हम अपने मोबाइल में कोई लोकेशन सर्च करते हैं तो गूगल मैप उस लोकेशन की ट्रैफिक स्थिति भी बताता है। हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि गूगल को यह कैसे पता चलता है कि वहां ट्रैफिक जाम है या नहीं। क्या गूगल ने हर जगह कैमरे लगाए हुए हैं। ऐसा नहीं है, गूगल मैप हमारी ही मदद से ऐसा करता है। दरअसल जब हम कोई लोकेशन सर्च करते हैं तो गूगल मैप उस रास्ते के बारे में यह पता लगाता है कि वहां कुल कितने मोबाइल फोन एक्टिव हैं। साथ ही उन मोबाइल फोन यूजर्स की आगे बढ़ने की स्पीड क्या है।  इसी डेटा के आधार पर गूगल यह बताता है कि किसी सड़क पर ट्रैफिक जाम है या नहीं।

जब हम गूगल मैप पर किसी लोकेशन के बारे में सर्च करते हैं तो मैप कई चीजों की एनालिसिस करता है। इसमें उस लोकेशन से संबंधित सभी रास्ते और रास्ते से गुजरने वाले एक्टिव मोबाइल फोन यूजर्स का समय भी शामिल होता है। इसी विश्लेषण के आधार पर मैप नियत स्थान तक पहुंचने का अनुमानित समय बताता है। साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि गूगल मैप की ट्रैकिंग से हमारी प्राइवेसी को खतरा हो सकता है। दरअसल गूगल मैप हमारी लोकेशन और एक्टिविटीज को ट्रैक करता है। हालांकि गूगल दावा करता है कि वह अपने यूजर्स की प्राइवेसी का पूरा ध्यान रखता है। वह यूजर्स की लोकेशन किसी के साथ शेयर नहीं करता है। फिर भी गूगल मैप की लोकेशन केवल तभी ऑन करें, जब आपको इसकी जरूरत हो। कुल मिलाकर टेक्नोलॉजी हमारे लिए वरदान की तरह है, लेकिन इस पर बहुत ज्यादा निर्भर होना भी खतरनाक हो सकता है। गूगल मैप एक अच्छी वेब मैपिंग सर्विस है। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है कि गूगल का अनुमान हमेशा सटीक ही हो। कई बार उसका बताया रास्ता गलत भी साबित हो सकता है। इसकी कई टेक्निकल वजहें हो सकती हैं। इसलिए किसी भी नए रास्ते पर जाते समय खुद से भी सावधानी और सतर्कता जरूर बरतें।

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