मुद्दे की बात : नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन ?

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महाकुंभ में आम श्रद्धालु बड़ी तादाद में ट्रेनों से जा रहे, समय रहते शासन-प्रशासन ने माकूल सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं किए

उत्तर प्रदेश की धर्म-नगरी प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान आगजनी की घटना के बाद शनिवार देर रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन दिल दहलाने वाला हादसा हो गया। यहां से महाकुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं की बेहिसाब भीड़ के बीच बदइंतजामी के चलते भगदड़ मची। इस दर्दनाक घटना में 18 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि तमाम लोग घायल हैं।

ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर इन बेकसूर लोगों की मौतों के लिए जिम्मेदार कौन है ? क्या केंद्र सरकार, दिल्ली प्रशासन और खुफिया एजेंसियां हालात से बेखबर थीं। उनको क्या यह कतई पता नहीं था कि महाकुंभ में इस बार अनगिनत श्रद्धालु सड़क, रेल और हवाई मार्ग के जरिए पहु्ंच रहे हैं। खासतौर पर देश की राजधानी दिल्ली में तो केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन को खास चौकस रहने की जरुरत थी। अब इस मुद्दे पर मीडिया रिपोर्ट्स में तमाम बड़े सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं।

दिल्ली प्रशासन ने सभी 18 मृतकों के नाम की सूची भी जारी कर दी। वहीं, रेलवे ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का एलान कर दिया। खैर, ये सब तो शासन-प्रशासन की रुटीन प्रक्रियाएं हैं। गंभीर रूप से घायलों को ढाई लाख रुपये और मामूली रूप से घायल लोगों को एक लाख रुपये के मुआवज़े का ऐलान हुआ है। प्रशासन ने इस घटना के पीछे ज़्यादा भीड़ को वजह माना। साथ ही असली कारणों का पता लगाने के लिए जांच की बात कह दी। घटना के वक्त मौजूद चश्मदीदों ने भी भगदड़ के बारे में अपनी आखों-देखी बयां की। उनकी मानें तो प्लेटफॉर्मों पर जाने के लिए जिस पैदल पुल का इस्तेमाल होता है, वहां भगदड़ मची। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता हिमांशु उपाध्याय के मुताबिक जिस समय यह दुखद घटना घटी, उस समय प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर पटना की ओर जाने वाली मगध एक्सप्रेस और प्लेटफॉर्म नंबर 15 पर जम्मू की तरफ जाने वाली उत्तर संक्रांति एक्सप्रेस खड़ी थीं। इस दौरान फुट ओवर ब्रिज से सीढ़ियों पर यात्रियों के फिसने से उनके पीछे के कई यात्री इसकी चपेट में आ गए। हादसे की उच्च स्तरीय कमेटी जांच कर रही है। डीसीपी रेलवे केपीएस मल्होत्रा के अनुसार, भगदड़ क्यों मची, वो जांच होने के बाद सामने आएगा, यह काम रेलवे करेगा। भीड़ का अंदाज़ा हमें था. लेकिन दो ट्रेनों का लेट हो जाने से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर ऐसी स्थिति बनी।

तीन नंबर प्लेटफॉर्म से 13 नंबर प्लेटफॉर्म पर ट्रेन आने की  यात्रियों को जानकारी दी, क्या इस वजह से भगदड़ हुई ?

इस सवाल रेलवे पुलिस ने कहा, नहीं ऐसा कुछ नहीं था। शाम छह बजे से ही लोग लाखों की संख्या में जुटना शुरू हो गए थे, लोगों को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की गई ? इस पर डीसीपी ने दावा किया कि लाखों लोग नहीं थे, छह बजे स्थिति नियंत्रण में थी।

वहीं, अपनी ननद पिंकी को इस घटना में खो चुकीं सीमा ने बीबीसी को बताया कि हम लोग प्रयागराज के लिए जा रहे थे। लोग प्लेटफॉर्म के लिए सीढ़ी से उतरते पीछे से तेजी से धक्का दे रहे थे। उस धक्का-मुक्की में हम लोग नीचे गिरे, ऊपर सीढ़ी से सारे हमारे ऊपर गिर गए। पटना की ललिता देवी भांजे गिरधारी के साथ नई दिल्ली से पानीपत जा रही थीं। नई दिल्ली से ट्रेन पकड़ रहे थे, लेकिन प्लेटफ़ॉर्म 14 पर भगदड़ मचने से मामी की मौत हो गई। इस घटना में दिल्ली में किराड़ी के रहने वाले उमेश गिरी अपनी 45 वर्षीय पत्नी शीलम देवी को खो चुके हैं। उमेश कहते हैं कि मदद तो कुछ नहीं मिली, बाद में बहुत देर हो गई थी। मैंने कई पुलिस वाले, आरपीएफ़ वालों को कहा, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था।

घटना के वक्त नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद भारतीय वायुसेना के अधिकारी अजीत के मुताबिक वह यहां एक वीआईपी मूवमेंट के लिए आए थे, बाद मैं वापस जा नहीं पाए।

मुझे नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन से निकलने से एक घंटा लगा, जो कि मात्र दो मिनट का काम है। जब मुझे रास्ता नहीं मिला। भारतीय सेना और प्रशासन की तरफ से अनाउंसमेंट किया गया कि लोग 3-4 दिन के लिए रुक जाएं। एक ट्रेन में 5-10 हज़ार आदमी एक टाइम पर नहीं जा सकते हैं। लेकिन लोग नहीं माने और भगदड़ मच गई। कोई सुनने को तैयार नहीं था, मैंने भी चिल्ला-चिल्लाकर कहा कि दो-चार दिन रुक जाइए, मेला 26 फरवरी तक है। कुल मिलाकर फिर सवाल यही है कि आखिर महाकुंभ की ओर जाने वाली ट्रेनों में बेहिसाब श्रद्धालु रेलवे स्टेशनों पर पहुंच रहे थे तो सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर रेलवे, शासन-प्रशासन ने माकूल इंतजाम क्यों समय रहते नहीं किए।

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