राजेश कुमार/रेशम सिंह बाछल
अम्बाला सिटी, 2 नवंबर। पूरे देशभर में देवउठनी एकादशी एवं तुलसी विवाह का पावन पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाया जा रहा है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार माह के योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि में पुनः धार्मिक क्रियाकलापों की शुरुआत होती है।
श्री कृष्ण बांके बिहारी की सेवादार दया रानी, बबली देवी ने बताया कि अम्बाला सहित आसपास के क्षेत्रों में मंदिरों को फूलों और दीपों से सजाया गया है। भक्तजन भजन-कीर्तन करते हुए भगवान विष्णु और माता तुलसी की महिमा का गुणगान कर रहे हैं। इस मौके पर जगह-जगह धार्मिक झांकियां और भंडारे भी आयोजित किए जा रहे हैं। हिंदू धर्म में कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन से शुभ कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश और धार्मिक अनुष्ठान आरंभ किए जा सकते हैं। इस अवसर पर घरों, मंदिरों और तीर्थस्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तजन भगवान विष्णु की आराधना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। देवउठनी एकादशी के साथ ही तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें तुलसी माता और भगवान शालिग्राम (विष्णु रूप) का विवाह संपन्न किया जाता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। यह दिन हमें धर्म, आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश देता है।
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