लुधियाना की एसी मार्केट में करीब 500 करोड़ का घोटाला
लुधियाना 23 अप्रैल। लुधियाना में नगर निगम अफसरों की छत्रछाया में पहले इललीगल तरीके से अकालगढ़ मार्केट बनवाई गई। अब लुधियाना की चर्चित मार्केटों में से एक एसी मार्केट जिसे अब कैलिबर प्लाजा भी कहा जाता है, में इललीगल तरीके से दुकानें बनने का खुलासा हुआ है। यहीं नहीं इस मामले संबंधी पीड़ितों द्वारा हाईकोर्ट में केस दायर किए गए। पीड़ितों के अनुसार हाईकोर्ट ने दो बार 67 दुकानों, ऑफिस, स्टोर व चाय की दुकान को अवैध बताते हुए तोड़ने के ऑर्डर जारी किए हैं। लेकिन पंजाब सरकार से लेकर नगर निगम के कमिश्नर आदित्य डेचलवाल की और से मामले में कोई एक्शन नहीं लिया गया। जबकि एक दूसरे को पत्र भेजकर पत्र-पत्र खेल खेला जा रहा है। लिहाजा आज भी अवैध निर्माणों में धड़ल्ले से कमर्शियल कारोबार किया जा रहा है। पीड़ित सतीश कुमार ने कहा कि मान सिंह, उसके बेटे सतिंदर सिंह शैली, भाई गुरदीप सिंह व साथियों ने निगम अफसरों के साथ मिलकर करीब 500 करोड़ रुपए का स्कैम किया है। सतीश द्वारा यह भी आशंका जताई जा चुकी है कि अगर कभी कोई अप्रिय घटना मार्केट में होती है तो सैकड़ों की गिनती में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है। लेकिन फिर भी सरकार और प्रशासन बेप्रवाह होकर घूम रहे हैं।
1979 में सोसायटी ने बनाई थी मार्केट
बीआरएस नगर के सतीश कुमार ने बताया कि दया सिंह ज्ञान सिंह फर्म के पार्टनर मान सिंह द्वारा करीब 200 मेंबर जोड़कर साल 1979 में द लुधियाना होलसेल क्लाथ मर्चेंट्स शॉप कम ऑफिस बिल्डिंग सोसायटी बनाई। इस सोसायटी द्वारा भदौड़ हाउस के सामने जमीन लेकर सोसायटी के नाम पर चार रजिस्ट्रियां करवाई। सोसायटी द्वारा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चौड़ा बाजार ब्रांच में खाता खुलवाया।
345 दुकानों का नक्शा पास, बना डाली 775
सतीश कुमार ने आरोप लगाया कि सोसायटी के सदस्यों द्वारा 345 दुकानों का नगर निगम से नक्शा पास कराया। लेकिन दुकानें बनाने को पैसा न होने के चलते मान सिंह ने पटियाला के बिल्डर गुरप्रीत सिंह भिंडर को साथ मिलाया। जिसके चलते 345 दुकानों में से 200 दुकानें सोसायटी द्वारा और बाकी दुकानें भिंडर द्वारा बेची जानी थी। लेकिन सोसायटी ने 345 की जगह 775 दुकानें अवैध तरीके से बना डाली।
बदमाशी के दम पर नहीं करवाई रजिस्ट्रियां
सतीश कुमार अनुसार साल 1987-88 के दौरान मान सिंह सोसायटी की प्रधानगी हार गया और नया प्रधान चुना गया। मगर मान सिंह ने उसे जबरन साइड़ किया और खुद मार्केट की देखरेख करने लगा। उसने लोगों से पैसा इकट्ठा कर लिया और रजिस्ट्रियां नहीं करवाई। अगर कोई रजिस्ट्री कराने को कहता तो धमकियां मिलती थी। सतीश अनुसार उन्होंने 2002 में लुधियाना आकर दो दुकानें ली। पैसे लेने के बावजूद मान सिंह ने रजिस्ट्रियां नहीं करवाई। कई नेताओं की सिफारिशों के बाद दो रजिस्ट्रियां हुई।
नक्शे में पार्किंग और बना डाली दुकानें
सतीश अनुसार नक्शे में मार्केट की बेसमेंट में पार्किंग है। लेकिन मान सिंह ने अपने रिश्तेदारों व सोसायटी के सदस्यों के साथ मिलकर बेसमेंट में पहले 54 दुकानें बना दी। जिसके बाद जनरेटर की जगह पर 13 दुकानें और बना डाली। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि नक्शे में यह चीजें साफ होने के बावजूद निगम द्वारा एक्शन नहीं लिया जा रहा।
जबरन पैसे वसूलता रहा मान सिंह, हाईकोर्ट ने लगाई रोक
सतीश कुमार ने आरोप लगाया कि 2011 में उन्होंने हाईकोर्ट में केस दायर किया। जिसमें बताया कि सोसायटी के दो साल बाद चुनाव होते हैं, लेकिन वे नहीं हो रहे, मान सिंह द्वारा मैनटेंनस के नाम पर वसूली करने और मार्केट में बनी अवैध दुकानों संबंधी जानकारी दी गई। हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि दुकानदार अपनी नहीं सोसायटी बनाए और मान सिंह के पास मैनटेंनस के पैसे लेने का हक न होने के ऑर्डर किए।
दो बार हाईकोर्ट ने किए आदेश, निगम अफसरों ने की सेटिंग
पीड़ित अनुसार जब मान सिंह ने जबरन दुकानें बनानी शुरु की तो उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया। वहां पर हाईकोर्ट ने दुकानें गिराने के आदेश दिए। लेकिन निगम अफसरों ने टाल मटोल कर दिया और फिर जाकर मान सिंह के साथ सेटिंग कर ली। फिर वे दोबारा हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने फिर दुकानें गिराने के आदेश दिए। लेकिन फिर नगर निगम अफसरों ने सेटिंग कर ली।
हाईकोर्ट में नगर निगम ने दिया झूठा बयान
सतीश ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट में नगर निगम अधिकारियों द्वारा झूठा बयान गया। जिसमें कहा कि उन्होंने कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए कार्रवाई कर दी है। लेकिन मौके पर दुकानें वैसे की वैसे थी। जिसके बाद वे फिर हाईकोर्ट गए और सच्चाई बताई। कोर्ट ने कार्रवाई के आदेश दिए।
भाई व बेटे ने करवाई जाली रजिस्ट्रियां
टीएस भाटिया ने आरोप लगाया कि कुछ साल पहले मान सिंह की मौत हो गई। जिसके बाद मान सिंह के बेटे सतिंदर सिंह शैली और भाई गुरदीप सिंह ने एक फर्जी एजेंडा बनाया और बताया कि अब नई सोसायटी बन चुकी है। इस एजेंडा को कोर्ट में डाल दिया। जिसकी एवज में फर्जी सोसायटी बनाकर अवैध तरीके से 22 दुकानों की जाली रजिस्ट्रियां करवा दी। जिसके बाद सतिंदर सिंह करोड़ों रुपए अंदर करके विदेश भाग गया। जिसके बाद सोसायटी भी भंग कर दी गई। जबकि सोसायटी के खाते में अभी भी 48 लाख रुपए जमा है।