मुद्दे की बात : सुनहरा दौर लौट रहा भारतीय हॉकी का !

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भारतीय हॉकी को क्या मिलेगा क्रिकेट जैसा सम्मान

कभी जादूगर जैसे खिलाड़ी ध्यान चंद की मेहनत से सींची भारतीय हॉकी ने दुनिया में खास पहचान बनाई थी। बीते कुछ सालों में एक बार फिर भारतीय हॉकी का सुनहरा दौर लौटने की आस जगी है। इंडियन टीम ने अब एशियाई चैंपियंस ट्रॉफ़ी में अपने विजयी अभियान को बनाए रखा। यह सबसे अहम मुद्दा है कि अपने देश में ही हॉकी टीम की हौंसला-आफजाई क्रिकेट टीम की तरह होगी। केंद्र और राज्यों की सरकारें भी क्या इसके प्रति संजीदगी दिखाएंगी ?

खैर, सुखद पहलू यह है कि भारतीय टीम ने अपने अंतिम लीग मुकाबले में अपनी चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 2-1 से हराया। इस तरह भारत ने सभी पांच मैच जीतकर सेमीफाइनल में जगह बना ली है। भारत का मुकाबला अब सेमीफ़ाइनल के पूल में चौथे स्थान पर रहने वाली टीम से होगा। चौथे स्थान पर रहने वाली टीम का फैसला चीन और जापान के बीच होने वाले अंतिम मुकाबले से होगा। इन दोनों टीमों के अलावा मलेशिया इस स्थान की दावेदार है।

पूरे मुकाबले के दौरान पाकिस्तान ने युवा टीम होते हुए भी अच्छी हॉकी खेली। वह कई बार भारतीय डिफेंस की परख करने में भी सफल रही, पर उनके पास भारतीय ड्रेग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह का कोई जवाब नहीं था। पेनल्टी कॉर्नरों पर जमाए हरमनप्रीत सिंह के दो गोल ही मैच में दोनों टीमों के बीच सबसे बड़ा अंतर बने। भारत के शुरुआत में ही पिछड़ जाने पर पाकिस्तान टीम ऊंचे मनोबल के साथ खेल रही थी, जिस कारण भारत को बराबरी पाने में दिक्कत हो रही थी, लेकिन पहले क्वार्टर का खेल तीन मिनट बाकी रहने पर भारत मैच का पहला पेनल्टी कॉर्नर पाने में सफल हो गया। हरमनप्रीत सिंह ने तेज़ ड्रेग फ्लिक से गोल करके भारत को बराबरी दिला दी। दूसरे क्वार्टर की शुरुआत में भी भारत ने हमलावर सिलसिले को बनाए रखा और तीसरे मिनट में मिले दूसरे पेनल्टी कॉर्नर को हरमनप्रीत सिंह ने फिर से गोल में बदलकर भारत को 2-1 से आगे कर दिया और भारत इस बढ़त को आखिर तक बनाए रखने में सफल रहा। श्रीजेश के बाद पाठक ने बखूबी ज़िम्मेदारी निभाई। पिछले कुछ सालों में भारत को मिली सफलताओं में गोलकीपर श्रीजेश की अहम भूमिका रही है। पेरिस ओलंपिक के बाद उनके संन्यास लेने के बाद कृष्ण बहादुर पाठक ने उनकी जिम्मेदारी को संभाला है।

पाकिस्तान ने तीसरे क्वार्टर में अटैक करने में पूरी जान लगा दी। जिससे भारत पर लगातार खतरा मंडराता रहा,  पर पाठक की तारीफ़ करनी होगी कि उन्होंने बेहतरीन बचाव का प्रदर्शन करके भारत की बढ़त बनाए रखी। पेनल्टी कॉर्नर पर सुफयान खान की ड्रेग फ्लिक को पाठक ने बेहतरीन ढंग से रोका, रिबाउंड पर फिर गोल पर साधे गए निशाने को पाठक ने पैड करके बचाया और तीसरे मौके पर गेंद बाहर जाने से भारतीय खेमे में जान आई। इसके बाद पाकिस्तान एक और पेनल्टी कॉर्नर पाने में सफल रहा, पर इस बार अच्छी बात यह थी कि उनके पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ सुफयान खान येलो कार्ड की वजह से मैदान से बाहर जा चुके थे। कुल मिलाकर भारतीय खिलाड़ियों ने हौंसले का शानदार प्रदर्शन कर जीत हासिल कर ली।

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