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रियल एस्टेट कारोबारियों की निजी लड़ाई में श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ !

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विडंबना : लुधियाना में त्रिपति बालाजी की अलग-अलग रथयात्राएं निकाल ‘धनपति’ आखिर क्या देंगे संदेश ?

लुधियाना 2 दिसंबर। ऐतिहासिक नगरी लुधियाना उद्योगों में ही नहीं, बल्कि धर्म-कर्म के मामले में भी आगे रही है। सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के अभियान में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा के बाद त्रिपति बालाजी की रथयात्रा निकालने की महत्वूर्ण पहल भी महानगर में हुई थी। इसे विडंबना ही कहेंगे कि तीसरे साल ही इस परंपरा में बड़ी अड़चन पैदा हो गई है। जो धर्म-विरोधियों की साजिश नहीं, बल्कि यात्रा के आयोजकों के आपसी हितों के चलते बड़े संकट का कारण बन गई है। नतीजतन पूर्व घोषित रथयात्रा के बाद आयोजकों में से ही एक गुट ने गत दिवस अलग होकर दूसरी रथयात्रा निकालने का ऐलान कर दिया।

नेक नीयत थी, मंजिल हुई आसान :

इस विवाद को समझने से पहले इस रथयात्रा की पृष्ठभूमि को समझने की जरुरत है। दरअसल आस्था और श्रद्धा के चलते महानगर के कई नामी कारोबारी एक मंच पर आए थे। इनमें नामी रियल एस्टेट कारोबारी एमके प्रवीण अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, बीडी गोयल, दर्शन लाल लड्‌डू बवेजा, विजय बवेजा के साथ अन्य शामिल थे। पहले साल निकली भगवान त्रिपति बालाजी की भव्य शोभायात्रा देखकर श्रद्धालु भाव-‌विभोर हो गए थे। परिणाम स्वरुप पिछले साल दूसरी रथयात्रा बड़े स्तर पर निकाली गई। साथ ही इसे निकाले जाने से पहले तमाम उत्साहित सेवादार जुड़े और आर्थिक सहयोग करने वाले नामचीन लोग भी साथ आए।

फिर ऐसे पड़ी दरार :

जानकारों के अनुसार पिछले साल शोभायात्रा निकालने के बाद ही विवाद की नींव पड़ गई थी। तब बवेजा ग्रुप ने यात्रा के खर्चों के हिसाब-किताब को लेकर एमके ग्रुप पर सवाल उठाए थे। भले ही यह विवाद ऊपरी तौर पर तो थम गया था, लेकिन आयोजकों के दो गुट अंदरखाते तभी बन गए थे। चर्चा तो यहां तक रही थी कि आने वाले समय में आयोजक दोफाड़ हो जाएंगे।

अब प्रोपर्टी की तरह ‘बांट’ लिए भगवान :

जैसी आशंका थी, आखिरकार कल यानि रविवार को वैसा ही हो गया। पूर्व घोषित रथयात्रा 22 दिसंबर को निकाली जानी है। जिसके लिए मुख्य कार्यालय का उद्घाटन कार्यक्रम आरती चौक के पास आयोजकों ने रविवार शाम को रखा था। इससे थोड़ी देर पहले ही आयोजकों के एमके ग्रुप ने उसी स्थान के पास ही अपना अलग कार्यालय खोलकर अलग झंडा ‘गाड़’ दिया। यहां उल्लेखनीय है कि पहले से घोषित यात्रा की तैयारियों के दौरान एमके ग्रुप ‘साइलेंट-मोड’ पर था। रविवार को खुद इस ग्रुप के मुखिया प्रवीण अग्रवाल यहां ‘प्रकट’ हुए। इस दौरान इस ग्रुप ने 15 दिसंबर को ही त्रिपति बालाजी की रथयात्रा निकालने का ऐलान कर दिया। उनका तर्क था कि पहले से यात्रा की घोषणा करने वाले आरती कराने के नाम आर्थिक-सहयोग लेकर एक तरह से इस धार्मिक-परंपरा को बेचने का काम करते हैं। हालांकि बवेजा ग्रुप ने इस आरोप को बेबुनियाद बताते पलटवार किया कि एमके ग्रुप ने यात्रा के खर्चों का हिसाब-किताब नहीं दिया था। खैर, दूसरी यात्रा का ऐलान होते ही दूसरे ग्रुप में तो हलचल मची ही, शहर भर में चर्चाएं शुरु हो गईं। जबकि भावनात्मक रुप से इस धार्मिक यात्रा से जुड़े असंख्य श्रद्धालु आहत होने के साथ निराश हो गए।

दुष्परिणाम भी आने लगे सामने :

यहां उल्लेखनीय है कि महानगर के नामी कारोबारी राजीव गर्ग त्रिपति बालाजी की यात्रा की शुभ परंपरा के साथ ही आयोजकों से जुड़ गए थे। उन्होंने बालाजी के सेवादार के रुप में सनातन धर्म के इस प्रचार अभियान से जुड़ने के साथ यात्रा के आयोजन में आर्थिक योगदान भी किया था। अब ‘यूटर्न टाइम’ से बातचीत में राजीव गर्ग ने आहत होकर कहा कि दो यात्राएं निकाली जाना विडंबनापूर्ण है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ वाले ऐसे माहौल में वह अब तटस्थ रहेंगे। रथयात्रा के दौरान वह सक्रिय रुप से हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

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