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मुद्दे की बात : चुनावी-शोर में दब गई शिक्षा के अधिकार की मांग

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जगरांव की बेटी अव्वल तो राजनेता पिछड़े

शेरे-पंजाब लाला लाजपत राय की कर्मभूमि पंजाब के जगरांव कस्बे से एक बेटी ने शहीदों के सपने को साकार किया है। उस बेटी ने तो संविधान निर्माता डॉ.अबेडकर की नसीहत  ‘खूब पढ़ो, आगे बढ़ो’ पर बाखूबी अमल किया। कस्बे के आत्म नगर की रहने वाली आंचल गर्ग ने बीए एलएलबी आर्नस के तीसरे समेस्टर में 501 अंक हासिल पंजाब यूनिवर्सिटी में पहला स्थान हासिल किया है। आंचल के पिता सुखदेव गर्ग पीएसपीसीएल में कर्मचारी और माता सरोज बाला सिधवां बेट के सरकारी स्कूल में टीचर हैं। कुल मिलाकर एक मध्यमवर्गीय परिवार की इस होनहार बेटी ने पंजाब की शान बढ़ाने वाला काम किया।अब जरा, जारी लोकतंत्र के महापर्व में मचे सियासी-घमासान के बीच मचे शोर पर गौर करें। कमोबेश सभी प्रमुख दलों के राजनेता संविधान निर्माता के जरिए मिली लोकतांत्रिक ताकत का संसद-विधानसभा में कितना सदुपयोग कर रहे हैं ? चुनाव में मतदाताओं के सबसे बुनियादी हक शिक्षा पर कोई बात नहीं कर रहा। ऐसे में, जबकि पंजाब में आधी आबादी की युवा पीढ़ी लगातार तमाम परिक्षाओं में उम्मीदों पर सौ फीसदी खरी उतर रही है। राजनेता तो बस एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं। सबको शिक्षा के अधिकार की बात तो दूर महिलाओं को हक दिलाने के दावे करने वाले लड़कियों को शिक्षण संस्थानों में सुरक्षित माहौल मुहैया कराने में भी नाकाम साबित हुए हैं।निजी स्कूलों में पेरेंट्स से बच्चों से फीस, किताबों और वर्दी के नाम पर मनमाने तरीके से वसूली जारी है। शिकायतें भी होती हैं, लेकिन चुनावी-सीजन में सब फाइलों में दब गईं। आम आदमी खुद को इस मामले में भी ठगा महसूस कर रहा है। कहीं भी, किसी भी राजनीतिक मंच से शिक्षा के बुनियादी हक को लेकर कोई ठोस चर्चा होती नजर नहीं आती।

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