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सिविल सर्जन भी जिलाधीश से कम नहीं 7 दिन में मांगा था 17 दिन में दिया जवाब

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कहा  : उन पर लगाए आरोपों को दाखिल दफ्तर किया जाए

 

लुधियाना  26 दिसंबर :  जिले में सिविल सर्जन और जिलाधीश के बीच में चल रहे विवाद में सिविल सर्जन ने अपना स्पष्टीकरण स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को भेज दिया है यह और बात है कि उनसे स्पष्टीकरण स्वास्थ्य विभाग की ओर से 28 नवंबर को लिखे गए पत्र में 7 दिन में भेजने को कहा गया था परंतु यह स्पष्टीकरण 17 दिन बाद 17 दिसंबर को भेजा गया स्पष्टीकरण में सिविल सर्जन ने अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा बल्कि संबंधित विभागों को जवाब देने को कहा  में कहा गया कि उनके द्वारा आधिकारिक प्रोटोकॉल के तहत थी 8 नवंबर को पंजाब सरकार द्वारा नए चुने गए सरपंचों को शपथ ग्रहण करने के लिए आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम के दौरान फूड टीमों की ड्यूटी लगाई गई थी पर जैसे ही उन्हें पता चला कि फुड टीमे समय अनुसार निश्चित संस्थान पर नहीं पहुंची है तो इसके लिए उन्होंने जिला डेजिग्नेटिड अफसर से स्पष्टीकरण मांगा उनके द्वारा दिए गए उत्तर में यह बताया गया कि फूड टीम टूर प्रोग्राम के अनुसार समय पर समारोह स्थल पर पहुंच गई थी परंतु इस कार्यक्रम में आम पब्लिक को सर्व किए जाने वाले लंगर की टेस्टिंग के बारे में इस कार्यालय को पहले कोई सूचना नहीं थी जैसा कि उत्तर से स्पष्ट है कि फूड सेफ्टी अफसर द्वारा कोई ही लापरवाही नहीं की गई इसी तरह 12 नवंबर को उपराष्ट्रपति के दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा के मध्य नजर जो परफॉर्मा जिलाधीश द्वारा उन्हें भेजा गया था वह व्हाट्सएप के जरिए डायरेक्टर स्वास्थ्य विभाग तथा जिलाधीश को भेज दिया गया था इसी तरह फौजी की भर्ती प्रक्रिया के दौरान डोप टेस्ट के लिए पूरे प्रबंध किए गए थे इस सिलसिले में सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल अफसर द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण में यह कहा गया कि फौजी के अधिकारी ने ड्यूटी अफसर को कहा गया था कि आमुक दिनों मे डोप टेस्ट नहीं किए जाएंगे जबकि अन्य दिनों में 713 टॉप टेस्ट किए गए

 

दिशा निर्देशों में नहीं की गई लापरवाही

 

सिविल सर्जन द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण में यह साफ तौर पर लिखा गया कि उनके द्वारा दिशा निर्देशों में किसी तरह की लापरवाही नहीं की गई सभी काम नियत समय के अनुसार हुए इसलिए उन पर लगाए आरोपो को दाखिल दफ्तर किया जाए

 

 

जिलाधीश को साबित किया झूठा

 

जिले के दो शीर्ष अधिकारियों द्वारा चल रही कश्मकश मे सिविल सर्जन द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण में एक तरह से जिलाधीश को झूठा करार दिया गया है जबकि जिलाधीश द्वारा स्वास्थ्य सचिव को लिखे गए पत्र में साफ तौर पर कहा गया था कि सिविल सर्जन द्वारा बार-बार लापरवाही की गई है और यह सिलसिला जारी है इसलिए इस पद पर किसी योग्य अधिकारी की तैनाती की जाए

 

संबंधित विभागों के जवाबो को बनाया आधार

 

 

सिविल सर्जन ने जिलाधीश से सीधे तौर पर बात करने की बजाय संबंधित विभागों से जवाब मांग कर अपने स्पष्टीकरण को आधार बनाया है जिसे कई अधिकारियों द्वारा ठीक नहीं समझा गया कई अधिकारियों का मानना था कि सिविल सर्जन द्वारा जिलाधीश को सीधे तौर पर बातचीत कर अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए था कई लोगों ने यह भी कहा कि आमतौर पर जिलाधीश सीधे तौर पर ऐसे आरोप नहीं लगते बार-बार उनके सामने सरकार द्वारा आए दिशा निर्देशों में जब लापरवाही की गई तो उन्होंने राज्य सरकार के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर अपनी शिकायत भेजी परंतु जिस प्रकार से स्पष्टीकरण दिया गया है आने वाले दिनों में अधिकारियों में कशमकश के मामले और बढ़ सकते हैं

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