एनजीटी ने कौंसिल को फटकारा, कूड़ा फेंकने पर रोक, पीपीसीबी को 31 दिसंबर तक सफाई कराने का आदेश
चरणजीत सिंह चन्न
जगरांव 28 सितंबर। यहां भद्रकाली मंदिर के पीछे तालाब को कूड़े के डंप बनाने का मामला गंभीर बन चुका है। नगर कौंसिल तालाब की सफाई के नाम पर डेढ़ करोड़ रुपये फंड जारी कर चुका है। इसके बावजूद वहां ‘कूड़े का पहाड़’ बना है। ऐसे में इसके पीछे किसी बड़े घपले के संकेत भी मिल रहे हैं।
पीपीसीबी आया हरकत में :
इसी मामले में दूसरी तरफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मिली शिकायत के बाद नगर कौंसिल को कड़ी फटकार लगाई। साथ ही अब वहां कूडा फेंकने पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं, ट्रिब्यूनल ने पंजाब स्टेट प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को तालाब की सफाई करा 31 दिसंबर तक स्टेट्स रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। जिसे लेकर पीपीसीबी के अधिकारियों ने मौका-मुआयना कर नगर कौंसिल को सफाई कराने के निर्देश दिए हैं। बताते हैं कि इसके बाद नगर कौंसिल के अफसर भी भागदौड़ में जुट गए हैं।
शहर के छह तालाबों पर कब्जा
आखिरी तालाब बनाया कूड़ाघर
दरअसल भद्रकाली मंदिर के चेयरमैन पराशर देव शर्मा हैं। उन्होंने ही मंदिर के पास वाले तालाब में कूड़ा डंप बनाने की शिकायत एनजीटी से की थी। उनके मुताबिक शहर में सात तालाब थे, छह पर नगर कौंसिल की अनदेखी से कब्जे हो गए। अब मंदिर के पास एक तालाब बचा था, उसमें शहरभर से कूड़ा फेंके जाने से वो डंप में तब्दील हो गया। जिससे मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं भी परेशान होते हैं। साथ ही आसपास के इलाको में बीमारियां फैलने का डर है। वह अपने वकील के माध्यम से इस मामले को एनजीटी में लेकर गए थे। शर्मा ने घपले की आशंका जताते यह भी कहा कि नगर कौंसिल ने तालाब की सफाई के लिए दो बार फंड भी जारी किया। पहले 51 लाख 59 हजार तो दूसरी बार 99 लाख 32 हजार रुपए जारी किए। जबकि तालाब की सफाई नहीं हुई। आखिर जनता के टैक्स का इतना पैसा कहां गया, इसकी भी जांच हो।
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