भारत में 350 लाख टन यूरिया की घरेलू उत्पादन क्षमता, जबकि राष्ट्रीय मांग लगभग 450 लाख टन सालाना
चंडीगढ़, 20 जुलाई। चीन द्वारा उर्वरकों के निर्यात पर हाल ही में लगाए प्रतिबंधों से पंजाब व पड़ोसी राज्य हरियाणा के लिए बड़ी चुनौती पैदा होने के आसार हैं। यहां किसान
यूरिया और डीएपी (डाइ-अमोनियम फॉस्फेट) उर्वरकों की भारी कमी को लेकर आशंकित हैं। इस स्थिति ने धान की खेती करने वाले किसानों और बागवानों, दोनों के बीच चिंता पैदा कर दी है। जो अब इस कमी के आगामी कृषि सीजन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
इस कमी ने प्रमुख कृषि क्षेत्रों, खासकर पंजाब में, जहां यूरिया की खपत देश में सबसे अधिक है, आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। चीन, भारत के लिए यूरिया-डीएपी दोनों का प्रमुख निर्यातक है। लिहाजा इस प्रतिबंध ने बुवाई और उर्वरक की तैयारी में लगे किसानों को चिंतित कर दिया है। भारत में लगभग 350 लाख टन यूरिया की घरेलू उत्पादन क्षमत, जबकि राष्ट्रीय मांग सालाना लगभग 450 लाख टन वार्षिक है। इस अंतर को आयात से पूरा करते हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा चीन से आता है। चीन के निर्यात प्रतिबंधों ने मांग-आपूर्ति का अंतर नाटकीय रूप से बढ़ा दिया है, जिससे कई राज्यों में उर्वरक संकट बना है।
इस बढ़ते संकट के मद्देनजर रोपड़ जिले के किसान नेताओं का प्रतिनिधिमंडल नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मिला। उसने सहकारी समितियों व विक्रेताओं से यूरिया का समय पर कराने की मांग रखी। इस प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय किसान सभा के जिला अध्यक्ष सुरजीत सिंह ढेर, रघुबीर सिंह दर्शी, गुरनाम सिंह औलख आदि शामिल थे। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक कुप्रबंधन के कारण यह संकट कुछ हद तक आंतरिक रूप से पैदा हुआ है। कृषि नीति पर्यवेक्षकों और विशेषज्ञों ने डीएपी की कमी पर गंभीर चिंता जताई। जिससे ना केवल पंजाब और हरियाणा में बल्कि पूरे देश में फसलों की पैदावार प्रभावित होने की आशंका है। कृषि मुद्दों के एक प्रसिद्ध विश्लेषक, अहबाब ग्रेवाल ने चेतावनी दी कि इस पैमाने पर डीएपी की कमी से पैदावार में, विशेष रूप से धान और बागवानी फसलों में, काफी कमी आ सकती है। पूर्व किसान संघ नेता विजय कपूर ने कहा कि लगभग एक लाख टन डीएपी की कमी आने वाले महीनों में चिंता का विषय होगी।
———–