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सदनों की कार्रवाही का सीधा प्रसारण का संज्ञान लिया जाए- संसद हुल्लड़ की जगह नहीं बल्कि लोकतंत्र का मंदिर है 

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जन प्रतिनिधियों की सदनों में लगातार अव्यवस्था का बढ़नां राष्ट्रीय चिंता का विषय है

 

लगातार कई संसद सत्रों के हंगामे की भेंट चढ़ने से जनता का विश्वास घटा- सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों को कार्यवाही की पवित्रता के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया – विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में बजट सत्र दो भागों में 31 जनवरी 2025 से शुरू हो गया है जो 13 फरवरी तक व दूसरा भाग 10 मार्च से 4 अप्रैल तक चलेगा। पिछले अनेक सत्र जैसे बजट सत्र शीतकालीन सत्र मानसून सत्र सहित सभी सत्रों में देख रहे हैं कि सभी हंगामेंदार रहे हैं। हर सत्र में कोई मुद्दा इशू बना जाता है और फिर सत्र के पूरे दिन हंगामा की भेंट चढ़ जाते हैं।वैसे तो हम अनेक सत्रों मैं लाइव टेलीकास्ट देखते आ रहे हैं कि हमेशा विपक्ष ही हंगामा करता है, परंतु पिछले एक सत्र में जनता यह देखकर हैरान रह गई कि सत्ता पक्ष के सांसद हंगामा कर रहे थे, जो मुद्दा अमेरिकी सांसद व विपक्ष के नेता के परिवार के हितों से जुड़ा था। हालांकि सदन के सभी सदस्य जानते हैं की कार्यवाही का सीधा प्रसारण हो रहा है। संसद हुल्लड़ की जगह नहीं लोकतंत्र का मंदिर है, फिर भी जनप्रतिनिधियों द्वारा सदनों में अवस्था का लगातार बढ़नां राष्ट्रीय चिंता का विषय है। हालांकि 31 जनवरी 2025 से शुरू हुए संसद सत्र में भी हंगामे के आसार दिख रहे हैं, क्योंकि 30 जनवरी 2025 को हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने वक़्फ़ बिल, एक राष्ट्र एक चुनाव, महाकुंभ भगदड़ त्रासदी पर शाब्दिक तलवार खींचने का संकेत दे दिया है। मेरा मानना है कि हंगामा 31 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति भाषण से ही शुरू होगा व 1 फरवरी 2025 को बजट पेश होने पर बजट को सरकार की नाकामी का प्रतीक, बताया जा सकता है कि इस बजट रोजगार स्वास्थ्य व युवाओं को निगलेट किया गया है,क्योंकि बजट क़े दोनों भागों में हंगामा होने के आसार लग रहे हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,लगातार कई संसद सत्रों के हंगामा की भेंट चढ़ने के से जनता का विश्वास घटा है। सत्तापक्ष विपक्ष दोनों पक्षो कार्रवाई की पवित्रता के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है।

साथियों बात अगर हम बजट सत्र हंगामेदार होने का इशारा 30 जनवरी 2025 को सर्वदलिय बैठक से मिलने की करें तो, संसद का बजट सत्र शुक्रवार से शुरू हो चुका है, जो हंगामेदार हो सकता है। विपक्षी दल प्रयागराज में महाकुंभ मेले में हुई भगदड़, जिसमें 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, को लेकर सरकार पर निशाना साधने की तैयारी में हैं। वहीं संसद सत्र से पहले रक्षामंत्री की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने सरकार पर संसदीय समितियों का राजनीतिकरण करने और अपने बहुमत का इस्तेमाल कर जबरन अपना एजेंडा लागू करने का आरोप लगाया। संसद के बजट सत्र के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं, क्योंकि महाकुंभ भगदड़, वीआईपी संस्कृति संसदीय समितियों का राजनीतिकरण,और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष के तेवर गरम हैं। वहीं सरकार ने भी अपनी रणनीति बनाई है और कई विधेयकों को पेश करने की योजना बनाई है।बजट सत्र के साथ ही सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी गठबंधन दोनों ही एक दूसरे पर और भी अधिक जोश और उग्रता से हमला करने के लिए कमर कस रहे हैं। यह न केवल केंद्रीय बजट 2025 बल्कि विवादास्पद वक्फ संशोधन विधेयक और एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक पर भी फैसला करेगा क्योंकि दोनों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है।राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में विपक्षी सदस्यों द्वारा सरकार पर हमला किये जाने की सबसे अधिक संभावना है। केंद्रीय बजट 2025 पर बिंदुवार चर्चा की जाएगी और विपक्ष तथा सत्ता पक्ष के बीच विस्तृत बहस होने की उम्मीद है।

साथियों बात अगर हम विपक्ष की नाराजी की बात करें तो, नाराजगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जेपीसी के अध्यक्ष ने विपक्ष द्वारा पेश किए गए सभी 44 संशोधनों को खारिज कर दिया। जेपीसी ने 14 संशोधन स्वीकार किए, जो सभी भाजपा सदस्यों द्वारा पेश किए गए थे। जेपीसी अध्यक्ष को सौंपे गए असहमति नोट में विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों पर हमला है और वक्फ बोर्डों के कामकाज में हस्तक्षेप है।बजट सत्र में उठाया जाने वाला एक अन्य विवादास्पद मुद्दा एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक है, जिस पर भी बैठकें होंगी। बजट सत्र के दौरान उठाए जाने वाले अन्य विधेयकों में लोकसभा में लंबित कई विधेयक शामिल हैं, जिन पर चर्चा हो सकती है। सरकार सत्र के दौरान नए कानून भी लाएगी। लंबित विधेयकों में अनुसूचित जनजाति प्रतिनिधित्व गोवा विधेयक, वक्फ (संशोधन) विधेयक, समुद्र द्वारा माल परिवहन विधेयक, तटीय नौवहन विधेयक, मर्चेंट नौवहन विधेयक तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विधेयक शामिल थे।कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’(इंडिया) संसद के बजट सत्र में सभी मुद्दों को उठाएगा। सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक से बाहर निकलते हुए उन्होंने महा कुंभ के कथित राजनीतिकरण की भी आलोचना की और कहा कि महा कुंभ के दौरान अतिविशष्ट लोगों के लिए आवाजाही से आम आदमी के लिए मुश्किलें पैदा हो रही हैं।विपक्षी दलों ने कहा कि वे महा कुंभ में कुप्रबंधन का मुद्दा उठाएंगे, जिसके कारण 30 लोगों की मौत हो गई। विपक्षी दलों ने कहा कि उन्हें मृतकों और घायलों की आधिकारिक गणना में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता है। कुंभ को केवल अधिक तीर्थयात्रियों को आकर्षित करने के लिए महाकुंभ कहा जा रहा है। विपक्ष ने कहा कि वो क्फ समिति के पक्षपातपूर्ण कामकाज का, रुपये में गिरावट और यूजीसी नियमों का मुद्दा उठाएंगे। वहीं, लोजपा ने बिहार के लिए विशेष औद्योगिक पैकेज की मांग की है। आज की बैठक में केंद्रीय रक्षा मंत्री ने सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की, जो राजनीतिक दलों को सरकार के विधायी एजेंडे के बारे में सूचित करने और सत्र के दौरान उनके द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों पर जानकारी प्राप्त करने के लिए बुलाई जाती है। संसदीय मामलों के मंत्री ने बैठक खत्म होने के बाद बताया कि इसमें 36 दलों के 52 नेता शामिल हुए। बैठक में सरकार ने बजट सत्र का एजेंडा रखते हुए बताया कि सरकार की ओर से इस सत्र के बजट पेश करने समेत 16 महत्वपूर्ण बिल पेश किए जाएंगे। जिसमें वक्फ संशोधन बिल 2024, मुसलमान वक्फ रिपील बिल 2024 भी शामिल है।

साथियों बात अगर हम बजट सत्र 2025 में पेश होने वाले 16 विधेयकों की करें तो,बजट सत्र 2025 के दौरान पेश किए जा सकते हैं ये विधेयक (1) बैंकिंग (संशोधन) विधेयक, 2024 (2) रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024 (3) आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 (4) तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 (5) बॉयलर बिल, 2024 (6) गोवा राज्य के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व कापुनर्समायोजन विधेयक, 2024 (7) वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 (8) मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 (9) बिल ऑफ लैडिंग बिल, 2024 (10) समुद्र द्वारा माल की ढुलाई विधेयक, 2024 (11) तटीय नौवहन विधेयक, 2024 (12) मर्चेंट शिपिंग बिल, 2024 (13) वित्त विधेयक, 2025(14) विमान वस्तुओं में हितों का संरक्षण विधेयक, 2025 (15) त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 (16) आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करेंगे तो हम पाएंगे कि सदनों की कार्रवाही का सीधा प्रसारण का संज्ञान लिया जाए- संसद हुल्लड़ की जगह नहीं बल्कि लोकतंत्र का मंदिर है।जन प्रतिनिधियों की सदनों में लगातार अव्यवस्था का बढ़नां राष्ट्रीय चिंता का विषय है।लगातार कई संसद सत्रों के हंगामे की भेंट चढ़ने से जनता का विश्वास घटा- सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों को कार्यवाही की पवित्रता के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है

 

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*

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