अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुछ देशों द्वारा जुगलबंदी कर भारतीय विचारधारा को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है-भारत की आवाज़ सुनना पड़ेगा
आतंकवाद से मुकाबला करने सर्वेजन सुखिनो भवन्तुःयानें शांति और समृद्धि के लिए सभी को एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा,सराहनीय- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत के बढ़ते कद,रुतबे और प्रतिष्ठा से स्वाभाविक रूप से कुछ देश या उनका संगठन ईर्ष्या ज़रूर करेगें। 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में कदम रखा था अभी 26 जून 2025 को शुभांशु शुक्ला ने भी भारत के दूसरे बहादुर ने कदम रखा है यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि और भारत की दिशा, विचारधारा को नज़रंदास कर उसे कम आकलन कर अपने सहयोगी सदस्य देश का पक्ष जरूर लेंगे। वैसे भी यह हर देश की नीति रणनीति रहती है कि उसके लिए राष्ट्रहित सर्वोत्तम रहता है।दुनियाँ का बादशाह कहलानें वाला देश भी अनेक बार अपने हित के लिए पड़ोसी व विस्तारवादी मुल्क, खाड़ी देशों, पश्चिम एशिया इत्यादि में अपनें सहयोग के साथ की स्थिति बदलते रहता है, ठीक उसी तरह भारत भी कूटनीतिक, विदेश नीति के हिसाब से राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रखकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनीं विचारधारा, संकल्प, देशहित, विश्वहित की अपनी नीति शुरू से ही जारी रखे हुए हैं। आज मैं किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र, इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहा हूं क्योंकि हमने 26 जून 2025 को चीन के किंगदाओ शहर में चल रहे रक्षा मंत्रियों के शंघाई सहयोग संगठन में साझा घोषणापत्र पर भारतनें हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है,क्योंकि उनकाआतंकवाद पर पाक़ के बलूचिस्तान का तो नाम था परंतु भारत के पहलगाम का नाम नहीं था,जिस पर हमारे रक्षामंत्री ने भरी सभा में खरीखोटी सुनाई व अनेक बातें कहीं जिसे हम नीचे पैराग्राफ में चर्चा करेंगे,ठीक उसी तरह अभी 3 दिन पहले,तुर्किए के इस्तांबुल में आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन की दो दिवसीय बैठक एक बार फिर पाक की पक्षपातपूर्ण कूटनीति का मंच बन गई। 57 मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी की विदेश मंत्रियों की परिषद ने अपने साझा बयान में जहां एक ओर भारत-पाक के बीच हुए सिंधु जल समझौतेको जारी रखने की बात कही, वहीं दूसरी ओर भारत की सैन्य कार्रवाई और कश्मीर नीति को लेकर भी एकतरफा टिप्पणी की,ओआईसी ने अपने साझा बयान में साफ कर दिया कि वह पाक के रुख का पूरी तरह समर्थन करता है और भारत से अधिकतम संयम बरतने की उम्मीद करता है।चूँकिआतंकवाद से मुकाबला सर्वेजन सुखीनों भवंतु यानें शांति और समृद्धि के लिए सभी को एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा सराहनीय है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुछ देशों द्वारा जुगलबंदी कर भारतीय विचारधारा को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है,भारत की आवाज हर हाल में सुना ही पड़ेगा।
साथियों बात अगर हम 25-27 जून 2025 तक किंगदाओ चीन में चले शंघाई सहयोग संगठन की 22वीं बैठक में साझा घोषणा पत्र में हस्ताक्षर करने से इंकार की करें तो,एससीओ वर्तमान में 10 सदस्य देश हैं – बेलारूस, चीन, भारत, ईरान,कजाकिस्तान किर्गिस्तान,पाकिस्तान,रूस, ताजिकिस्तान औरउज्बेकिस्तान। बैठक के बाद साझा घोषणापत्र में चीन नें पाकिस्तान से दोस्ती निभा दी है, चीन ने एससीओ घोषणापत्र में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र भारत के आग्रह के बावजूदन नहीं किया, जबकि पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बलूचिस्तान में हो रहे विद्रोह का जिक्र आतंकी घटनाओं के तौर पर किया है, इस बैठक में भाग लेने के लिए चीन गए रक्षा मंत्री इससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने इस साझा घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया है, साथ ही भारत ने कहा है कि वे साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल नहींहोंगे। भारत के इस कदम के बाद एससीओ का साझा घोषणापत्र जारी नहीं हो सका है।भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर एससीओ बैठक में भी वही रुख कायम रखा है, जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाक में आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई में दिखाया था, भारत ने दिखा दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे पर वह किसी तरह की कूटनीतिक नरमी नहीं दिखाने जा रहा है और ना ही किसी तरह के अंतरराष्ट्रीय दबाव में आएगा,भारत ने इस मुद्दे पर एससीओ घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के चीन के आग्रह को भी खारिज करके स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद पर उसका दोहरा रवैया नहीं चलेगा।
साथियों बात अगर हम रक्षा मंत्री की एससीओ बैठक में सीमा पर आतंकवाद का मुद्दा उठाने की करें तो रक्षामंत्री ने बुधवार को शुरू हुई एससीओ देशों के 10 रक्षामंत्रियों की बैठक में स्पष्ट रूप से सीमापार आतंकवाद का मुद्दा उठाया था,उन्होंने पाक का नाम लिए बिना ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए सीधी चेतावनी दी थी कि निर्दोषों का खून यदि फिर बहेगा तो भारत का एक्शन जारी रहेगा,भारत फिर से घुसकर आतंकियों को मारेगा, निर्दोषों का खून बहाने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा, उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले का भी जिक्र किया था और कहा था कि एक नेपाली नागरिक समेत 26 निर्दोषों का खून धार्मिक पहचान पूछकर बहाया गया, जिस संगठन रेजिस्टेंस फ्रंट ने इसकी जिम्मेदारी ली, वो संयुक्त राष्ट्र की तरफ से लिस्टेड पाक आतंकी संगठन लश्कर-ए -ताइबा का प्रॉक्सी संगठन है।उन्होंने चीन को भी ताकीद की थी, उन्होंने कहा था कि कोई भी देश कितना भी शक्तिशाली हो, अकेला काम नहीं कर सकता है, हमारे यहां सदियों से सर्वे जन सुखिनो भवन्तु की कहावत है, जिसका मतलब है कि शांति और समृद्धि के लिए सभी को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना पड़ता है। उन्होंने कहा था कि हमारे क्षेत्र में सभी समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथ और आतंकवाद है,आतंकवाद और शांति-समृद्धि साथ-साथ नहीं चल सकते, आतंकवाद को नीतिगत हथियार बनाने वाले और आतंकियों को पनाह देने वाले देशों को दोहरे मानदंड के लिए यहां जगह नहीं है। एससीओ को ऐसा करने वाले देश की आलोचना में संकोच नहीं करना चाहिए, हालांकि भारत के इस आग्रह के बावजूद चीन ने एससीओ का साझा घोषणापत्र तैयार करते समय पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का उसमें जिक्र नहीं किया है, जो उसके दोहरे मानदंड दिखाता है।एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षामंत्री ने कहा कि हमें सीमा पार से हथियारों और ड्रग्स की तस्करी के लिए ड्रोन सहित आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक का मुकाबला करने की कोशिश करनी चाहिए। हमारी परस्पर जुड़ी दुनिया में पारंपरिक सीमाएं अब खतरों के खिलाफ एकमात्र बाधा नहीं हैं। इसके बजाय हम चुनौतियों के एक जटिल जाल का सामना कर रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और साइबर हमलों से लेकर हाइब्रिड युद्ध तक फैले हुए हैं। भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने के अपने संकल्प पर कायम है।’उन्होंने कहा कि आतंकवाद के लिए भारत की शून्य सहिष्णुता आज उसके काम से प्रकट होती है। इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुद का बचाव करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे। हमें अपने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने के लिए भी सक्रिय कदम उठाने चाहिए।एससीओ के आरएटीएस तंत्र ने इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला करने पर एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद का संयुक्त वक्तव्य भारत की अध्यक्षता हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि शंघाई सहयोग संगठन रक्षा मंत्रियों की 22वीं बैठक 25- 27 जून 2025 किंगदाओ चीन में कुछ देशों की जुगलबंदी को भारत का वीटो पावर भारी पड़ा-साझा घोषणा पत्र अटका अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुछ देशों द्वारा जुगलबंदी कर भारतीय विचारधारा को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है-भारत की आवाज़ सुनना पड़ेगा।आतंकवाद से मुकाबला करने सर्वेजन सुखिनो भवन्तुः यानें शांति और समृद्धि के लिए सभी को एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा,सराहनीय
*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र *