बदले सियासी-हालात में कहना मुश्किल, चुनावी-ऊंट आखिर किस करवट बैठेगा ?
चंडीगढ़, 4 अक्टूबर। पंजाब के तरनतारन विधानसभा क्षेत्र में उप-चुनाव होने हैं। अब यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक-रणक्षेत्र बनकर उभरा है।
दरअसल, इसी साल जून में आप विधायक डॉ. कश्मीर सिंह सोहल के असामयिक निधन से यह सीट खाली होने से उप चुनाव होने हैं। जिसके चलते बदलते सियासी माहौल में यहां हलचल जारी है। वैसे तो तरनतारन कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां से 2017 में धर्मबीर अग्निहोत्री की जीत ने पार्टी को मजबूती दिलाई थी। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया। जब आम आदमी पार्टी के डॉ. कश्मीर सिंह सोहल ने यह सीट जीत ली। जो उस लहर को दर्शाता है, जिसने पंजाब में आप को सत्ता में पहुंचाया। अब, डॉ. सोहल के निधन के बाद, यह उप-चुनाव केवल एक निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी की ताकत का परीक्षण नहीं, बल्कि राज्य में जनभावनाओं का एक संकेत हैं। खासकर ऐसे समय में, जब पंजाब में सभी प्रमुख राजनीतिक दल आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से जूझ रहे हैं।
कांग्रेस में बिखराव को फिर से जोड़ने की कोशिश :
2022 के विस चुनाव और हाल ही में लुधियाना वैस्ट उप-चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन से अब उबर रही कांग्रेस तरनतारन चुनाव को आंतरिक दरारों को पाटने के अवसर के रूप में इस्तेमाल करती दिख रही है। राजा सांसी से मौजूदा विधायक और पंजाब कांग्रेस के एक प्रमुख नेता सुखबिंदर सिंह सरकारिया को चुनाव प्रभारी नियुक्त करना विरोधी गुटों को पाटने के प्रयास का संकेत है। पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी वर्षों से रही है, प्रतिद्वंद्वी खेमे अक्सर सामूहिक प्रयासों को कमजोर करते हैं। लुधियाना पश्चिम में इसी अंदरूनी कलह से चुनाव अभियान बिखरने से हार हुई। बड़ा सवाल, तरनतारन में क्या कांग्रेस एकजुट मोर्चा पेश कर सकती है ?
आप की रणनीति, स्थानीय समर्थन पर भरोसा :
आप ने तेज़ी से कदम उठाया, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरमीत सिंह संधू को पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया। पूर्व विधायक संधू को स्थानीय स्तर पर कुछ हद तक समर्थन प्राप्त है। मान ने एक रैली में जनता से कहा था, वह आपकी पसंद हैं। हालांकि, सत्ताधारी पार्टी के सामने चुनौतियां भी हैं। खासकर हाल ही में आई बाढ़, जिसने शासन के आंकड़ों को प्रभावित किया। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि आपदा के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया ने कुछ लोगों को निराश किया है, जो सत्तारूढ़ पार्टी के लिए चुनावी झटके का कारण बन सकता है।
भाजपा और शिअद : क्षेत्रीय ताकत, लेकिन सीमित आधार ?
भाजपा ने स्थानीय नेता और ज़िला अध्यक्ष हरजीत सिंह संधू को अपना उम्मीदवार बनाया है। शिरोमणि अकाली दल-बादल में लंबे समय तक रहने के बाद 2022 में भाजपा में शामिल हुए संधू को अनुभवी और विश्वसनीय ज़मीनी कार्यकर्ता के रूप में पेश किया जा रहा है। हालांकि, भाजपा को पंजाब में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, पंजाब की राजनीति में कभी प्रभावशाली रहा शिअद, फिर से उभरने की कोशिश कर रहा है। पार्टी ने तरनतारन से सुखविंदर कौर रंधावा को मैदान में उतारा है। इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों में अकाली दल का आधार मज़बूत है, लेकिन 2020-21 के किसान विरोध प्रदर्शनों के बाद से गुटबाजी ने नुकसान पहुंचाया है।
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