ज्यादा नुकसान तो बांग्लादेश का, मगर भारत का नजरिया, बिगड़े नहीं पड़ोसियों से रिश्ते
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख़ हसीना पांच अगस्त से भारत में हैं। तब से भारत लगातार बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर हिंदुओं समेत बाक़ी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रहने की शिकायत करता रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि पिछले पांच महीनों में भारत और बांग्लादेश के आपसी संबंधों में आए तनाव से ज़्यादा नुक़सान किसे हो रहा है ?
बांग्लादेश में आई अस्थिरता के कारण भारत के निर्यात में गिरावट आई है। ख़ासकर ज्वैलरी, इंजीनियरिंग गु़ड्स, खाद्य सामग्री और कॉटन का निर्यात घटा है। इसके अलावा टैक्सटाइल निर्यातक भुगतान में देरी का सामना कर रहे हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के डेटा के अनुसार, इस साल अगस्त महीने में अगस्त 2023 की तुलना में बांग्लादेश को भारत से होने वाला निर्यात 28 फ़ीसदी गिरा है।
दूसरी तरफ, नई चुनौती यह है कि शेख़ हसीना के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान में क़रीबी बढ़ाने की वकालत कई स्तरों पर हो रही है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भी ऐसे कई संकेत दिए हैं। मसलन पिछले महीने पाकिस्तान का मालवाहक पोत कराची से बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा था। बांग्लादेश बनने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहला समुद्री संपर्क था। तीन दिसंबर को पाकिस्तानी मीडिया में ख़बर छपी कि दशकों बाद बांग्लादेश ने पाकिस्तान से 25,000 टन चीनी आयात की है। जो अगले महीने कराची बंदरगाह से बांग्लादेश चटगांव बंदरगाह पर पहुंचेगी। पाकिस्तानी अख़बार द न्यूज़ ने लिखा है कि इससे पहले बांग्लादेश भारत से चीनी आयात करता था।
इसी बीच भारत में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेता कहने कि अगर भारत ने बांग्लादेश में ज़रूरी आपूर्ति रोक दी तो इसका बहुत गहरा असर पड़ेगा। हालांकि बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा था कि बांग्लादेश में एक छोटा सा तबका ही भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल है और इससे भारत के हित प्रभावित नहीं होंगे। दिलीप घोष ने कहा था कि अगर भारत ने बांग्लादेश में आलू, प्याज, दवाई, पानी और कॉटन जैसी ज़रूरी आपूर्ति रोक दी तो बांग्लादेश पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा। घोष ने कहा था कि भारत ने बांग्लादेश से संबंध इसलिए नहीं तोड़े हैं, क्योंकि दोनों देशों का ऐतिहासिक रिश्ता रहा है। अगर बांग्लादेश में इसी तरह से अत्याचार जारी रहा तो अंततः बांग्लादेश की स्थिरता और पूरी अर्थव्यवस्था को नुक़सान होगा। कुल मिलाकर बांग्लादेश की जैसी भौगोलिक स्थिति है, उसमें भारत के साथ उसके संबंध काफ़ी अहम हो जाते हैं। शेख़ हसीना की सत्ता ख़त्म होने के बाद भारत से बांग्लादेश के संबंध बदल गए हैं। यहां गौरतलब है कि आज से दस साल पहले नरेंद्र मोदी पहली बार बतौर प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण दे रहे थे।
अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि हमारा भविष्य हमारे पड़ोस से जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि मेरी सरकार ने पहले ही दिन से पड़ोसी देशों से मित्रता और सहयोग बढ़ाने को प्राथमिकता दी है। पीएम मोदी ने इस अमेरिकी दौरे के बीच न्यूयॉर्क में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना से अपनी पहली मुलाक़ात भी की थी। फिर अगले दस सालों तक मोदी और शेख़ हसीना के बीच द्विपक्षीय मुलाक़ातों की संख्या बढ़ती गई और भारत-बांग्लादेश के संबंधों का ग्राफ़ भी ऊपर चढ़ता गया। हालांकि मौजूदा हालात में माहौल बिल्कुल उलट हो जाने से दोनों मुल्कों के रिश्तों के भविष्य को लेकर बड़े सवालिया निशान लगे हैं।
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