आतंकी हमलों का मुंहतोड़ जवाब देना निहायत जरुरी
एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को अशांत करने की साजिशें तेज हो गई हैं। पिछले चार दिनों में राज्य के रियासी, कठुआ और डोडा में चार आतंकी हमले हो गए। इनमें 9 श्रद्धालुओं की जान चली गई। जबकि एक जवान की शहादत हो गई और दो आतंकी भी मारे गए। कुल मिलाकर इन आतंकी हमलों में सेना-पुलिस और बेकसूर जनता को भारी कीमत चुकानी पड़ गई चारों घटनाओं में 6 जवानों समेत कुल 49 लोग भी जख्मी हुए। इसके सबके बावजूद सेना और स्थानीय पुलिस के हौंसले बुलंद हैं। कायराना तरीके से हमले करने वाले आतंकियों की धरपकड़ को जोर-शोर से कॉबिंग-आपरेशन जारी है।
इसी धरपकड़ मुहिम के तहत अहम कामयाबी मिल भी गई है। कुपवाड़ा में शब्बीर अहमद नाम के एक ओवर ग्राउंड वर्कर को दबोच लिया गया, जो आतंकियों की मदद कर रहा था। उसके पास से हथियार भी बरामद हुए हैं। उम्मीद करेंगे कि हमारे जांबाज सैनिक और जेएंडके पुलिस हमलों के लिए जिम्मेदार तमाम आतंकियों को धरदबोचेगी या नापाक हरकत करने वाले ऐसे बुजदिल एनकाउंटर में मारे जाएंगे। हमारे जांबाज सैनिक और जेएंडके पुलिस पहले भी शहादतें देकर जम्मू-कश्मीर के अमन-चैन को लगातार कायम रखने में कामयाब रहे हैं। उनके जज्बे को देशवासियों का सलाम है और दुआएं भी साथ हैं। ऐसे हालात में अब जरुरत है कि केंद्र सरकार भी जम्मू-कश्मीर में अमन-चैन कायम रखने के लिए जरुरी कदम उठाए। आतंकियों को शह देने वाले पड़ोसी मुल्क में बैठी ताकतों को भी मुंहतोड़ जवाब देने वाली रणनीति अपनाए। जनता को अपनी सरकार पर भरोसा है, जो कायम रहना चाहिए। अगर आतंकी तत्वों को नेस्तनाबूद नहीं किया गया तो प्रगति-शक्ति की राह पर चल रहे भारत की छवि दुनिया के सामने कमजोर पड़ेगी। ऐसे वक्त में विपक्षी दलों को भी राजनीति से ऊपर उठकर केंद्र सरकार के आतंक-विरोधी कदमों का नैतिक समर्थन करना चाहिए। देश के गौरव, अस्तित्व और सम्मान से बड़ा कुछ भी नहीं है, यह सबको समझना होगा। बेशक, आतंकी-धारा की तरफ बढ़ते कश्मीरी नौजवानों को गुमराह होने से बचाना भी जरुरी है। बेशक, उनसे बातचीत का रास्ता खुला रखा जाए। ताकि भारत सरकार, सेना के मानवीय दृष्टिकोण को भी और मजबूती मिल सके।
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