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मुद्दे की बात : प्रदूषण @ मर्ज बढ़ता ही गया

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तमाम कवायद के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी तक असुरक्षित

देश के तमाम हिस्सों की बात छोड़ें, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ही प्रदूषण से बुरी तरह घिरी है। इस साल भी दिवाली के बाद दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का सिलसिला जारी है। शनिवार रात करीब नौ बजे दिल्ली का एक्यूआई 327 दर्ज किया गया था, जो रविवार सुबह करीब छह बजे 507 तक पहुंच गया। महज नौ घंटे में दिल्ली की हवा ‘बहुत खराब’ कैटेगिरी से ‘खतरनाक’ कैटेगरी में पहुंच गई।

इसे लेकर तमाम मीडिया रिपोर्ट्स जारी हुईं। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक दिल्ली में रविवार सुबह पीएम 2.5 का लेवल भी काफी बढ़ गया। पीएम 2.5 वायुमंडलीय कण पदार्थ यानि पीएम को संदर्भित करता है, जिसका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है, जो मानव बाल के व्यास का लगभग 3% है। यह वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के बताए मानक से 65 गुना ज्यादा रिकॉर्ड किया गया। दिवाली के अगले दिन यानि एक नवंबर को दिल्ली का औसत एक्यूआई 337 था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार सुबह दिल्ली में हवा चलने के कारण एअर क्वालिटी में सुधार देखा गया था, हालांकि शाम होते-होते हवा रुकने के कारण प्रदूषण बढ़ने लगा। रविवार सुबह देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश के चार और हरियाणा के पांच शहर शामिल हैं। यहां गौरतलब है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने एक जनवरी, 2025 तक पटाखों को बैन किया था। पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर रोक है। इनकी ऑनलाइन डिलीवरी पर भी रोक लगाई गई थी, फिर भी आतिशबाजी हुई। आतिशबाजी के कारण भी दिल्ली में एक्यूआई बढ़ा।

दिल्ली में 14 अक्टूबर को ग्रैप-वन लागू किया गया था। दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 200 पार होने के बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप-वन लागू कर दिया गया था। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर बैन है। कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट ने एजेंसियों को पुराने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों के संचालन पर सख्त निगरानी के आदेश दिए। आयोग ने एजेंसियों से सड़क बनाने, रेनोवेशन प्रोजेक्ट और मेन्टेनेन्स एक्टिविटीज में एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव और डस्ट रिपेलेंट तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी कहा है।

इसके बावजूद राष्ट्रीय राजधानी तक की हवा नाजुक हालात में पहुंच गई। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट एजेंसी लोकल सर्किल के सर्वे में दावा किया गया कि दिल्ली-एनसीआर में 69% परिवार प्रदूषण से प्रभावित हैं। शुक्रवार को जारी इस सर्वे रिपोर्ट में 21 हजार लोगों के जवाब थे। इसमें सामने आया कि दिल्ली-एनसीआर में 62% परिवारों में से कम से कम एक सदस्य की आंखों में जलन है। वहीं, 46% फैमिली में किसी ना किसी मेंबर को जुकाम या सांस लेने में तकलीफ और 31% परिवार में एक सदस्य को अस्थमा की परेशानी है।

अब अहम सवाल यह है कि ये एक्यूआई क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों होता हैI दरअसल एक्यूआई एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, पीएम 2.5 यानि पार्टिकुलेट मैटर और पीएम 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चैक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, एक्यूआई का स्तर उतना ज्यादा होगा। लिहाजा जितना ज्यादा एक्यूआई होगा, उतनी खतरनाक हवा होगी। वैसे तो 200 से 300 के बीच एक्यूआई भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता एक्यूआई सिर्फ एक नंबर नहीं है, यह आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।

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