कनाडा में लगातार बढ़ रही भारतीय छात्रों के सामने चुनौतियां
जस्टिन ट्रूडो लेबर पार्टी के नेता और कनाडा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि जैसे ही पार्टी उनके विकल्प की तलाश कर लेगी, वैसे ही वह पद छोड़ देंगे। ट्रूडो के कार्यकाल को विदेशी वर्कर्स और स्टूडेंट्स उनकी खराब इमिग्रेशन नीतियों के लिए याद रखेंगे। फिलहाल कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के विकल्प की चर्चा चल रही है। इस रेस में सबसे आगे कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे चल रहे हैं। पियरे ने इमिग्रेशन सिस्टम में बड़े बदलाव का वादा भी किया है। वह लगातार कहते आए हैं कि कनाडा के इमिग्रेशन सिस्टम में बदलाव की जरूरत है। दिसंबर में उन्होंने ट्रूडो सरकार द्वारा इमिग्रेशन के प्रबंधन की आलोचना की थी। उन्होंने खासतौर पर अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी कामगारों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई थी। ऐसे में आइए जानते हैं कि अगर पियरे पोइलिवरे कनाडा के नए प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारतीय छात्रों पर क्या असर होगा।
देश के नए प्रधानमंत्री के तौर पर अगर पियरे पोइलिवरे को चुना जाता है तो वह कनाडा में होने वाले इमिग्रेशन को कम कर सकते हैं। उन्होंने जो प्रस्ताव दिया है, उसमें कहा गया है कि इमिग्रेशन की दर को आवास, स्वास्थ्य सेवा और नौकरी की उपलब्धता के आधार पर सीमित किया जाएगा। इससे विदेशी छात्रों को मिलने वाले स्टडी परमिट में कमी देखने को मिलेगी। जिस वजह से कनाडा में पढ़ने के लिए एडमिशन और परमिट लेना छात्रों के लिए मुश्किल हो जाएगा। पियरे पोइलिवरे को अगर कनाडा की कमान मिलती है तो वह विदेशी वर्कर्स के लिए चलाए जाने वाले वर्क प्रोग्राम को बदल सकते हैं। उनका मानना है कि कनाडा में लोगों की नौकरियों को विदेशी वर्कर्स छीन नहीं सकते हैं, इसलिए वह वर्क प्रोग्राम के नियम कड़े कर सकते हैं।
ऐसा होने पर विदेशी छात्रों के लिए कैंपस के बाहर पार्ट-टाइम जॉब करना मुश्किल हो जाएगा। विदेशी छात्र अपनी पढ़ाई और रहने का खर्च पार्ट-टाइम जॉब के जरिए ही निकालते हैं। पियरे पोइलिवरे ने वादा किया है कि वह इंटरनेशनल स्टूडेंट प्रोग्राम में होने वाली गड़बड़ियों को दूर करेंगे। इन प्रोग्राम के जरिए ही विदेशी छात्र कनाडा में पढ़ने आते हैं। कनाडा में विदेशी छात्रों को एडमिशन देने का काम कुछ ही संस्थान करते हैं, जिन्हें ‘डेजिगनेटेड लर्निंग इंस्टीट्यूशन’ कहा जाता है। उनके कार्यकाल में इसकी निगरानी बढ़ सकती है। इसका असर प्राइवेट या कम नियमों वाले कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों पर पड़ सकता है। अगर पियरे पोइलिवरे संसाधनों के आधार पर इमिग्रेशन को बढ़ावा देते हैं तो इसका असर परमानेंट रेजिडेंसी पर भी दिखेगा। ग्रेजुएशन के बाद अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए पीआर के रास्ते कम हो सकते हैं। पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट प्रोग्राम के तहत छात्रों को स्टडी परमिट से वर्क परमिट या पीआर का दर्जा पाने में मुश्किल हो सकती है। वैसे भी कनाडा पीआर की संख्या हर साल कम कर रहा है।
इमिग्रेशन पर सीमा और सख्त नियमों की वजह से विदेशी छात्रों के लिए कनाडा में उनके भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ सकती है। उन्हें प्रशासनिक बाधाओं, लंबे प्रोसेसिंग टाइम या परमिट हासिल करने या रिन्यू करने के लिए ज्यादा पैसा देना पड़ सकता है। इस वजह से उनका कनाडा में रहकर पढ़ना भी खर्चीला हो सकता है।
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