मुद्दे की बात : हिमाचल में कुदरती-कहर बड़ी सीख

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कुदरत से खिलवाड़ ना रोका तो होगी और तबाही

हिमाचल प्रदेश में इन दिनों भारी बारिश के चलते जल-प्रलय वाले हालात पैदा हो गए हैं। इसे कुदरती-कहर ही कहेंगे कि देवभूमि में तमाम जगह अचानक बाढ़ और भूस्खलन के चलते मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग और 87 अन्य सड़कें ठप हो गई हैं। ऐसे में नया संकट यह है कि अगले तीन दिन मूसलाधार बारिश होने की प्रबल आशंका है। मौसम विभाग ने सात और आठ अगस्त के लिए तो ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है।

अब हर शख्स के दिमाग में यह सवाल जरुर होगा कि हिमाचल में तो साल दर साल बरसाती-कहर आखिर क्यों बढ़ता जा रहा है। दरअसल इस देव-भूमि का स्वर्णिम इतिहास रहा है। तभी तो देवी-देवताओं से लेकर ऋषियों-मुनियों ने इसके प्राकृतिक शांत-वातावरण में ही तप-जप के लिए इसका चुनाव किया होगा। समय बदलने के साथ हम आधुनिकता की अंधी-दौड़ में ऐसे सरपट दौड़े कि देवभूमि की पवित्रता को भी भंग करने में कतई संकोच नहीं किया। विकास के नाम पर सरकारों ने पहाड़ों की छाती फाड़कर सड़कें, गुफाएं बनाने के अलावा पहाड़ियों की चोटियों तक आलीशान क्रंक्रीट की इमारतें खड़ी कर डालीं। रही-सही कसर अपने स्वार्थ के लिए गैर-सरकारी यानि माफिया-तत्वों ने पूरी कर दी। धड़ल्ले से पेड़ काटकर पहाड़ नंगे कर डाले। रेत खोदकर नदी-नाले बर्बाद कर दिए। नतीजतन बरसात में बादल फटने और बाढ़ आने जैसी आफतों का ग्राफ देवभूमि में भी तेजी से बढ़ रहा है।

हिमाचल में ताजा हालात बेहद संगीन हो चले हैं। फिलहाल भारी बारिश के चलते चंद्रभाग नदी का जल स्तर बढ़ गया है। लाहौल और स्पीति जिले में दो जगहों पर अचानक बाढ़ आ गई। जिंगबार के पास मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग तीन पर पानी और मलबा आ गया। इसके चलते दारचा और सरचू पुलिस चेक पोस्ट पर अगले आदेश तक यातायात रोक दिया गया। सीमा सड़क संगठन यानि बीआरओ राजमार्ग से मलबा हटाने में जुटा है। मौसम विभाग ने पूरे प्रदेश, विशेषतौर पर कांगड़ा, हमीरपुर और चांबा जिलों में भारी बारिश के चेतावनी दी है। खराब मौसम को लेकर दो दिन के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। राज्य के अन्य भागों के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में चुनौती कम नहीं है। यह बदहाली केवल देवभूमि हिमाचल प्रदेश में ही नहीं देखने को मिल रही है।

कुदरत से खिलवाड़ के गंभीर परिणाम उत्तराखंड में भी सामने आ रहे हैं। वहां भी भू-स्ख्लन और बाढ़ जैसे हालात के चलते केदारनाथ मार्ग पर सैकड़ों यात्री फंसे रहे। पहले भी कुदरत का कहर वहां देखने को मिलता रहा है। उधर, केरल में भी भीषण त्रासदी कुदरत से खिलवाड़ के कारण ही हुई। खैर, हम अगर अब भी नहीं जागे तो आने वाले समय में और घातक परिणाम सामने आएंगे। इसी तरह सैकड़ों बेकसूर लोग जान गंवाते रहेंगे, अरबों की संपत्ति बर्बाद होती रहेगी। जबकि देश को विकास की राह पर बढ़ाने की बजाए सरकारें इन कुदरती विपदाओं से निपटने पर ही अपनी ऊर्जा लगाती रहेंगी।

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