अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप तवज्जो नहीं दे रहे भारत को चीन के मुकाबले
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर गए थे। भारत में सोशल मीडिया पर कई लोग जयशंकर की तस्वीर शेयर करते हुए लिख रहे थे कि ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय विदेश मंत्री को पहली पंक्ति में जगह दी गई थी। इसे लेकर मीडिया रिपोर्ट्स सुर्खियों में बनी हैं।
इस मामले में इंडिया टुडे ने ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह की एक तस्वीर शेयर करते लिखा था कि भारतीय विदेश मंत्री को अग्रणी पंक्ति में बैठने की जगह दी गई। जबकि इसी फोटो को शेयर करते हुए अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू की डिप्लोमैटिक अफेयर्स एडिटर सुहासिनी हैदर ने लिखा कि यह अहम है कि ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में जयशंकर को पहली पंक्ति में जगह मिली। जबकि क्वॉड गुट के देश ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों को कुछ पंक्ति पीछे जगह मिली। वहीं अमेरिका के डेलावेयर यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान ने जयशंकर की तस्वीर दिखाते हुए एक वीडियो बनाया है, जिसमें वह दिखा रहे हैं कि भारतीय विदेश मंत्री पहली नहीं तीसरी लाइन में बैठे थे। मुक़्तदर ख़ान की मानें तो नरेंद्र मोदी को डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ ग्रहण समारोह में निजी तौर पर आमंत्रित नहीं किया था। मोदी ने ट्रंप के शपथ लेने के बाद ट्वीट कर बधाई दी थी और जयशंकर से एक पत्र भी भेजा था। हालांकि ट्रंप ने नरेंद्र मोदी को फ़ोन नहीं किया। जबकि ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग को ख़ुद से फोन करके दावत दी। ट्रंप ने चीन के ख़िलाफ़ टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, लेकिन अभी तक उन्होंने टैरिफ नहीं लगाया।
मुक़्तदर ख़ान के मुताबिक डॉ जयशंकर ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में तीसरी पंक्ति में थे। मुझे नहीं लगता कि ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में जयशंकर का शामिल होना बहुत बड़ी बात है। जयशंकर से ज़्यादा अच्छी तस्वीर तो मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी की है। अच्छी से मतलब है कि इनकी मुलाक़ात डोनाल्ड ट्रंप से हुई। जयशंकर ने जो तस्वीर पोस्ट की, उसमें उनके साथ काश पटेल और विवेक रामास्वामी हैं। आमंत्रण भारत को मिला था और भारत ने जयशंकर को भेजने का फ़ैसला किया था। ट्रंप चीन से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक सानोबर इंस्टिट्यूट के कार्यकारी निदेशक क़मर चीमा ने जयशंकर के अमेरिका दौरे को लेकर कई बातें कहीं। उनके मुताबिक जयशंकर ने क्वॉड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। जयशंकर ने अमेरिका के नए विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ बैठक के बाद भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस नहीं की। भारतीय विदेश मंत्री ने वॉशिंगटन स्थित अपने दूतावास में आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सोशल मीडिया पर एस जयशंकर और मार्को रुबियो की मुलाक़ात का जो वीडियो क्लिप शेयर किया जा रहा है, उसमें साफ़ दिख रहा है कि रुबियो से हाथ मिलाने की पहल जयशंकर ने की। ट्रंप ने शपथ लेने के बाद कई ऐसे संकेत दिए हैं, जिनके आधार पर कहा जा रहा है कि वह चीन से सीधे टकराने की बजाए संबंध अच्छा करने पर ज़ोर दे रहे हैं। ट्रंप ने शी जिनपिंग को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था, भारत के साथ ट्रंप ने ऐसा नहीं किया.
अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक़ ट्रंप ने अपने अधिकारियों से कहा है कि वह सौ दिन के भीतर चीन का दौरा करना चाहते हैं.। ट्रंप ने चीनी स्वामित्व वाले ऐप टिक टॉक को बैन करने का फ़ैसला भी टाल दिया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि ट्रंप का चीन के प्रति रुख़ राष्ट्रपति बनने के बाद बदला-बदला सा लग रहा है। अमेरिकी मीडिया आउटलेट ब्लूमबर्ग के अनुसार, भारत सरकार ट्रंप की चुनौतियों से निपटने की तैयारी कर रही है। ब्लूमबर्ग ने लिखा है कि अगर ट्रंप भारत के मामले में टैरिफ को लेकर अड़ जाते हैं तो मोदी सरकार एक ट्रेड डील के लिए तैयार हो जाएगा। हालांकि जयशंकर ने कहा था कि अमेरिका में ट्रंप की जीत से जिन देशों को डर है, उनमें भारत नहीं है। जबकि ट्रंप प्रशासन की ओर से अब तक कोई आश्वासन नहीं मिला है। लेकिन ट्रंप ने अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी के तहत भारत के ख़िलाफ़ टैरिफ लगाया तो चीज़ें बदलेंगी।
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