प्रदूषण के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर
मौजूद वक्त पूरी दुनिया के एक बड़े हिस्से में प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है। प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक मुद्दा बन गया है और विश्व के कई भागों में वायु की गुणवत्ता खराब हो रही है। साल 2024 में बांग्लादेश विश्व स्तर पर सबसे प्रदूषित देश के रूप में अपना स्थान बरकरार रखेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके बाद पाकिस्तान, भारत, ताजिकिस्तान और बुर्किना फासो का स्थान होगा।
दरअसल ये रैंकिंग वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। जो हर साल लाखों लोगों की असामयिक मृत्यु के लिए जिम्मेदार है। दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश लगातार सबसे प्रदूषित राष्ट्र के रूप में शुमार है। साल 2024 में देश ने 79.9 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर उच्चतम जनसंख्या-भारित पीएम 2.5 सांद्रता दर्ज की। जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित दिशा-निर्देश से कहीं अधिक है। गौरतलब पहलू है कि तेजी से बढ़ते शहरीकरण, जीवाश्म ईंधन पर भारी निर्भरता और औद्योगिक उत्सर्जन बांग्लादेश के प्रदूषण के स्तर में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। राजधानी ढाका को अक्सर गंभीर धुंध का सामना करना पड़ता है। विशेषकर शुष्क मौसम के दौरान, जिसके कारण व्यापक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।
अब जरा दूसरे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हालात पर नजर डालें। यहां का प्रदूषण स्तर चिंताजनक बना हुआ है, यहां पीएम 2.5 की मात्रा 73.7 है। देश के सबसे बड़े शहरों में शामिल लाहौर और कराची में नियमित रूप से खतरनाक वायु गुणवत्ता का अनुभव होता है। प्रदूषण मुख्यतः वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, औद्योगिक गतिविधियों और ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने के लिए ठोस ईंधन के जलने से होता है। वायु गुणवत्ता में सुधार लाने में पाकिस्तान का संघर्ष, विनियामक प्रवर्तन और सार्वजनिक जागरूकता की कमी के कारण और भी जटिल हो गया है।
रही बात भारत की तो हमारा देश प्रदूषण के मामले में विश्व में तीसरे स्थान पर है। साल 2024 में देश की औसत पीएम 2.5 सांद्रता 54.4 है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से दस गुना अधिक है। उत्तरी भारत, विशेषकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानि एनसीआर दुनिया में सबसे खराब वायु गुणवत्ता से ग्रस्त है। नई दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र जैसे शहरों को नियमित रूप से विश्व स्तर पर सबसे प्रदूषित शहरों में सूचीबद्ध किया जाता है। भारत के प्रदूषण संकट में योगदान देने वाले कारकों में औद्योगिक उत्सर्जन, वाहन यातायात और पराली जलाना शामिल हैं। वायु गुणवत्ता मेंे सुधार के प्रयासों के बावजूद भारत में प्रदूषण का स्तर इसकी आबादी के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य खतरा बना हुआ है, जिससे 1.36 अरब से अधिक लोग जोखिम में हैं।
वहीं, चौथे स्थान पर ताजिकिस्तान में पीएम 2.5 की सांद्रता 49.0 दर्ज की गई, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश से लगभग नौ गुना अधिक है। देश का पर्वतीय भूगोल वायु परिसंचरण को सीमित करता है, जिससे प्रदूषक फंस जाते हैं। जबकि औद्योगिक उत्सर्जन और हीटिंग के लिए कोयले का व्यापक उपयोग स्थिति को और खराब कर देता है। इसके अतिरिक्त, दुशांबे जैसे शहरों में शहरीकरण के कारण वायु की गुणवत्ता खराब हो रही है।
इसके अलावा बुर्किना फासो शीर्ष पांच में आता है, जहां पीएम 2.5 का स्तर 46.6 है। देश के प्रदूषण में योगदान देने वाले कारकों में रेगिस्तानीकरण, धूल भरी आंधी और खाना पकाने और गर्म करने के लिए बायोमास का जलाना शामिल है। इन पर्यावरणीय चुनौतियों के साथ-साथ सीमित प्रदूषण नियंत्रण उपायों के परिणामस्वरूप प्रदूषण का स्तर इतना अधिक हो जाता है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा हो जाता है। निष्कर्ष के तौर पर प्रदूषण, विशेषकर वायु प्रदूषण कई देशों में स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। जिनमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत, ताजिकिस्तान और बुर्किना फासो सबसे अधिक प्रभावित हैं। इन मुद्दों के समाधान के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर समन्वित प्रयासों के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण उपायों के सख्त क्रियान्वयन की आवश्यकता है। तभी हालात सुधर सकते हैं, वर्ना आने वाले समय में स्थिति और चिंताजनक हो सकती है।
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