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मुद्दे की बात : पूर्व पीएम डॉ.मनमोहन का ‘मौन’ होना अपूर्णीय क्षति सब-हैडिंग—-

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भारत में आर्थिक सुधार से लेकर कई अहम फैसले किए थे डॉ.मनमोहन ने

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से देश-दुनिया में शोक का माहौल है। उनके निधन पर सुपर-पावर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने डॉ.मनमोहन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भारत-अमेरिका संबंधों का महान समर्थक बताया। ब्लिंकन ने मनमोहन सिंह के कार्यों को पिछले 2 दशक में भारत और अमेरिका की द्विपक्षीय उपलब्धियों की नींव बताया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्लिंकन ने कहा कि मनमोहन के नेतृत्व में हुए अमेरिका-भारत सिविल न्यूक्लियर कोऑपरेशन एग्रीमेंट ने दोनों देशों के संबंधों की संभावनाओं में बड़ा निवेश किया। यहां काबिलेजिक्र है कि डॉ.मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में गुरुवार देर रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया था।

कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने भी मनमोहन सिंह के निधन पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह असाधारण बुद्धिमत्ता, ईमानदारी और विवेक के धनी व्यक्ति थे। हार्पर ने कहा कि उनके निधन से मुझे व्यक्तिगत रूप से गहरा दुख पहुंचा है। मनमोहन सिंह के निधन पर वर्ल्ड मीडिया में भी कई आर्टिकल पब्लिश हुए हैं। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने उन्हें मृदुभाषी और बुद्धिजीवी बताया है। वहीं वॉशिंगटन पोस्ट ने भी मनमोहन के निधन पर प्रतिक्रिया दी। अखबार ने अपनी पोस्ट में उन्हें बड़े बदलाव करने वाला नेता बताया है। अखबार उनके दोनों कार्यकाल पर टिप्पणी भी की। वहीं, बीबीसी ने पूर्व पीएम को आर्थिक सुधार का प्रणेता बताया। इसके अलावा अंग्रेजी अखबार द गार्जियन ने अपने आर्टिकल में मनमोहन सिंह को अनिच्छुक प्रधानमंत्री कहा।

प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह अपनी पहली विदेश यात्रा पर थाईलैंड गए थे। 29 से 31 जुलाई तक के अपने दिवसीय दौरे पर उन्होंने समिट में हिस्सा लिया। अपने 10 साल के कार्यकाल में उन्होंने ने लगभग 72 विदेश यात्राएं की थी। इनमें सबसे ज्यादा बार उन्होंने अमेरिका का दौरा किया था। प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने कई प्रमुख समझौते किए। इनमें अमेरिका के साथ 2008 में किया गया सिविल न्यूक्लियर समझौता बेहद अहम रहा। इस समझौते ने भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा मोड़ने का काम किया। इसके अलावा 2009 में आसियान देशों के साथ किया गया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट भी महत्वपूर्ण था। इस समझौते के बाद भारत को आसियान देशों में निर्यात पर टैक्स में छूट मिली। इससे भारत और आसियान देशों के बीच संबंध भी मजबूत हुए।

डॉ.मनमोहन की उपलब्धियों को गिनवाने के लिए अनगिनत मिसालें हैं। मौजूदा राजनीतिक माहौल में बस इतना ही कहा जा सकता है कि बेहद अनुभवी अर्थशास्त्री के तौर पर डॉ.मनमोहन का इस दुनिया से जाना देश के लिए एक बड़ी अपूर्णीय क्षति है। देश-दुनिया में पंजाब का नाम रोशन करने वाली इस शख्सियत को ‘यूटर्न टाइम’ की ओर से भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

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