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मुद्दे की बात : देश में फिलहाल बड़ी चुनौती साइबर ठगी

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एआई के इस दौर में अब आम नहीं खास आदमी भी हो रहे ठगी का शिकार

अगर 2024 को एक वीडियो गेम मानें तो पहला राउंड घोटालेबाजों के पक्ष में जाता है। डिजिटल गिरफ्तारियां, ड्रग्स  से भरे कूरियर पैकेज, नकली चालान, शेयर ट्रेडिंग ऐप पर सौ फीसदी रिटर्न वगैराह… हमसे हमारे पैसे लूटने के तरीके अंतहीन और बिल्कुल नए हैं। लगभग आपको उन अच्छे पुराने घोटालों की याद दिलाता है, जहां बदमाश ने अपने कुकृत्य की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में कम से कम कुछ समय और प्रयास लगाया करते थे। साइबर ठगी की नई चुनौती को लेकर नवभारत टाइम्स समेत कई मीडिया रिपोर्ट्स लोगों को आगाह करती नजर आती हैं।

लोगों को होशियर होने की जरुरत है, धोखेबाज अब नूह या जामताड़ा में बैठे बेरोज़गार लड़के नहीं हैं जो आपसे ओटीपी लेकर पैसे कमाने के लिए तैयार रहते हैं। अब यह एक अंतर्राष्ट्रीय अपराध नेटवर्क बन चुका है, जिसके कॉल सेंटर कंबोडिया, लाओस और वियतनाम में हैं। इनके संचालक ऐसे टेक्निकल एक्सपर्ट हैं, जो खुद साइबर गुलाम हो सकते हैं। ये लोग डॉक्टरों, वकीलों, यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों और यहां तक कि आईआईटी इंजीनियरों से भी लाखों की ठगी करते हैं। यह आग बुझाने वाले पाइप से पानी निकलने जैसा है। साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट और एथेनियन टेक लिमिटेड के सीईओ कनिष्क गौर के मुताबिक घोटाले का औसत टिकट आकार कुछ हजारों से बढ़कर लाखों और करोड़ों तक पहुंच गया है। एक साइबर अपराध अधिकारी ने अनुमान लगाया कि भारतीय हर मिनट अपराधियों के हाथों 1.5 लाख रुपये गंवा रहे हैं। इससे किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रक्षित टंडन के मुताबिक शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसे हर दिन धोखाधड़ी वाले दो-चार कॉल ना आते हों। वे कहते हैं कि लोगों में डिजिटल समझदारी या डीक्यू की कमी है, आईक्यू की नहीं। वे ऐसे वादों में फंस जाते हैं, जैसे कि आपको निवेश पर सौ फीसदी रिटर्न मिलेगा, या फिर ऐसी धमकियां कि कोई पुलिसवाला आपको वीडियो कॉल पर गिरफ्तार कर रहा है। इसके अलावा आपका चालान या बिल किसी दूसरे शहर में लंबित है। जैसे-जैसे हम अपनी जिंदगी का अधिकतर हिस्सा ऑनलाइन जी रहे हैं, वैसे-वैसे अधिक से अधिक लोग इसके झांसे में आ रहे हैं। चाहे आपकी शिक्षा या संपत्ति कितनी भी हो। वर्धमान समूह के प्रमुख और पद्म पुरस्कार विजेता एसपी ओसवाल को सीबीआई अधिकारी होने का दिखावा करने वाले घोटालेबाजों ने 7 करोड़ रुपये ठग लिए। जबकि दिल्ली की एक फर्म के मुख्य वित्तीय अधिकारी को कंपनी के एमडी होने का दिखावा करने वाले एक व्यक्ति ने 4.96 करोड़ रुपये ठग लिए। उसे सरकारी ठेकों के लिए तुरंत पैसे की जरूरत थी। कुल मिलाकर यही कह सकते हैं कि मौजूदा वक्त में हम सबको साइबर ठगों से बेहद अलर्ट रहने की जरुरत है। हमें अपने परिवार, जानकारों और तमाम लोगों को इस बारे में जागरुक करने की जरुरत है।

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