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मुद्दे की बात : विनेश फोगाट मामले में बड़े सवाल

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पिछले ओलंपिक की तरह 53 किग्रा वर्ग में क्यों नहीं लड़ाया फोगाट का

पेरिस ओलंपिक को लेकर इसके समापन से पहले ही सबसे बड़ी चर्चा भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट बनी हैं। दरअसल पहली बार महिला कुश्ती के फाइनल में पहुंचीं विनेश फोगाट से देश को गोल्ड मेडल की उम्मीद थी। विडंबना देखिए, पेरिस ओलपिंक में फाइनल खेलने से पहले करीब सौ ग्राम वजन ही ज्यादा होने पर ओवरवेट होने की वजह से उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। टोक्यो ओलपिंक में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाली विनेश की वापसी की कहानी दिल टूटने के साथ खत्म हुई।
अब देश-विदेश के मीडिया में फोगाट सुर्खियों में है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि विनेश ने फाइनल में पहुंचकर सिल्वर मैडल पक्का कर लिया था, लेकिन 50 किलोग्राम से 100 ग्राम ज़्यादा होने पर उनका सपना टूट गया। ऐसे में उनको सिल्वर भी नहीं मिला। अहम पहलू, विनेश को इसका अंदाजा पहले से था। वह इस साल अप्रैल में कह चुकी थीं कि 50 किलोग्राम वर्ग को देखते हुए अगले चार महीनों में वजन प्रबंधन करना चुनौती होगा। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा था कि वज़न में ये बदलाव इसलिए किया, क्योंकि और कोई विकल्प नहीं था। मैं खुश हूं कि ओलपिंक खेलने का मौका मिल रहा है।
उनका कहना था कि 50 या 53 किग्रा वर्ग में से किसमें मौका मिलेगा ? ये ट्रायल पर निर्भर करता है। इसके बाद कई सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर विनेश को 53 किलोग्राम वर्ग के लिए क्यों नहीं भेजा गया ? क्या उनको अब सिल्वर मेडल मिलेगा ? उनके पास अब क्या विकल्प बचे हैं ?
उधर, ओलपिंक की वेबसाइट के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय नियमों के तहत तय वज़न से अधिक वज़न पाए जाने पर पहलवान को अयोग्य करार दिया जाता है। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के चीफ़ मेडिकल ऑफिसर डॉ. दिनशॉ परदीवाला ने कहा कि वज़न को कम करना या इसमें कटौती करना एनर्जी में कमी की वजह बनता है। फिर वज़न करने के बाद एनर्जी के लिए खिलाड़ी को सीमित मात्रा में पानी और ज्यादा एनर्जी वाला फूड दिया जाता है। विनेश के न्यूट्रिशनिस्ट को लगा कि वह 1.5 किलोग्राम की सामान्य मात्रा लेती है। हालांकि कभी-कभी प्रतियोगता के बाद वज़न बढ़ जाता है।
परदीवाला ने कहा कि विनेश ने लगातार तीन मुक़ाबले खेले थे और ऐसे में डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए उन्हें पानी देना पड़ा, जिससे उनका वज़न बढ़ गया।
उनके मुताबिक़ विनेश के कोच ने वज़न घटाने के लिए वो सब किया, जो हमेशा करते थे, लेकिन इस बार उन्हें सफलता नहीं मिली। ओलंपिक फ़ाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रचने वालीं फोगाट को सिल्वर मैडल मिलने की संभावना अब ना के बराबर है।
यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के चीफ नेनाद लालोविक ने कहा है कि हमें नियमों का सम्मान करना होगा। हर खिलाड़ी को नियम पता होते हैं, मुझे दुःख है कि फोगाट के साथ ऐसा हुआ। उन्हें मैडल देना या खेलने की अनुमति देना संभव नहीं। आज अगर 100 ग्राम ज़्यादा होने पर किसी खिलाड़ी को खेलने की अनुमति देंगे तो फिर 200 ग्राम ज्यादा होने पर भी देनी होगी। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान वीरेन रस्किन्हा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी खिलाड़ी ऐसा नहीं कर सकता, ऐसा टूर्नामेंट के डॉक्टर के सर्टिफाइड करने पर ही होता है, प्लेयर वज़न के लिए नहीं आता है तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। एक सवाल यह भी है कि विनेश 53 की बजाए 50 किलोग्राम में क्यों लड़ीं ? उन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक में 48 किलोग्राम भार वर्ग में मुक़ाबला लड़ा था, लेकिन वो कामयाब नहीं हुई थीं। इसके बाद वो टोक्यो ओलंपिक में 53 किलोग्राम भार वर्ग में मैदान में उतरीं थीं।
इस बार ऐसा क्यों नहीं किया, यह अनसुलझी पहेली बनी है।
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