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मुद्दे की बात : अफगानिस्तान बन रहा नरकीस्तान

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औरतों के बोलने तक पर लगी तालिबानी-बंदिशें

अफगानिस्तान में महिलाओं के बोलने पर रोक लगा दी गई। अगर कानून तोड़ा तो सख्त सजा दी जाएगी। दरअसल वहां की तालिबानी-सरकार ने महिलाओं की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगा दी है। हद यह कि तालिबान की सरकार ने महिलाओं के बोलने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

चिंताजनक पहलू यह है कि नए कानूनों को लागू भी कर दिया गया है। जिसके तहत औरतें अब सार्वजनिक स्थानों पर बोल तक नहीं पाएंगी। साथ ही वह अपना चेहरा नहीं दिखा सकती हैं। महिलाओं को सख्त हिदायत देते हुए उनके घर से बाहर बोलने पर रोक लगा दी गई है। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक इस कानून को लेकर एक तर्क भी दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि महिलाओं की आवाज से पुरुषों का मन भटक सकती है। इससे बचने के लिए सार्वजनिक जगहों पर बोलने पर रोक लगा दी गई है।

इन नियमों को तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मंजूरी के बाद जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इन कानूनों को हलाल और हराम की कैटेगरी में बांटा गया है। अब इन कानूनों का विरोध भी होने लगा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने तालिबान के इस फैसले की निंदा की है। वहीं, कई और मानवाधिकार संगठनों ने भी इसका विरोध किया है। ऐसा नहीं है कि अफगानिस्तान में ऐसे कानून पहली बार पास किए जा रहे हैं, इससे पहले भी तालिबान के कई कानून विवादों में रहे हैं। कुछ समय पहले ही अखुंदजादा ने घोषणा की थी कि व्यभिचार के लिए महिलाओं को सरेआम कोड़े मारेंगे और सार्वजनिक रूप से पत्थरों से मार-मार कर हत्या कर दी जाएगी।

अब तालिबान ने महिलाओं के घर में गाने और तेज आवाज में पढ़ने से भी मना किया है। जिन महिलाओं या लड़कियों को नए कानून तोड़ने का दोषी पाया जाएगा, उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी। इस बार महिलाओं के अलावा पुरुषों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं। पुरुषों को घर से बाहर निकलते समय घुटनों तक अपने शरीर को ढंकना होगा। किसी जीवित शख्स की तस्वीर खींचने पर भी पाबंदी है। यहां बता दें कि 15 अगस्त, 2021 को तालिबान के हाथ में अफगान की सत्ता आई थी। उसी दिन से वहां महिलाओं पर कई सारी पाबंदियां लगाई गईं थीं। सबसे पहले सरकारी संस्थानों में काम कर रही महिलाओं से नौकरियां छीनी गईं। फिर उनकी पढ़ाई पर पाबंदियां लगाई गई। अफगानिस्तान में अब महिलाएं सिर्फ छठी कक्षा तक ही पढ़ाई कर सकती हैं।

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