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मुद्दे की बात : हादसे दर हादसे, ट्रेन का सफर राम भरोसे

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आखिर ट्रेन हादसों से कब सबक लेगी सरकार

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सोमवार सुबह एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी। इस भीषण  हादसे में 15 लोगों की मौत और 60 के घायल होने की पुष्टि पीटीआई न्यूज एजेंसी ने की है। केंद्रीय रेल राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्‌टू ने इस हादसे पर गहरा दुख जताते हुए जांच के आदेश दिए हैं।

मंत्री बिट्‌टू के गहरा दुख जताने और जांच के आदेश देने की सरकारी औपचारिकता तो समझ आती है। यह भी समझ आता है कि वह अभी-अभी मंत्री बने हैं और रेलवे का सिस्टम सुधारने में उनको थोड़ा वक्त तो लगेगा ही। मगर यह समझ नहीं आता है कि आखिर केंद्र सरकार कब ऐसे हादसों से सबक हासिल करेगी। इसके पहले पंजाब में ही इसी तरह के दो हादसे हो चुके हैं। इसके बावजूद तीसरी बार केंद्र में सत्ता की कमान संभालने वाली भाजपा गठबंधन सरकार दुख जताने और हादसों की जांच कराने के अलावा फिर से कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी। जिनसे ऐसे घोर-लापरवाही वाले हादसे फिर न हो सकें।

अगर वाकई सरकार नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई पहले ही कर लेती तो इस हादसे में 15 बेकसूर मुसाफिरों की कीमती जिंदगी बच सकती थी। याद करिए, कभी इसी देश के रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने एक दर्दनाक ट्रेन हादसे के चलते नैतिकता के आधार पर अपने पद से ही इस्तीफा दे दिया था। खैर, मौजूदा राजनीति में वैसे नैतिक-बल की अपेक्षा करना ही बेमानी होगा। अब तो हादसों पर गहरा अफसोस जताने, जांच कराने जैसी राजनीतिक-परंपरा का निर्वहन ही होता है। देशवासियों की लाइफ-लाइन कहलाने वाली रेलयात्रा ही सुरक्षित नहीं रहेगी तो भला आम आदमी कहां जाए और कैसे सस्ता सफर करे। केंद्र सरकार को इस मामले में गंभीरतापूर्वक विचार कर ठोस कदम उठाने होंगे। वर्ना लोगों का सरकार से ही भरोसा उठ जाएगा।

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