संपादकीय
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चुनाव में बढ़ती महंगाई के मुद्दे पर बात सराहनीय
लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान में फिलहाल तक आम जनता की समस्याओं से जुड़े प्रमुख मुद्दों की किसी ने बात नहीं की। दावों-इलजामों के शोर में ऐसे मुद्दे दबे हुए हैं। प्रमुख दलों के मुखिया तक अपनी चुनावी रैलियों में मुद्दों से भटकाने वाली जुमलेबाजी कर जनता को फिलहाल खुश करने के चक्कर में हैं। मसलन, पीएम मोदी कांग्रेस पर तंज कसते हुए राहुल गांधी को शहजादा कह रहे हैं। जबकि कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी भी पलटवार कर मोदी को शहंशाह की उपाधि दे रही हैं।
कुल मिलाकर आम आदमी सोच में डूबा है कि उसके बुनियादी मुद्दों की बात कौन और कब करेगा ? इसी बीच मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने भाजपा पर सियासी-हमला बोलते गंभीर मुद्दा उठा दिया। अपने सोशल अकाउंट एक्स पर किए एक ट्वीट में उन्होंने देश के सामने बढ़ती महंगाई और आम आदमी की घटती आमदनी को लेकर केंद्र सरकार को घेरना चाहा है। पूर्व सीएम ने कहा है कि यह दोनों समस्याएं सबसे बड़ा संकट हैं। मार्च के महीने में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किए गए कंज्यूमर कांन्फिडेंस सर्वे में भी यह बात और स्पष्ट होकर सामने आ गई है।
सर्वेक्षण में शामिल 72 फीसदी लोगों ने कहा कि उनकी आमदनी या तो घट गई है या पिछले साल के स्तर पर ही है। वहीं 90 फीसदी लोगों ने कहा कि सामान की कीमत पिछले साल की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ गई है। बेशक इस मुद्दे का आधार एक सर्वे ही है, लेकिन इसको रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कराया है। लिहाजा इसे विशुद्ध राजनीति से प्रेरित बताकर सिरे से खारिज भी नहीं किया जा सकता है।
ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री ने विपक्ष की ओर से यह अहम मुद्दा उठाकर सत्ता पक्ष को जवाबदेह तो बना ही दिया है। लिहाजा केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष का नजरिया रखेंगे। अगर विपक्ष का कर्तव्य निभाने का प्रयास कमलनाथ ने किया है तो कम से कम पीएम नहीं तो उनके समकक्ष किसी वरिष्ठ भाजपा नेता को जनता के सामने पार्टी, केंद्र सरकार का पक्ष रखना चाहिए।
वहीं इस मुद्दे को उठाकर पूर्व सीएम ने इस नजरिए से भी सराहनीय बात की है कि विपक्ष की अगुवाई करने वाली कांग्रेस इस मुद्दे को और धार दे। जबकि बाकी विपक्षी दल भी चुनाव के बचे बाकी चरणों में जनता का नैतिक समर्थन चाहते हैं तो वे भी इस मुद्दे को और मजबूती दें। यहां गौरतलब है कि किसी दौर में कांग्रेस ने गरीबी हटाओ का नारा देकर ही जनता के एक बड़े वर्ग का चुनाव में समर्थन हासिल कर लिया था।
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