मुद्दे की बात : क्या यूरोपीय संघ-नाटो भारत और चीन पर टैरिफ लगा सकेंग, जैसा ट्रम्प चाहते हैं ?

भारत-चीन संबंध सुधरने में उम्मीद

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

जितनी मान रहे हैं, उतनी आसान नहीं है अमेरिकी राष्ट्रपति की राह

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाटो और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से चीन और भारत पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का आह्वान किया है। ताकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए मजबूर किया जा सके।
ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के पहले दिन ही संघर्ष को समाप्त करने का वादा किया था। उन्होंने हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के अधिकारियों के बीच एक बैठक के दौरान यह मांग की। इस कदम को मास्को और कीव के बीच शांति समझौते में तेजी लाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। ट्रंप द्वारा ब्रुसेल्स से किया यह अनुरोध, जिसकी पहली रिपोर्ट फाइनेंशियल टाइम्स अखबार ने दी थी, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट की टिप्पणी के बाद आया। जिन्होंने कहा था कि वाशिंगटन रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए उसे मजबूत यूरोपीय समर्थन की आवश्यकता है।

वहीं, 13 सितंबर को अपनी पोस्ट में ट्रंप ने कहा कि वह रूस पर बड़े प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं। अगर नाटो ऐसा करने के लिए सहमत हो जाए। उन्होंने यह भी दावा किया कि चीन पर बढ़े हुए टैरिफ से रूस पर बीजिंग का नियंत्रण कमजोर होगा। चीन और भारत, रूस से तेल खरीदते हैं, जिससे रूसी अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है। चीनी सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार, रूसी ऊर्जा के सबसे बड़े खरीदार के रूप में, चीन ने पिछले साल 10.9 करोड़ टन कच्चा तेल आयात किया। जो उसके कुल ऊर्जा आयात का लगभग 20 प्रतिशत है। इसके विपरीत, भारत 2024 में 8.8 करोड़ टन रूसी तेल आयात करेगा, जो उसके आयात का लगभग 35 प्रतिशत है। हालांकि ट्रम्प ने हाल ही में रूसी कच्चे तेल के आयात के लिए भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाया। फिर भी उन्होंने अब तक चीन पर इसी तरह का शुल्क लगाने से परहेज किया है, क्योंकि उनका प्रशासन बीजिंग के साथ एक नाजुक व्यापार युद्धविराम समझौते पर काम कर रहा है।
इस मुद्दे को टालने को ट्रम्प ने शनिवार को नाटो से रूस पर बीजिंग की आर्थिक पकड़ को कमज़ोर करने के लिए चीन पर 50-100 प्रतिशत शुल्क लगाने का अनुरोध किया। ट्रम्प ने पोस्ट में दावा किया कि रूसी ऊर्जा खरीद पर रोक और चीन पर भारी शुल्क लगाने से संघर्ष को समाप्त करने में काफी मदद मिलेगी। फरवरी, 2022 में मास्को द्वारा यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर आक्रमण शुरू होने के बाद से यूरोप की रूसी ऊर्जा पर निर्भरता कम हो गई। उस समय, यूरोपीय संघ अपनी प्राकृतिक गैस का 45 प्रतिशत रूस से आयात करता था। इस वर्ष यह घटकर 13 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। हालांकि ट्रम्प चाहते हैं कि यूरोप और अधिक प्रयास करे।
उनका यह अनुरोध नाटो और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है। पिछले बुधवार को एक दर्जन से अधिक रूसी ड्रोन पोलिश हवाई क्षेत्र में घुसे और शनिवार को एक ने रोमानियाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया। पोलैंड और रोमानिया दोनों नाटो के सदस्य हैं।
पिछले शुक्रवार फ़ॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि अलास्का में हाल ही में हुई आमने-सामने की बातचीत और यूक्रेन पर रूस का अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला भी शामिल है, के बाद पुतिन के साथ उनका धैर्य जवाब देने लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने युद्ध रोकने में पुतिन की विफलता पर निराशा व्यक्त करते कहा कि वह रूसी बैंकों और ऊर्जा उत्पादों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। हमें बहुत सख्ती से कदम उठाना होगा। चीन और रूस के खिलाफ सहयोगी टैरिफ लगाने के ट्रंप के प्रयास ऐसे समय सामने आए, जब अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम के तहत टैरिफ लगाने के उनके अपने कानूनी अधिकार को घरेलू स्तर पर चुनौती दी जा रही है। मई में एक अमेरिकी व्यापार अदालत ने फैसला सुनाया कि ये टैरिफ राष्ट्रपति को दिए किसी भी अधिकार से परे है। एक अपील पर अदालत ने अगस्त में उस फैसले को बरकरार रखा, अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय जाएगा।
ब्रुसेल्स और बीजिंग के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2024 में लगभग 732 बिलियन यूरो ($860 बिलियन) तक पहुंचा। पिछले साल यूरोपीय संघ का चीन के साथ वस्तुओं का व्यापार घाटा लगभग 305.8 बिलियन यूरो ($359 बिलियन) था, जो 2023 में लगभग 297 बिलियन यूरो ($349 बिलियन) रहा। जिससे चीन यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा आयात भागीदार बन गया। अमेरिका यूरोप का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना। 2024 में, यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार 1.68 ट्रिलियन यूरो ($1.98 ट्रिलियन) था। इस प्रकार, यूरोपीय संघ का वस्तु व्यापार अधिशेष 198 बिलियन यूरो ($233 बिलियन) और कुल अधिशेष 50 बिलियन यूरो ($59 बिलियन) था। नतीजतन यूरोप, चीन से आयातित वस्तुओं पर अत्यधिक निर्भर है और भारत पर कम। चीनी विनिर्माण आयात यूरोपीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में गहराई से एकीकृत हैं।
अचानक टैरिफ लगाने से, विशेष रूप से 50-100 प्रतिशत के स्तर पर, विनिर्माण बाधित होगा, उत्पादन लागत बढ़ेगी और यूरोपीय संघ में उपभोक्ता कीमतें बढ़ेंगी। यही कारण है कि यूरोपीय संघ संभवतः एकतरफा दंडात्मक टैरिफ को अपनाने से सावधान रहेगा।

Leave a Comment