मुद्दे की बात : ट्रंप के टैरिफ़ से भारत सरकार ने जीएसटी कम किया ?

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एक्सपर्ट इस मामले को लेकर रखते हैं अलग-अलग राय

भारत सरकार ने 22 सितंबर से नई जीएसटी दरें लागू करने की घोषणा की। जीएसटी काउंसिल से जो नई दरें मंज़ूरभारत-चीन संबंध सुधरने में उम्मीद हुईं, उसके तहत अब 12 और 28 फ़ीसदी के स्लैब ख़त्म कर 5 व 18 फ़ीसदी कर दिया गया। जबकि लग्ज़री/सिन गुड्स पर 40 फ़ीसदी का नया स्लैब जोड़ा गया।

केंद्र सरकार इसे बड़ा जीएसटी सुधार बता रही है। वहीं, विपक्ष ने इसे देर से उठाया क़दम बताया। गौरतलब है कि भारत सरकार ने जीएसटी दरों में कटौती का ये क़दम ऐसे वक्त उठाया, देश जब अमेरिका के साथ टैरिफ़ वॉर में फंसा है। इस टैरिफ़ वॉर से अमेरिका के लिए भारतीय निर्यात प्रभावित हुआ है। भारत में उद्योग जगत तो जीएसटी कम करने को सरकारी तोहफ़े के रूप में देख रहा है। जबकि कुछ एक्सपर्ट यह भी मान रहे हैं कि अमेरिकी टैरिफ के दबाव में यह कदम मजबूरन उठाया गया। उद्योगपति हर्ष गोयनका ने इसे दिवाली से पहले बड़ा तोहफ़ा बताया। वहीं उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इसे सही दिशा में उठाया गया क़दम बताते कहा, हम अब इस लड़ाई में शामिल हो गए हैं। इससे भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी और वैश्विक स्तर पर आवाज़ मज़बूत होगी। भारत के नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने इसे एक मील का पत्थर साबित होने वाला सुधार बताया। वहीं भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि करार देते आर्थिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम बताया।

दूसरी तरफ, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे आम आदमी की जीत बताते कहा, ये बहरी सरकार से छीनी गई जीत है, जो सिर्फ़ तब ही सुनती है, जब उसे मजबूर किया जाता है। गौरतलब है कि सुश्री बनर्जी ने वित्त मंत्री को पत्र लिखकर स्वास्थ्य बीमा पर लगने वाले 18 फ़ीसदी जीएसटी को कम करने की मांग की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम ने कहा, आठ साल लगा दिए, हम इस क़दम का स्वागत तो करते हैं, लेकिन इसमें हुई देरी पर हमारे सवाल भी हैं। वहीं, जीएसटी लागू होने के बाद ही उद्योग जगत से जुड़े समूह, राजनीतिक दल और आम लोग कई अहम क्षेत्रों में कटौती की मांग करते रहे थे। कृषि से जुड़े उत्पादों पर भी टैक्स कम करने की मांग भी लंबे समय से उठ रही थी।

दूसरी ओर, बीबीसी की खास रिपोर्ट के मुताबिक कुछ विश्लेषक इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के टैरिफ़ के असर को कम करने के लिए मजबूरी में उठाया क़दम मान रहे हैं। जेएनयू में आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. अरुण कुमार कहते हैं, ये साफ़ है कि सरकार ने ये क़दम अमेरिका के टैरिफ़ लगाने के बाद दबाव में उठाया है, अन्यथा जीएसटी में सुधारों की मांग तो लंबे समय से की जा रही थी। अगर सरकार की मंशा आम आदमी को फ़ायदा पहुंचाना थी तो ऐसा पहले भी किया जा सकता था। वहीं कंसलटेंसी केपीएमजी से जुड़े आर्थिक सलाहकार अभिषेक जैन कहते हैं, सरकार के जीएसटी में कटौती को कुछ लोग अमेरिका के टैरिफ़ लगाने से जोड़कर देख सकते हैं। इसका एक कारण यह तो हो सकता है, लेकिन यह असली वजह नहीं है।

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