मुद्दे की बात : मोदी और जिनपिंग की मुलाक़ात के पाकिस्तान के लिए मायने

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एक्सपोर्टरों को होगा नुकसानपाक का दावा, भारत की चीन से नजदीकी का उस पर कोई गलत असर नहीं पड़ेगा

चीन में शिखर सम्मेलन में दुनिया के कई नेताओं के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भी शिरकत की। पीएम मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय मुलाक़ात हुई। इसी दौरान पाक-पीएम शरीफ ने तियानजिन विश्वविद्यालय में पाकिस्तान-चीन संबंधों पर लंबा भाषण दिया।

अब इसे लेकर विदेश नीति के जानकार और मीडिया हाउस समीक्षा में लगे हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबूक पीएम मोदी के साथ बैठक में जिनपिंग ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य बदल रहा है। चीन और भारत सिर्फ़ प्राचीन सभ्यताएं ही नहीं, बल्कि दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं, जो ग्लोबल साउथ का हिस्सा हैं। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देशों के लिए अहम है कि वो अच्छे संबंध रखने वाले दोस्त बने रहें और ऐसे साझेदार बनें जो एक-दूसरे की सफलता में योगदान करें। जबकि मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग से 2.8 अरब लोगों के हित जुड़े हुए हैं, भारत चीन के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प है। दोनों की मुलाक़ात ऐसे समय पर हुई है, जब भारत 50 फ़ीसदी अमेरिकी टैरिफ़ का सामना कर रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस टैरिफ़ से भारत के निर्यात क्षेत्र पर ख़ासा असर पड़ेगा। अब भारत और चीन सीमा विवादों के अतीत से उलट अपने संबंधों को नया स्वरूप देने पर ज़ोर दे रहे हैं। थिंक टैंक चैटम हाउस के डॉ. क्षितिज बाजपेयी के अनुसार, दोनों देशों के बीच संबंध मौजूदा वक़्त में दुनिया में हो रहे बदलावों पर निर्भर करते हैं। इन रिश्तों में मोदी की चीन यात्रा ‘एक मोड़’ है। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की राह पर है। जबकि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है। वहीं, पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक चुनौती हैं।

हाल के दिनों में पड़ोसी देशों के साथ भारत के उतने अच्छे संबंध नहीं रहे। जबकि चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और अफ़ग़ानिस्तान का प्रमुख व्यापारिक साझेदार है। एससीओ की बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ कई नेता मौजूद थे। भारत और पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर ख़ूब चर्चा हो रही है कि दोनों देशों में से किस देश के नेता को चीन में ज़्यादा महत्व मिला। प्रधानमंत्री मोदी ने तियानजिन हवाई अड्डे पर उतरने के बाद कई तस्वीरें पोस्ट कीं और लिखा कि वह एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान विभिन्न देशों के नेताओं से मिलने के लिए उत्सुक हैं। दूसरी ओर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने कहा, पाकिस्तान-चीन की दोस्ती आपसी विश्वास, सम्मान और सच्चे प्यार पर आधारित है। हमारी दोस्ती हर परीक्षा में खरी उतरी है, पाकिस्तान और चीन ने हर मुश्किल समय में एक-दूसरे का साथ दिया है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव एजाज़ अहमद चौधरी ने कहा कि चीन के साथ भारत के संबंधों का पाकिस्तान पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। चीन पर नज़र रखने वाले अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. फ़ज़लुर रहमान के मुताबिक चीन और पाकिस्तान की दोस्ती किसी भी बाहरी फ़ैक्टर से परे है। चीन के साथ भारत के रिश्ते सुधरेंगे ज़रूर, लेकिन संबंध बहुत आगे जाएंगे, इसकी बहुत गुंजाइश नहीं है।

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