राष्ट्रपति मुर्मू-पीए मोदी का संदेश लेकर गए 5 साल बाद चीन पहुंचे जयशंकर
फिलहाल भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर के चीन दौरे पर देश-दुनिया की नजर है। उन्होंने वहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। उनके दौरे को लेकर अटकलों का दौर शुरु हो गया है कि इससे भारत को कितना फायदा मिलेगा।
मसलन, न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक जयशंकर ने राष्ट्रपति जिनपिंग को भारत-चीन के बीच रिश्तों में प्रगति के बारे में बताया। यहां गौरतलब है कि बीते पांच सालों में पहली बार जयशंकर चीन पहुंचे हैं। उन्होंने जिनपिंग से मुलाकात से जुड़ी एक तस्वीर भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट की। जिसमें जयशंकर ने लिखा है कि मंगलवार सुबह बीजिंग में एससीओ के विदेश मंत्रियों के साथ मैंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। उनको भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अभिवादन संदेश भी दिया।
यहां गौरतलब है कि जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन पहुंचे हैं। इससे पहले उन्होंने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। इस बैठक में उन्होंने दोनों देशों के बीच स्थिर और रचनात्मक संबंध बनाने की जरूरत पर जोर दिया। जयशंकर ने कहा कि सीमा से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। लोगों के बीच संपर्क को सामान्य बनाना चाहिए और व्यापार में आ रही रुकावटों को हटाने पर काम करना चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि आपसी सम्मान और समझदारी के आधार पर भारत-चीन संबंध सकारात्मक दिशा में बढ़ सकते हैं।
बीजिंग में हुई बैठक के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से व्यापार और पर्यटन को लेकर भी अहम मुद्दे उठाए। उन्होंने चीन द्वारा लगाए गए एक्सपोर्ट कंट्रोल और व्यापारिक प्रतिबंधों को लेकर चिंता जताई। जयशंकर ने साफ कहा कि चीन को ऐसे कदमों से बचना चाहिए जो भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने भारत और चीन के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने यात्रा को आसान बनाने, सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई। उनका मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच आपसी समझ और भरोसा बढ़ेगा।
एससीओ बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद को लेकर भारत का स्पष्ट रुख दोहराया। उन्होंने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ से मुकाबला करना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी सदस्य देशों को ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर मजबूती से टिके रहना चाहिए। इसके साथ ही जयशंकर ने चीन द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के फैसले का स्वागत किया। यह यात्रा पिछले पांच वर्षों से बंद थी। इसका दोबारा शुरू होना दोनों देशों के बीच भरोसे और धार्मिक-सांस्कृतिक संबंधों के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
जयशंकर और वांग यी के बीच सोमवार को द्विपक्षीय बैठक हुई। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की थी। इस बैठक में जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के संबंध अक्टूबर, 2023 में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से लगातार बेहतर हो रहे हैं। दोनों देशों के बीच 75 साल के राजनयिक संबंध पूरे हो चुके हैं। जयशंकर ने मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय हालात को जटिल बताया और कहा कि भारत और चीन जैसे बड़े पड़ोसी देशों के बीच खुलकर बातचीत बेहद जरूरी है। उन्होंने चीनी उप-राष्ट्रपति को बताया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने को भारत में बेहद सराहा गया है।
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