इसे लेकर माहिरों की मिली-जुली राय, हालांकि भारत भी इसका अध्ययन करेगा
सऊदी अरब और परमाणु शक्ति संपन्न देश पाकिस्तान के बीच एक पारस्परिक सुरक्षा समझौता हुआ है। दोनों देशों के बीच यह समझौता तब हुआ, जब इसराइल ने क़तर की राजधानी दोहा में हमला किया था। जबकि कुछ महीने पहले ही पाकिस्तान की भारत से सैन्य झड़प हुई थी। माहिरों की मानें तो यह समझौता ना केवल दोनों देशों के लिए अहम है, बल्कि इससे पश्चिम और दक्षिण एशिया पर भी प्रभाव पड़ेगा।
पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ शरीफ़ 17 सितंबर को सऊदी अरब पहुंचे थे। सऊदी अरब और पाकिस्तान की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि शरीफ़ को क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने न्यौता भेजा था। दोनों ने स्ट्रैटिजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए। दोनों देश किसी भी आक्रामकता के ख़िलाफ़ मिलकर काम करेंगे। अगर दोनों में से किसी एक के ख़िलाफ़ भी कोई आक्रामक होता है तो इसे दोनों के ख़िलाफ़ माना जाएगा। ऐसे में बड़ा सवाल, अगर भारत ने भविष्य में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई की तो क्या सऊदी अरब पाकिस्तान के साथ आ जाएगा ? बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब में भारत के राजदूत रहे तलमीज़ अहमद ने कहा, ‘फ़िलहाल ऐसा नहीं लगता है कि यह भारत के लिए बहुत बड़ा झटका है। हालांकि इसे लंबी अवधि में देखें तो भारत के लिए ठीक नहीं। पाकिस्तान पश्चिम एशिया में बहुत प्रासंगिक हो गया है और भारत कहीं नहीं दिख रहा। खाड़ी के देश अपनी सुरक्षा के लिए पाकिस्तान, तुर्की और चीन की तरफ़ देख रहे हैं, तीनों देश इस इलाक़े में काफ़ी अहम हो गए हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी तीनों देश भारत के ख़िलाफ़ गोलबंद थे, ऐसे में भारत के लिए यह झटका तो ज़रूर है।
दक्षिण एशिया की जियोपॉलिटिक्स के माहिर माइकल कुगलमैन के मुताबिक पाकिस्तान ने ना केवल एक नया पारस्परिक सुरक्षा समझौता किया है, बल्कि उस देश से किया जो भारत का भी शीर्ष का साझेदार है। यह समझौता भारत को पाकिस्तान पर हमला करने से नहीं रोकेगा, लेकिन तीन अहम शक्तियां चीन, तुर्की और पाकिस्तान साथ हो गए। पाकिस्तान अभी बहुत अच्छी स्थिति में है, इस समझौते पर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी प्रतिक्रिया दी। मंत्रालय ने कहा, हम इस समझौते का भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ क्षेत्रीय और वैश्विक शांति पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करेंगे।
भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल इसे बहुत गंभीर मान रहे हैं। इस समझौते का मतलब है कि सऊदी अरब का फंड पाकिस्तान की सेना को मज़बूत करने में इस्तेमाल होगा। पाकिस्तान इसराइल के ख़िलाफ़ खुलकर अरब के देशों को परमाणु सुरक्षा देने की बात कर रहा है। दोनों की साझेदारी कोई नई नहीं है। अमेरिका की डेलावेयर यूनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान कहते हैं, पाकिस्तान पर भारत हमला करेगा तो भले सऊदी अरब अपने सैनिकों को ना भेजे, लेकिन उसके पास पैसा है। वो पाकिस्तानी सेना को मज़बूत करने को आर्थिक मदद देगा। सऊदी के पास अमेरिकी तकनीक है, जो पाकिस्तान को भी मुहैया कराएगा। यह पाकिस्तान की सेना के लिए यह बड़ी बात और भारत के लिए बड़ा झटका होगी।
सऊदी अरब ने यह समझौता क्यों किया, यह सवाल उठ सकता है, हालांकि इसके मुकम्मल जवाब हैं। पहला यह कि अमेरिका पर अब खाड़ी के देशों को भरोसा नहीं है। दूसरा यह कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारत के हमले का सामना बहुत मज़बूती से किया था। ऐसे में पाकिस्तान एक अहम देश बनकर उभरा। वो पश्चिम एशिया में प्रासंगिक हो चुका है। सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी को लगता है कि पीएम मोदी सऊदी को रिझाने में वर्षों से लगे रहे, लेकिन फ़ायदा नहीं मिला। अब मोदी के जन्मदिन पर सऊदी क्राउन प्रिंस ने बहुत ही बुरा सरप्राइज़ दिया है। अब सऊदी और पाकिस्तान किसी एक पर भी हमला दोनों पर हमले के रूप में लेंगे। अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक़्क़ानी के मुताबिक, बहुत संभव है कि पाकिस्तान अब सऊदी अरब के पैसे से अमेरिकी हथियार ख़रीदने में सक्षम होगा।
पाकिस्तान से सुरक्षा समझौते पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स से सऊदी अरब के एक अधिकारी ने बताया, यह समझौता सालों की बातचीत का नतीजा है। इसे किसी एक घटना या किसी ख़ास देश को जवाब देने के तौर पर नहीं देखना चाहिए। पश्चिम एशिया इसराइली हमलों के कारण काफ़ी जटिल हो गया है। लंबे समय से अमेरिका पश्चिम एशिया में सिक्यॉरिटी गारंटर के तौर पर रहा है, लेकिन इसराइली हमलों के कारण अमेरिका की यह भूमिका कमज़ोर पड़ी है। गज़ा में जारी युद्ध के कारण क़तर इस साल दो हमले झेल चुका है। एक बार ईरान ने किया और दूसरी बार इसराइल ने। अमेरिकी न्यूज़ नेटवर्क सीएनएन से नाम नहीं ज़ाहिर करने की शर्त पर सऊदी अरब के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों से संबंधों में संतुलन की ज़रूरत है, भारत भी परमाणु शक्ति संपन्न देश है। क्या पाकिस्तान इस सुरक्षा समझौते के तहत सऊदी अरब को परमाणु सुरक्षा भी देगा ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, यह बहुत ही व्यापक सुरक्षा समझौता है और इसमें सारी चीज़ें शामिल हैं।
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