अब खासकर भारतीयों समेत विदेशी स्टूडेंट्स को सोशल मीडिया अकाउंट सार्वजनिक करना जरुरी
अमेरिकी दूतावास ने वीज़ा नियमों को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिसके तहत अब वीज़ा के लिए आवेदन करने वालों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी देनी होगी। भारत में अमेरिकी दूतावास ने आवेदकों से पिछले पांच वर्षों के दौरान इस्तेमाल किए गए सभी सोशल मीडिया यूज़रनेम और हैंडल साझा करने को कहा है। साथ ही चेतावनी दी है कि ऐसा ना करने पर वीज़ा आवेदन रद किया जा सकता है।
इसे लेकर दुनियाभर में प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। बीबीसी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए अमेरिका के साथ लगातार संपर्क में है। सरकार के मुताबिक कि वीज़ा आवेदनों पर फैसला उनकी योग्यता के आधार पर ही हो। भारत में अमेरिकी दूतावास ने वीरवार को ही वीज़ा आवेदकों से कहा कि वे पिछले पांच वर्षों में इस्तेमाल सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के यूज़रनेम और हैंडल जांच के लिए प्रस्तुत करें। दूतावास ने यह भी कहा है कि अगर इस निर्देश की अनदेखी की जाती है, तो ना केवल मौजूदा वीज़ा आवेदन रद हो सकता है, बल्कि भविष्य में भी वीज़ा मिलने से इंकार किया जा सकता है। अमेरिकी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा है कि वीज़ा के लिए आवेदन करने वालों को डीएस-160 वीज़ा एप्लीकेशन फॉर्म में पिछले पांच वर्षों के दौरान इस्तेमाल किए गए सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के यूज़रनेम या हैंडल दर्ज करने होंगे। साथ ही, उन्हें यह भी घोषणा करनी होगी कि उन्होंने वीज़ा आवेदन में सही जानकारी दी है। अमेरिका का यह कदम ट्रंप प्रशासन की उस नीति के तहत उठाया गया है, जिसका उद्देश्य वीज़ा प्रक्रिया की विश्वसनीयता और सुरक्षा को मजबूत करना है।
पिछले महीने ट्रंप प्रशासन ने दुनियाभर के अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों को निर्देश दिया था कि वे नए स्टूडेंट और विज़िटर वीज़ा के लिए इंटरव्यू तत्काल प्रभाव से रोक दें। अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया कि बाइडन प्रशासन के दौरान प्रवासियों की जांच प्रक्रिया ढीली पड़ गई थी और मौजूदा सिस्टम में धोखाधड़ी की आशंका बनी हुई थी। अब अमेरिका आने के इच्छुक आवेदकों के सोशल मीडिया खातों की अधिक गहन जांच की जाएगी। खासकर अमेरिकी यूनिवर्सिटी में फ़लस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में बढ़ोतरी के बाद ट्रंप प्रशासन ने और सख्त कदम उठाने शुरू किए हैं। एफ़ वीज़ा मुख्य रूप से यूनिवर्सिटीज़, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में दाख़िला लेने वाले छात्र-छात्राओं के लिए होता है। एम वीज़ा तकनीकी या व्यावसायिक स्कूलों में पढ़ने वाले गैर-शैक्षणिक छात्र-छात्राओं के लिए होता है। वहीं जे वीज़ा उन विज़िटर्स को दिया जाता है, जो किसी मान्यता प्राप्त सांस्कृतिक या शैक्षिक एक्सचेंज प्रोग्राम में हिस्सा लेते हैं।
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