पहले से चुनौतियां कम नहीं रहीं बोइंग के सामने
एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान अहमदाबाद में क्रैश होने के बाद एक बड़ी बहस छिड़ गई है। दरअसल यह बोइंग 787
ड्रीमलाइनर का पहला हादसा है। पिछले महीने ही 787 ड्रीमलाइनर ने सौ करोड़ से अधिक यात्रियों को सफ़र कराने का रिकॉर्ड बनाया था। करीब 14 साल पहले सेवा में आया यह विमान अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्राओं का प्रमुख माध्यम है। एयर इंडिया क्रैश से पहले इस विमान का सुरक्षा रिकॉर्ड बेहतरीन रहा है।
एयर इंडिया का जो बोइंग हादसे का शिकार हुआ है, वह भी 12 साल पहले सेवा में आया था. हादसे का शिकार होने से पहले यही विमा आठ हज़ार से अधिक टेक ऑफ़ और लैडिंग कर चुका था। एयर इंडिया के पास ऐसे 27 विमान हैं, इनमें से एक क्रैश हो चुका है। इस हादसे ने सिर्फ़ बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान का सुरक्षा रिकॉर्ड ही ख़राब नहीं किया, बल्कि यह हादसा पहले से चुनौतियों में घिरी बोइंग के लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकता है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है, जब बोइंग का कोई विमान हादसों को लेकर चर्चा में आया हो। साल 2018 और 2019 में इंडोनेशिया और इथियोपिया में बोइंग के विमान क्रैश हुए थे और सैकड़ों लोग इन हादसों में मारे गए थे। तब बोइंग 737 मैक्स हादसों का शिकार हुआ था, जो ड्रीमलाइनर से अलग विमान था। उन हादसों की वजह सॉफ़्टवेयर में आई ख़ामियां थीं। तब उस मॉडल के विमानों को दुनियाभर में 18 महीनों के लिए उड़ान भरने से रोकना पड़ा था।
हालांकि, अहमदाबाद हादसे में अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं है कि बोइंग की तरफ़ से कोई ख़ामी रही। हादसे के शिकार विमान के ब्लैक बॉक्स मिलने और हादसे के कारणों की जांच पूरी होने के बाद ही तस्वीर पूरी तरह साफ़ हो सकेगी। एक पायलट के मुताबिक इस दौर में ये दुर्लभ है कि विमान निर्माता की किसी ख़ामी की वजह से कोई बड़ा हादसा हो जाए। अगर बोइंग 737 मैक्स से जुड़े हादसों को छोड़ दें तो अधिकतर विमान हादसे कॉकपिट में मानवीय ग़लती की वजह से होते हैं। दुनिया में अधिकतर यात्री विमान इस समय दो ही कंपनियां बोइंग और एयरबस बनाती हैं। किसी कमर्शियल विमान से यात्रा करते संभव है कि दोनों में से किसी एक कंपनी के बनाए विमान में आप सफर कर रहे होंगे। अहमदाबाद हादसे पर बोइंग ने गहरा दुख जताया। साथ ही कहा है कि वह हादसे के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने को एयर इंडिया के साथ मिलकर काम कर रही है।
बोइंग के सीईओ कैली ओटबर्ग ने यात्रियों और उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्ति करते हुए कहा है कि बोइंग हादसे की जांच में पूरी मदद करेगी। भारत का एयरक्राफ़्ट एक्सीडेंट इंवेस्टिगेशन ब्यूरो हादसे की जांच कर रहा है। इस हादसे के बाद जब वीरवार को अमेरिका में बाज़ार बंद हुए तो बोइंग के शेयर 5 प्रतिशत तक गिर चुके थे। बोइंग कई साल से विवादों और परेशानियों में चल रही है। पिछले साल कंपनी को हर महीने एक अरब डॉलर का नुक़सान हुआ। अब इस हादसे ने ज़ाहिर तौर पर बोइंग के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। कंपनी विमानों की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों के संकट और गुणवत्ता नियंत्रण से जुड़े विवादों से संघर्ष कर रही है। पिछले साल कंपनी के कर्मचारियों ने सात सप्ताह तक हड़ताल की, जिसका भी भारी नुक़सान कंपनी को उठाना पड़ा।
पिछले साल अलास्का एयरलाइन की एक उड़ान के दौरान बोइंग के विमान का दरवाज़ा हवा में ही उड़ गया था। इस हादसे में विमान सुरक्षित एयरपोर्ट पर लौटने में कामयाब रहा था। हालांकि कंपनी को 16 करोड़ डॉलर का हर्जाना चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। वहीं 737 मैक्स विमानों के हादसे के बाद उड़ानों पर रोक लगने के कारण बोइंग को साउथवेस्ट एयरलाइंस को हुए वित्तीय नुक़सान की भरपाई के लिए भी 42.8 करोड़ डॉलर चुकाने पड़े थे। हालांकि बोइंग के लिए समस्याएं सिर्फ़ वित्तीय ही नहीं है। विमानों की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवाल और भी गंभीर हैं। इसी साल अप्रैल में ही कंपनी ने कहा था कि ‘सुरक्षा और गुणवत्ता को लेकर हमारे निरंतर प्रयास जारी हैं और इसके नतीजे में विमानों के संचालन में सुधार हुआ है। साल 2019 में बोइंग के एक कर्मचारी जॉन बर्नेट ने बीबीसी को बताया था कि दबाव में काम कर रहे कर्मचारी जान-बूझकर मानकों पर खरे ना उतरने वाले कल-पुर्ज़े विमानों में लगा रहे हैं। उन्होंने पिछले साल मार्च में आत्महत्या कर ली थी, हालांकि बोइंग ने जॉन बर्नेट के आरोपों को निराधार बताया था।
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