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तुलसीदास की दोहावली में लोकजीवन के नीति तत्वों का निरुपण

डॉ. परमानंद तिवारी भारतीय संस्कृति अनेकानेक झंझावातों से गुजरती हुई इस अवस्था को प्राप्त हुई है। कई लोगों ने ‘स्वान्त: सुखाय’ की संकल्पना पर आधारित रघुनाथ गाथा को लोक आख्यान नहीं, बल्कि भारतीय सामाजिक संरचना का तात्कालिक संविधान कहा है। तुलसी की रचनाओं का आधार लोक कल्याण ही था। इसमें सभी वर्गों यहां तक कि … Read more