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देखना कहीं लू न लग जाए लोकतंत्र को

आज मै अपनी बात कविराज सेनापति से करना चाहता हूँ । सेनापति ऋतु वर्णन के अद्भुत चितेरे रहे । आजकल देश के अधिकांश हिस्सों में जिस तरह गर्मी का प्रकोप है ,उसे अनुभव करते हुए मुझे सेनापति बार-बार याद आते हैं । वे लिखते हैं – बृष को तरनि तेज, सहसौ किरन करि, ज्वालन के … Read more