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हिस्सों में बंटा कर्तव्य

डॉ. गोपाल नारायण आवटे डॉक्टर कमरे से जैसे ही बाहर निकला, उसके उदास चेहरे को देखकर ही मन न जाने कैसा-कैसा हो उठा। ढेर सी कुशंकाएं मन की दीवार पर अनचाही बरसाती वनस्पति की तरह उग आई थीं। डॉक्टर के साथ बड़ा पुत्र दिनेश भी था। एक पल के लिए डॉक्टर मुझे देखकर रूका और … Read more