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मेरी जान की क़दर मैंने पाई ही नहीं।                          

मज़बूत इरादे हैं, आगे बढ़ने की चाह भी। घर भी मुझसे है, परिवार की रौनक भी। अपनी जान पे खेल कर और जान इस जहाँ में भी लाती हूँ, पर मेरी जान की क़दर मैंने पाई ही नहीं।   कभी बेटी बन, कभी पत्नी, कभी बहन तो कभी माँ, लड़कियों के लिए झुकना ही है … Read more